छात्रावास के बच्चे क्यों रहे भूखे

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मेन्यू के हिसाब से खाना मांगा तो कैन्टीन संचालक ने हेगडी दिखाना शुरु कर दिया और कैन्टीन ही बंद कर दिया लिहाजा छात्रावास के बच्चे दो दिन भूखे रहे, और छात्रावास स्टाफ बेबस सा नजर आया।

समाज कल्याण विभाग द्वारा छात्रों को हर दिन 69 रुपये की दर से पौष्टिक और भरपेट भोजन खिलाने की पोल अंबेडकर छात्रावास में खुल गई। यहां जब छात्रों ने मेन्यू के हिसाब से ठेकेदार से भोजन मांगा तो ठेकेदार ने मेस ही बंद कर दिया। लिहाजा छात्रावास के 35 छात्र दो दिन भूखे रहे।

अंबेडकर छात्रावास में अनुसूचित जाति-जनजाति के गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के बच्चे रहते हैं। यह बच्चे दूर-दराज के गांवों से आकर यहां कॉलेज या स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। छात्रावास का मेस ठेके पर चलता है। विभाग के मेन्यू के अनुसार छात्रों को सुबह एक अंडा, कॉर्नफ्लेक्स, दलिया, ब्रेड, 25 ग्राम मक्खन और 200 मिलीलीटर दूध दिया जाना चाहिए।  वहीं दिन के भोजन में दाल 35 ग्राम, चावल 150 ग्राम, आटा 100 ग्राम, हरी सब्जी 75 ग्राम और घी मिलना चाहिए। इसके साथ ही शाम को नाश्ते में चाय और चार पीस बिस्किट और रात के भोजन में दाल 35 ग्राम, चावल 150 ग्राम, आटा 100 ग्राम और हरी सब्जी, सलाद तय किया गया है। लेकिन छात्रों का आरोप है कि उन्हें मेन्यू के हिसाब से कुछ भी नहीं मिल रहा था। दिन में रोटी, दाल, चावल और रात को भी रोटी और सब्जी दी जाती है।

छात्रों ने इस मामले को उठाया और विरोध जताया। इस पर ठेकेदार ने मेस बंद कर दी। जिसके चलते छात्र दिनभर भूखे रहे। इस छात्रावास में रहने वाले बच्चे अति निर्धन परिवारों से हैं। इसके चलते उनके पास होटल में भोजन करने लायक रुपये भी नहीं थे।

अगली सुबह भी जब मेस नहीं खुला तो छात्र कलक्ट्रेट पहुंचे और प्रदर्शन किया। छात्रों के प्रदर्शन के बाद प्रशासन जागा। छात्रों ने एसडीएम को पत्र सौंप कर स्थिति से अवगत कराया। प्रशासन के निर्देश पर प्रभारी समाज कल्याण अधिकारी एके शर्मा ने छात्रावास पहुंचे और ठेकेदार और छात्रों से बात की, जिसके बाद मेस संचालन शुरू हुआ। प्रभारी समाज कल्याण अधिकारी एके शर्मा ने बताया कि अंबेडकर छात्रावास में मेस बंद हो गई थी। अब मसला सुलझ गया है।