क्या आप जानते हैं होली के त्योहार में कहां से आई मीठी गुजिया

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होली रंगों के साथ पकवानों का त्यैहार भी है।होली की तैयारियों में रंग और गुलाल के अलावा अलग-अलग पकवान भी हैं।गुजिया,नमकीन,चिप्स,पापड़ के अलावा लोग होली पर अलग-अलग पकवान बनाते हैं।जिस तरह से सभी राज्यों की होली अलग है उसी तरह से हर राज्य में गुझिया बनाने का तरीका भी अलग-अलग है। उत्तर भारत में जहां गुजिया में खोया और ड्राई फ्रूट्स की स्टफिंग की जाती है, वहीं महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोआ में यह भरावन नारियल की होती है। जो इसे अलग फ्लेवर देती है।

तो मिडिल ईस्ट से आई गुजिया

आपको बतादें कि गुजिया हमारे भारत का पकवान नहीं है बल्कि यह मिडिल ईस्ट से आया है।दरअसल गुजिया का विचार समोसे से ज़हन मे आया है।किस तरह से मैदे से बनाए हुए नमकीन समोसे को मीठे पकवान में बदला जाए इसी सोच से गुजिया का जन्म हुआ। जैसे समोसे में आलू और मैदे ने फिलो शीट और कटे हुए मीट की जगह ली और पश्चिम एशिया से होकर भारत के मध्य भाग तक पहुंचा। वैसे ही गुजिया, जो समोसे का ही अंग है, भारत पहुंची और सब-कॉन्टिनेंटल शेफ्स ने उसकी तकनीक और सामग्री में थोड़ा बदलाव कर उसे वर्तमान स्वरूप दिया। गुजिया एक मध्यकालीन व्यंजन है, जो मुगल काल में यहां पनपा और कालांतर में त्योहारों की स्पेशल मिठाई बन गई। कुछ लोगों को घर में गुजिया बनाना मुश्किल लगता है, लेकिन इसे बनाना बेहद आसान है।

हिंदुस्तान के बच्चे-बच्चे को पता है कि होली मतलब गुजिया और लगभग सभी घरों में होली गुजिया बनाई जाती है।हालांकि आजकल बाज़ार मे रेडीमेड गुजिया भी उपलब्ध है। गुजिया भी अलग-अलग तरह की होती है ड्राई फ्रूट, मावा,चाशिनी, ड्राई गुजिया आदि, तो बस फिर होली के इस त्यौहार में गुजिया का आनंद उठाना ना भूलें।