दून में भूकंप को लेकर खास एहतियात की जरूरत

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देहरादून, भूकंप के संवेदनशील जोन-चार में आने वाले दून में खास एहतियात की जरूरत है। वर्ष 2015 के अप्रैल माह में नेपाल में आए 7.8 मैग्नीट्यूड के विशाल भूकंप से दून की जमीन भी थर्राई थी। जो सरकार के लिए एक चेतावनी थी। इसलिए हमे भवन निर्माण में खास ध्यान रखना होगा।

सरकार ने दून में भवनों की अधिकतम ऊंचाई का मानक 21 से बढ़ाकर 30 मीटर कर दिया। जबकि वर्ष 2007 में 15 से बढ़ाकर 21 मीटर पहले ही किया जा चुका था। लेकिन अब सरकार प्रदेश के हर जिले में जिला स्तरीय प्राधिकरण बनाने का निर्णय ले चुकी है और तैयारी है कि बिल्डिंग बायलॉज भी पूरे प्रदेश में एक ही रहे, तो इस नई कवायद में भी भवनों की ऊंचाई नियंत्रित करने को लेकर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। जबकि इसी साल फरवरी में रुद्रप्रयाग में 5.8 रिक्टर स्केल का भूकंप आने के बाद इस दिसम्बर की छह तारीख को 5.5 रिक्टर स्केल का भूकंप दोबारा आ चुका है। ऐसे भी नहीं है कि दून में भूकंप के असर को लेकर कोई वैज्ञानिक अध्ययन सरकार के पास नहीं है। वर्ष 2002-03 व 2004-05 भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ‘सिस्मिक माइक्रोजोनेशन ऑफ देहरादून अर्बन कॉम्पलेक्स’ नाम से रिपोर्ट तैयार कर चुका था। जिसमें स्पष्ट किया गया था कि दून की धरती की मजबूती किस स्थान पर कैसी है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने विभिन्न स्थानों पर जमीन में 30 मीटर की गहराई में ड्रिल भी किए।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दून ऐतिहासिक भूकंपीय फॉल्ट लाइन मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) और मेन फ्रंटल थ्रस्ट (एमएफटी) की सीधी जद में है। ताजा अध्ययन से अब यह भी स्पष्ट हो चुका है कि दोनों ही ऐतिहासिक फॉल्ट सक्रिय स्थिति में हैं। यानी ये कभी भी बेहद शक्तिशाली भूकंप का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान की सिस्मिक माइक्रोजोनेशन की रिपोर्ट में शहर को 50 जोन में बांटकर बताया गया था कि दून के किन इलाकों की ऊपरी सतह कमजोर है, जो बड़े भूकंप के समय बिखर सकती है। वाडिया के ही एक अन्य अध्ययन में दून में अन्य फॉल्ट लाइनें भी पता चली हैं। गंभीर बात यह कि हमारे अधिकारियों ने कभी इन रिपोर्ट पर गौर करने की जहमत ही नहीं उठाई और बिल्डर लॉबी को फायदा पहुंचाने के लिए उनकी अट्टालिकाओं की राह प्रशस्त करने को आंख मूंदकर भवनों की ऊंचाई के मानक बढ़ाते रहे। घंटाघर के आसपास का बाजार, राजपुर का व्यावसायिक क्षेत्र, हाथीबड़कला, जाखन, राजपुर, करनपुर, राजपुर रोड की ऑफिसर कॉलोनी, खुड़बुड़ा मोहल्ला आदि। अध्ययन में राजधानी के दक्षिण व दक्षिण पश्चिम भाग की जमीन की ऊपरी सतह काफी कठोर पाई पाई। इस दिशा में क्लेमेनटाउन, मोरोवाला, आइएसबीटी, वसंत विहार, पित्थुवाला, शिमला बाईपास, जीएमएस रोड आदि क्षेत्र आते हैं।