दून में 24 हजार अवैध निर्माण भी चिह्नित

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देहरादून, राजधानी देहरादून की अधिकांश भूमि की ऊपरी परत जलोड़ी मिट्टी की बनी है, जो भूकंप के समय आसानी से बिखर सकती है। बावजूद इसके राजधानी और आसपास के इलाके में धड़ाधड़ बहुमंजिला इमारतें खड़ी की जा रही हैं और सुनियोजित विकास के प्रति जवाबदेह मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की भूमिका भूकंपरोधी तकनीक को लेकर सिर्फ नक्शे तक सीमित है। नक्शे के एक कॉलम में भूकंपरोधी तकनीक दर्ज कराकर ही मान लिया जाता है कि निर्माण नियमानुसार हो जाएगा।

राज्य बनने से अब तक एमडीडीए ने 33 हजार से अधिक भवनों के नक्शे पास किए हैं। जबकि इस दौरान करीब 24 हजार अवैध निर्माण भी चिह्नित किए गए। जाहिर है इनमें भूकंपरोधी तकनीक की औपचारिकता भी पूरी नहीं हुई होगी। यही नहीं वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, नगर निगम व आसपास के क्षेत्र में 20886 ऐसे निर्माण भी खड़े हुए, जिनका रिकॉर्ड तक नहीं है। यानी कुल मिलाकर 43 हजार से अधिक निर्माण में तो नक्शों में भी यह खानापूर्ति नहीं की गई। फिर भी अधिकारी चाहते तो लोगों को रेट्रोफिटिंग तकनीक के माध्यम से पुराने भवनों को भूकंपरोधी बनाने के प्रति जागरूक करने व निर्माण से पहली संबधित भूमि की क्षमता के अध्ययन के लिए प्रोरित कर सकते थे। यह दोनों तकनीक राजधानी के वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान व रुड़की स्थित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) के पास है। वहीं संवेदनशील 38 शहरों की सूची जारी की थी। इसमें देश देश के सर्वाधिक संवेदनशील शहरों की सूची में दून का नाम भी शामिल है।

कौन देगा इन सवालों के जवाब? 
-भूकंप के अति संवेदनशील जोन-4 में बसे दून में शहरी विकास के लिए किए गए सिस्मिक माइक्रोजोनेशन के सुझावों का अनुपालन भवनों की ऊंचाई बढ़ाते समय क्यों नहीं किया गया।
-नेपाल में तबाही लाने वाले इंटर लैंड एक्टिव फॉल्ट जैसे 29 भूकंपीय फॉल्ट दून में हैं, सरकार भवनों की ऊंचाई बढ़ाने की हड़बड़ी में पहले इन खतरों से निपटने की तैयारी क्यों नहीं कर रही।
-सरकार दून के उन इलाकों को चिह्नित क्यों नहीं कर रही, जिन्हें सिस्मिक माइक्रोजोनेशन में सबसे अधिक संवेदनशील बताया गया है। ताकि वहां निर्माण की अनुमति उसी हिसाब से दी जा सके।
-भवनों की ऊंचाई बढ़ाने की जल्दी से पहले एमडीडीए के माध्यम से यह तस्दीक क्यों नहीं कराई जा रही कि अब तक खड़े किए गए बहुमंजिला भवनों में सुरक्षा के किन मानकों को ताक पर रखा गया है।

इन नियमों की अनदेखी 
समरूपता: भवन के विभिन्न खंडों को दोनों अक्षों पर समरूप रखना जरूरी
निरंतरता: वर्गाकार या आयताकार भवनों को भूकंप से अपेक्षाकृत कम नुकसान पहुंचता है। भवन के खंड की लंबाई उसकी चौड़ाई से तीन गुना से अधिक न बढ़ाएं।
अलग-अलग खंडों में बने भवन: भवन के बड़ा होने की स्थिति में उसे अलग-अलग खंडों में विभाजित किया जाना आवश्यक है, ताकि हर खंड में समरूपता व निरंतरता के नियमों का पालन कराया जा सके।
सादगी: भवन के मुख्य भाग से बाहर निकले भाग भूकंपीय लिहाज से असुरक्षित माने जाते हैं। लिहाजा डिजाइन से अधिक सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए।
भवन की नींव: सुनिश्चित करें कि भवन निर्माण के लिए चयनित भूमि एक ही प्रकार की भूमि हो।