बीजेपी के गले की फांस बना सराय बस अड्डा

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हरिद्वार। सराय बस अड्डा स्थानान्तरण को लेकर चल रहा घमासान दिन-प्रतिदिन उलझता जा रहा है। जहां विपक्ष के साथ स्थानीय व्यापारी और संत समाज सत्ताधारी एक नेता पर अपने निजी स्वार्थ के चलते बस अड्डे को स्थानान्तरित कराए जाने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं कैबिनेट मंत्री इसे सिरे से नकार चुके हैं, जबकि सराय स्थित बस अड्डा स्थल पर निर्माण कार्य शुरू किया जा चुका है।

गौरतलब है कि बस अड्डे को शहर से हटाने की सुगबुगाहट के साथ ही इसका विरोध शुरू हो गया था। विरोध में विपक्ष के साथ स्थानीय जनता, व्यापारी व संत समाज भी कूद गया था। विरोध बढ़ता देख लोगों को शांत करने के लिए मेयर मनोज गर्ग ने कमान संभाली और बस अड्डा स्थांनातरित न होने की बात कही। उन्होंने कहा कि निगम ने ऐसा कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है, जिससे बस अड्डे को हटाया जाए।
वहीं, कैबिनेट मंत्री ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से नकार दिया। उनका कहना था कि इस तरह का कोई भी प्रपार द्वारा पारित नहीं किया गया है। सरकार बस अड्डे को हटाने से पूर्व जनभावनाओं को ख्याल रखते हुए कार्य करेगी।
कांग्रेस पार्षद सत्येन्द्र ने एक प्रेसवार्ता में बस अड्डा मामले में नया खुलासा करते हुए सरकार व उसके मंत्री को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना में प्रदेश सरकार द्वारा सराय बस अड्डा स्थांनातरण की अनुमति प्रदान की जा चुकी है। पार्षद के इस खुलासे के बाद सत्तापक्ष को कुछ बोलते नहीं बन रहा है। जहां सत्तापक्ष के नेता जनभावनाओं के अनुरूप निर्णय की बात कर रहे हैं, वहीं विपक्ष ने मंत्री पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है। जबकि निगम चुनाव सिर पर हैं, ऐसे में बस अड्डे का मामला भाजपा के गले की फांस बन चुका है। स्थानीय जनता, व्यापारी व संत खुलकर बस अड्डे के विरोध में लामबंद्ध हो चुके हैं। प्रतिदिन बस अड्डे को लेकर धरना-प्रदर्शन का दौर जारी है। ऐसे में भाजपा के सामने मुश्किलें पैदा हो गई हैं। यदि सरकार बस अड्डे को स्थांतरित करती है, तो उसे जनता के कोप का भाजन होना पड़ेगा। जिसका खामियाजा उसे नगर निगम चुनाव में उठाना पड़ सकता है।