धारचूला का ”रं म्यूजियम” आपको उत्तराखंड के इस भूली विरासत से करायेगा रूबरू

The exterior of the Museum

बहुत कम लोग ही उत्तराखंड की जनजातीय इतिहास से वाकिफ होंगे। ये इतिहास जितना लोगों की नज़र से दूर है उतना ही रोचक भी है। ऐसे ही जनजातीय इतिहास को लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहा है रं म्यूजियम। 2017 में धारचूला में रं म्यूजियम ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए थे। यह म्यूजियम उन लोगों के लिए है जो पिथौरागढ़ के रं ट्राइब्स के जीवन और समय की एक झलक पाने के लिए उत्सुक है।

इस दो मंजिला गुलाबी इमारत को देखने के बाद आप इसमे जाए बिना नहीं रह सकते। यह इंडो-नेपाल रोड पर धारचूला बाजार के बीच में स्थित है। रविवार और सरकारी छुट्टियों को छोड़कर, रं म्यूजियम में अपने मेहमानों के लिए हमेशा खुला रहता है। हफ्ते में छह दिन सुबह 10:00 बजे से 1:00 तक और फिर 4:00 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।

प्राचीन कलाकृतियों, इमारतों, कला और शिल्प का एक अजूबा, लगभग 100 से 250 साल पुरानी पांडुलिप्यां, रंग ट्राइब्स की जीवंत कहानियों को सामने लाती हैं जो आज भी दारमा, चौदस और व्यास घाटी में रहती हैं।

‘द प्राइड ऑफ धारचूला’ के नाम से जाना जाने वाला रं म्यूजियम लगातार अपने कैटलॉग में बदलाव करता रहता है और नई चीजों को शामिल करता रहता है जो पर्यटकों को पहाड़ी राज्य के इस हिस्से में पनपने वाली जनजातियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक देता है।

A glimpse of what awaits the visitor inside the museum

क्यूरेटर रितेश गार्बल के अलावा तीन अन्य लोगों की टीम है जो रं संग्रहालय को बेहतर बनाए रखने में मदद करते हैं। रितेश हमें बताते हैं कि, “पिछले डेढ़ साल में साढ़े चार हज़ार स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटक हमारे म्यूजियम में आ चुके हैं। देश-विदेश के हमारे मेहमान कलाकृतियों के लेआउट को देखकर चकित रहते हैं जिन्हें हमने समय-समय पर अलग-अलग जगहों से इकट्ठा किया है और प्रदर्शन के लिए रखा है। “

धारचूला के निवासियों के लिए एंट्री टिकट केवल 10 रुपये है, अन्य राज्यों के लोगों को 50 रुपये देने होते हैं और विदेशियों को म्यूजियम में एंट्री करने के लिए 100 रुपये देना पड़ता है। एक बार अंदर आने के बाद, मेहमानों को समय में वापस ले जाया जाता है। धारचूला जो भी घुमने आता है उनके लिए इस यात्रा के दौरान रं म्यूजियम में जाना एक अलग ही अनुभव है।