धराली के सिर से नहीं टला खतरा? श्रीकंठ पर्वत पर जमा है हजारों टन मलबा

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    उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बड़ी प्राकृतिक आपदा के बाद अभी भी धराली गांव पर एक और त्रासदी का खतरा बना हुआ है।

    गांव से लगे श्रीकंठ पर्वत के ऊपरी इलाकों में हजारों टन मलबा और बोल्डर जमा है। इस मलबे के बारिश के दौरान खीरगंगा नदी के पानी के साथ फिर नीचेआ सकता है। इसका खुलासा एक रिपोर्ट में हुआ है।

    दरअसल, राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) और इसरो ने सैटेलाइट तस्वीरों की मदद से इस नुकसान का आकलन किया है। इसके अलावा

    राज्य के सोमवार को मुख्य सचिव के निर्देश पर एक दल श्रीकंठ पर्वत के ऊपरी इलाकों में सर्वे के लिए गया था। इस दल में माउंटेन रेस्क्यू टीम (एमआरटी) में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनरिंग (निम) के अधिकारी शामिल थे। इस टीम में इंस्पेक्टर पंकज, महेश खनेरा, मन मोहन, नीरज आर्य और सुरेश आदि शामिल थे। इस टीम ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को साैंप दी है।

    इस रिपोर्ट में बताया गया कि लैंडस्लाइड की वजह से श्रीकंठ पर्वत पर हजारों टन मलबा और बोल्डर जमा हुआ है। यदि खीरगंगा नदी के जरिए ये नीचे आता है, तो और धराली-हर्षिल के लिए ओर खतरनाक स्थिति हो सकती है। खीरगंगा में झंडा बुग्याल के सामने 30 मीटर बफर जोन बना है, जिसकी ऊंचाई 15 मीटर है, यह भी भविष्य में खतरनाक साबित हो सकता है। सर्वे टीम का मानना है कि श्रीकंठ पर्वत पर भारी बारिश की वजह से हुए भूस्खलन से जो बोल्डर और मलबा निकला, वह पूरी तरह नीचे नहीं आ पाये हैं। दो बहुत बड़े बोल्डर के साथ ही भारी मलबा ऊपर ही जमा है। कभी भी भारी बारिश होने पर यह बोल्डर और मलबा एक बार फिर धराली और आसपास के क्षेत्रों पर कहर बरपा सकता है।

    उल्लेखनीय है कि 5 अगस्त को बादल फटने के बाद भागीरथी गंगा में अचानक भयानक बाढ़ ने धराली और हर्षिल गांवों को तबाह कर दिया है। सरकार की ओर से लगातार बचाव और राहत अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में श्रीकंठ पर्वत पर जमा हजारों टन मलबा और बोल्डर एक बार फिर कहर बरपा सकते हैं।