ऋषिकेश-श्रीनगर-नैनीताल महायोजना की मियाद छह साल पहले खत्म

उत्तराखंड को बने 17 साल हो गए है लेकिन प्लानिंग के मामले में न तो कांग्रेस ने ही भाजपा राज्य के मुख्य शहरों में कुछ कर पाई है। किसी भी शहर के विकास और बेहतर सूरत के लिए मास्टर प्लान की जरूरत पड़ती है, जिससे शहर को बेहतर ढंग से चलाया जा सके। बात करे तीर्थनगरी ऋषिकेश की तो गंगा के किनारे बसे इस शहर को भी मास्टर प्लान का इंतज़ार है, पिछले बीस सालों से यहां पुराने प्लान को घिसा जा रहा है जिससे शहर में हर व्यवस्था लड़खड़ाती नजर आती है। शहरों की सूरत ओर सीरत बिगड़ती है तो बिगड़े, सरकार और पूरे सिस्टम को शायद इस बात से कोई फर्क नही पड़ता।

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आबादी लगातार बढ़ रही है जिसके चलते उत्तराखंड के शहर सिकुड़ते जा रहे है ना मेन चौराहों पर चलने की जगह हैना ही गलियों में। अनियोजित विकास,अवैध कब्जों,अतिक्रमण के चलते पूरी तरह जाम और अनियोजित विकास की भेंट चढ़ गया है। हक़ीक़त ये है कि तीर्थाटन पर बेस इकॉनमी के लिए जाने जाने वाले ऋषिकेश-नैनीताल-श्रीनगर जैसे महत्वपूर्ण शहर पिछले बीस सालों से एक मास्टर प्लान की बाट जोह रहे है। लेकिन मास्टर प्लान फाइलों में गुम होकर दम तोड़ चुके है। हक़ीक़त ये है कि स्थानीय लोगों के साथ-साथ देश-विदेश के सैलानी भी घंटो के जाम ओर अवस्थायों का शिकार होते है।

तो वहीँ  स्थानीय निवासीयों का कहना है की सरकार को जल्द से जल्द इस तरफ काम करना चाहिए जिससे ऋषिकेश की तस्वीर बदलेगी।कहने को अंतराष्ट्रीय योग नगरी के रूप में ऋषिकेश की विश्व के मानचित्र मैं एक अलग पहचान है लेकिन शहर में बीस सालों से अब तक न तो मास्टर प्लान बना है ना ही सड़कों का चौड़ीकरण हुए है और न ही नए चौराहों का निर्माण हुआ है ऐसे में चार धाम यात्रा सहित अनेक धार्मिक कार्यक्रमों के चलते तीर्थनगरी में साल भर बड़ी संख्या में सैलानियों की भीड़ लगी रहती है ओर अतिक्रमण ओर जाम यहां आने वालों के लिए मुसीबत का सफर बनता रहता है। ऐसे त्रिवेंद्र रावत सरकार से उम्मीद बंधी है कि वो आने वाले दिनों में ऋषिकेश के लिए एक मास्टर प्लान लागू करके यहां हो रहे अतिक्रमण पर एक अंकुश लगाएंगे, मयखमंत्री ने भी इसका आस्वासन दिया है कि जल्द ही चार धाम यात्रा मार्गों पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर कार्यवाही की जाएगी। सरकार पर्यटन बढ़ाने के लिए लगातार शोर तो मचाती है लेकिन जमीनी हकीकत में यहां उत्तराखंड आने वाले श्रध्लुयों ओर पर्यटकों के लिए कोई सुविधा नही दे पाते, शहर आज भी पुराने ढर्रे पर चल रहे है ,न कोई शहर के विकास की योजना है और न कोई मास्टर प्लान है। हर बार मास्टर प्लान चहेतों को खुश करने के लिए नोकरशाहों ओर राजनीतिक नेतायों द्वारा फ़ाइलों मैं गुम कर दिया जाता है।