कब मिलेगा उत्तराखंड को अपना मनोरंजन चैनल?

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चर्चित सीरियल लेखक ऐहसान बख्श ने कहा कि इन दिनों बन रहे टीवी सीरियल समाज और घर-परिवार को जोड़ने के बजाय तोड़ने का काम कर रहे हैं। इनमें साजिश, सस्पेंस के अलावा कुछ नहीं रह गया है। दूरदर्शन के दौर के सामाजिक सरोकार अब खत्म हो चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि छोटे शहरों में प्रभावी कहानीकारों की कमी नहीं है।

नैनीताल में आयोजित फिल्म फेस्टिवल कौतिक में पहुंचे कलाकार ऐहसान ने बताया कि ससुराल सिमर का, प्रतिज्ञा, अंबरधारा, माता की चौकी समेत करीब तीन दर्जन सीरियल्य की कहानी लिख चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहाड़ की थीम और पहाड़ के बच्चों पर आधारित फिल्म आखिरी मुनादी 18 देशों में आयोजित अंतराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में चयनित हुई। पहाड़ पर आधारित अनाम फिल्म को एक लाख बच्चों ने देखा।

फिल्म निर्माता व शिक्षक मनमोहन चौधरी के अनुसार वर्तमान समय में उत्तराखंडी मे मनोरंजन टीवी चैनल की जरूरत महसूस की जा रही है। सरकार को भले ही निजी क्षेत्र का सहयोग लेना पड़े, इस दिशा में कदम बढ़ाने होंगे, तभी आंचलिक फिल्मों का दायरा बढ़ सकेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रतिभा की कमी नहीं हैं। लोक कलाकार बेहतर काम कर रहे हैं, मगर संसाधनों की कमी आड़े आ रही है। कहा कि आज जो भी फिल्म या वीडियो बना रहे हैं, सभी शौकिया तौर पर काम रहे हैं।