कपकोट की राजनीति में अचानक आया भूचाल आ गया है। विधानसभा-2022 के चुनाव में ऐसा लग रहा कि कांग्रेस-भाजपा के कार्यकर्ता-पदाधिकारी अपनी ही पार्टियों के ही दुश्मन बन गये हैं।
भाजपा के टिकट फाइनल होते ही कपकोट से दावेदारी कर रहे पूर्व विधायक शेर सिंह गढ़िया बगावत पर उतर आए हैं। उन्होंने भाजपा से इस्तीफे की धमकी दी है। भाजपा हाईकमान शेर सिंह गढ़िया को मनाने में जुटी गयी है।
कल शाम तक हलचल थी कि आज कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम घोषित हो जाएंगे, लेकिन इसी हलचल के बीच कांग्रेस के एक नेता फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट वायरल हो गयी। इसमें पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि वे 26 जनवरी को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।
फिर क्या था? इस फेसबुक अकाउंट से हुई पोस्ट को लेकर लोग रातभर इसमें ही उलझे रहे और जब कपकोट से कांग्रेस की दावेदारी कर रहे ललित फर्स्वाण को इस मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने ऐठानी को फोन मिलाने की कोशिश की, लेकिन ऐठानी का फोन स्विच ऑफ बता रहा था। वे हल्द्वानी से रातों-रात अपने घर पहुंचे और पूर्व दर्जा मंत्री राजेंद्र टगढ़िया को लेकर हरीश ऐठानी के घर गए।
इस बाबत ऐठानी उन्हें बताया कि बीती शाम को उनका मोबाइल कहीं गुम हो गया था, जिसके बाद उन्हाेंने मोबाइल ढूंढने की बहुत कोशिश की, लेकिन उनका मोबाइल नहीं मिला और उनकी आईडी से हुई पोस्ट से लोगों और कार्यकर्ताओं में हड़कंप मचा हुआ है।
इसके बाद कांग्रेस कपकोट विधानसभा के उम्मीदवार ललित फर्स्वाण और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने फेसबुक पर उनके कार्यकर्ता दीपक गाढ़िया की आईडी से एक लाइव प्रोग्राम किया, जिसमें उनका कहना है कि यह सरासर विपक्ष की चाल है जो उनके कार्यकर्ताओं को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हरीश ऐठानी और ललित फर्स्वाण एक हैं और सालों से एक साथ मिलकर कपकोट की सेवा कर रहे हैं।
अब इस पूरे मामले में यह समझना मुश्किल है कि आखिर मामले की सच्चाई क्या है? क्या यह सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट्स है या फिर दोनों मजबूत पार्टियां अपने ही लोगों के आपसी विद्रोह से किसी अन्य पार्टी को अनजाने में ही सही, लेकिन फायदा पहुंचा रही हैं।




















































