बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा जहाँ एक तरफ देश में धर्म के नाम पर दंगा-परसाद करने वालों की कमी नहीं है तो वहीँ तीर्थ नगरी ऋषिकेश में हिन्दू के इस पर्व को एक मुस्लिम परिवार कई पीढ़ियों से मनाता आ रहा है।
ऋषिकेश में रावन दहन के पीछे एक अनोखी एकता की मिसाल सन 1964 से कायम है, यहाँ एक मुस्लिम परिवार तीन पीढी से हिन्दुओ की आस्था के पर्व में रंग भरता आ रहा है जो हिन्दू-मुस्लिम की एकता की एक मिसाल है। पूरे देश असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी की तैयारी जोरो पर है। दशानन के पुतलो को अंतिम रूप दिया गया, कलाकार अपनी कड़ी मेहनत से रावन के पुतले को साल-दार-साल नए रूप में ढालते है।

ऋषीकेश में रावन के पुतले को कई सालो से बनाते आ रहे सफिक अहमद का इस पर्व के साथ गहरा नाता है, इस परिवार की तीसरी पीढी रावन के पुतले को नया आकर दे रही है। जो हिन्दू मुस्लिम एकता की एक मिसाल है साथ ही हिन्दुओ के त्योहारों में रंग भरने वाले इस परिवार का कहना है सभी लोग एक कुनबे की तरह हमारी मेहनत दिलो को जोडती है।
दशहरा कमेटी भी नए-नए प्रयोग करके सालो से इस कार्य को करती आ रही है, लेकिन इस साल वजय से भी कमिटी को कुछ दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है, दशहरा कमिटी के संयोजक राहुल शर्मा का कहना है की कमिटी द्वारा साल दर साल दशहरा त्यौहार की सारी तैयारियां की जाती है, जिसमे छेत्र के कई लोग और संस्था भी उनका साथ देते है लेकिन इस बार जीएसटी का असर हमारी कमिटी पर भी पड़ा है। हिन्दू पर्व में मुस्लिम कारीगरों कि भागीदारी उन तमाम लोगो के लिए सबक है जो हमारी एकता अखंडता को तोडना चाहते है, ऋषिकेश में तीन पीडियों से हिन्दुओ कि आस्था में रग भरता ये मुस्लिम परिवार आपसी भाईचारे कि एक नयी मिसाल है।





















































