कुलपति के आदेशों को ‘ठेंगा’ दिखा रहे निजी आयुर्वेद संस्थान

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देहरादून। भले ही आयुर्वेद विश्वविद्यालय में ‘निजाम’ बदल गए, लेकिन निजी आयुर्वेद कॉलेजों के मिजाज बदलने का नाम नहीं ले रहे हैं। आलम यह है कि विवि के नए कुलपति के तीन दिन पहले सभी फैकल्टी के आधार अपडेट करने के आदेशों को संस्थानों ने ठेंगे पर रख दिया। तीन दिन बीत जाने के बाद भी विवि को संस्थानों ने कोई डाटा उपलब्ध नहीं कराया है। संस्थानों को 22 दिसम्बर शाम पांच तक हर हाल में डाटा भेजना है।

बीते काफी वक्त से आयुर्वेद विवि में कई गड़बड़ियां सामने आईं। इनमें कभी नियुक्तियों के मामले तो कभी समितियों में बाहरी लोगों को दखल। इसके अलावा फर्जी फैकल्टी जैसे मामले भी सामने आते रहे। लेकिन, बीते 16 दिसम्बर को निजाम बदलते विवि में सुधार की उम्मीदें जगी थी। विवि का जिम्मा संभालते ही कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार ने निजी आयुर्वेद और होम्योपैथिक कॉलेजों में फर्जी ऑनपेपर फैकल्टी से जुड़ी तमाम जानकारियों को आधार कार्ड के साथ विवि में जमा कराने के निर्देश दिए थे। प्रो. कुमार ने यह तेवर निजी आयुर्वेद और होम्योपैथिक कॉलेजों में फर्जी आनपेपर फैकल्टी पर रोक लगाने के लिए अपनाए थे। इसके लिए संस्थानों को तीन दिन का समय भी दिया गया था। लेकिन, संस्थानों के कानों पर इन आदेशों को लेकर जूं तक नहीं रेंगी। आदेशों के मुताबिक, अंतिम तिथि भी गुजरने के बाद संस्थानों ने कोई डाटा विवि को मुहैया नहीं कराया। 

22 तक अनिवार्य रूप से भेजनी है जानकारी
विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति ने कहा कि आए दिन संबद्ध परिसरों एवं निजी संस्थानों द्वारा कागजों में फर्जी शिक्षकों व चिकित्सकों की लंबी चौड़ी सूची दिखा कर सम्बंधित चिकित्सा परिषदों एवं विश्ववविद्यालय से मान्यता लेने का काम किया जा रहा है। लेकिन अब यह सब संभव नहीं होगा। कुलपति ने संस्थाओं की शिकायतों का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए सभी संस्थाओं से फर्जीवाड़ा समाप्त करने और शैक्षणिक कार्यो के उन्नयन के लिए उपलब्ध शिक्षकों और चिकित्सकों का ब्यौरा तलब किया है। कुलपति ने बताया कि संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द फैकल्टी का ब्यौरा भेजें। 22 दिसम्बर तक साफ्ट व हार्ड कॉपी में सभी जानकारी संस्थानों द्वारा अनिवार्य रूप से भेजी जानी है। जो संस्थान ब्यौरा नहीं भेजेंगे, उन पर कार्रवाई की जाएगी।

आधार के साथ देना है पैन कार्ड नंबर
विश्वविद्यालय में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के परिसर ऋषिकुल व गुरुकुल के निदेशक, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय मुख्य परिसर के प्रभारी अधिकारी के साथ ही समस्त निजी आयुर्वेद/होम्योपैथी व यूनानी महाविद्यालयों के प्रभारी और अधीक्षकों को लिखित रूप में फैकल्टी की जानकारी भेजने का निर्देश दिया गया है। जानकारी में संस्थानों को शिक्षकों को चिकित्सक का नाम, पदनाम, विभाग, शैक्षिक योग्यता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, स्थाई पता, वर्तमान पता, आधार कार्ड नंबर व बैंक अकाउंट नंबर के साथ ही पैन कार्ड नंबर भी मांगा है। विशेषज्ञों की माने तो विवि के इस कदम से दो-दो जगह सेवाएं देने वाले शिक्षकों के फर्जीवाड़े पर तो लगाम लगेगी। साथ ही ऐसे संस्थान जो केवल कागजों में ही फैकल्टी दर्शाने का कार्य करते हैं, उनके
कारगुजारियां भी सामने आएंगी।

उधर, कुलसिचव प्रो. अनूप कुमार गक्खड़ ने बताया कि विवि के तीनों परिसरों और समस्त निजी कॉलेजों से जानकारी मांगी गई थी। इसमें अभी तक बस मुख्य परिसर ने ही जानकारी मुहैया कराई है। ऐसे में अन्य संस्थानों को रिमाइंडर भेजा गया है।