सियासत में हरीश रावत फिर बने चर्चा का केन्द्र

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    हरीश रावत

    उत्तराखंड विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद हरीश रावत हमेशा की तरह सियासत में फिर भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों के लिए चर्चा बने हुए हैं। भाजपा का कहना है कि हरीश रावत अपने पद और दायित्व से इतर सत्ता के लिए स्वार्थी बनते जा रहे हैं। कांग्रेस में हरीश रावत के चाल और बयान पर सबकी नजर आगामी परिणामों पर टिकी हुई है।

    पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत हमेशा अपने अंदाज को लेकर चर्चा में रहते हैं। कभी पार्टी को लेकर तो कभी उत्तराखंडियत की बात से अपने विरोधियों पर हमेशा भारी पड़ते हैं। पहाड़ी व्यंजनों की ब्रांडिंग और पार्टी पहले भी अलग अंदाज में चर्चा का विषय बनता रहा है। उनका यह व्यापक प्लान हमेशा अन्यों से अलग उनको सुर्खियों में लाकर खड़ा कर देता है। मतदान के बाद अब हरीश रावत हर दिन अपने नए-नए शिगूफे छोड़ रहे हैं। भाजपा के साथ-साथ उनके दल के नेताओं के लिए उनके बयान के सियासत में अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं।

    यही कारण है कि भाजपा को विकास और घोषणा पर घेरने की उनकी चतुराई मतदान के बाद लोगों की समझ से परे लग रही है। कांग्रेस में हरीश विरोधी गुट भी उनके फन को लेकर चिंतित है। इस बात को लेकर कांग्रेस में अंदरखाने गुटबाजी की बात की जा रही है। हालांकि कांग्रेस नेता उनके अनुभव और वरिष्ठता की बात कह कर विषय पर बोलने से परहेज करते आ रहे हैं। भाजपा भी इस पर चुटकी लेने और कटाक्ष करने से बाज नहीं आ रही है। भाजपा का कहना है कि खेमे में बंटी कांग्रेस खुद को मुख्यमंत्री बनने की अभी से लालसा पालने से अच्छा होता विकास पर ज्यादा ध्यान देती।

    भाजपा प्रदेश प्रवक्ता रवींद्र जुगन ने कहा कि अभी चुनाव परिणाम आने बाकी हैं लेकिन कांग्रेस में मुख्यमंत्री के नाम की खुद से घोषणा की जा रही है। ऐसे में कांग्रेस नेताओं का यह बयान हास्यास्पद है। हरीश रावत ऐसे बयान लगातार देते हुए आए हैं। उन्होंने कहा कि हरीश रावत केन्द्र सरकार में मंत्री के साथ बड़े पदों पर कार्य किया है लेकिन उनके इस बयान से कहीं ना कहीं यह प्रतीत होता है कि वह स्वार्थी हो चुके हैं।

    कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसोनी ने कहा कि मुख्यमंत्री का सपना देखना हर व्यक्ति का अधिकार है और कांग्रेस के बड़े नेता भी इसी बात को चर्चा कर रहे हैं। भाजपा में तो अपने ही प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ षड्यंत्र रचा जा रहा है, जो गंभीर मामला है। जहां उनके ही विधायक अपने ही प्रदेश अध्यक्ष को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। यह भाजपा के लिए अच्छी बात नहीं है। भाजपा को पहले अपने घर को संभालना चहिए।