लिंग अनुपात में पिथौरागढ का नाम आंठवें स्थान पर

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आधी आबादी को लेकर पिथौरागढ़ जिले की तस्वीर बेहद डरावनी है। बेटियों की तादात जिले में तेजी से घट रही है। लिंगानुपात के मामले में देश के सबसे संवेदनशील जिलों में शामिल हो गया है। जिला देश के दस सबसे संवेदनशील जिलों में आठवें स्थान है। ताजा आंकड़ों ने प्रशासन की माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। प्रशासन ने बेटियों की संख्या में इजाफे के लिए 27 मई तक विस्तृत कार्ययोजना बनाने का काम शुरू कर दिया है।

जिले में वर्तमान में लिंगानुपात का आंकड़ा प्रति 1000 पुरुषों पर 914 महिलाओं का है। स्वास्थ विभाग का यह आंकड़ा डराने वाला नहीं है, दरअसल 0 से 6 आयु वर्ग के बच्चों के आंकडे़ डरावने हैं। यह आंकड़ा प्रति एक हजार बालकों पर 800 से भी कम बालिकाओं तक पहुंच चुका है। यही असली चिंता का विषय है, इसी के चलते जिले को देश के दस सबसे संवेदनशील जिलों में आठवें स्थान पर रखा गया है।

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी सी.रविशंकर ने शनिवार को प्रसव पूर्व निदान टास्क फोर्स की बैठक बुलाई। जिलाधिकारी ने बालिकाओं की घटती संख्या के मामले में देश भर में जिले का आठवें स्थान पर होना गंभीर मामला बताया। डीएम ने स्वास्थ विभाग को 27 मई तक बालिकाओं की संख्या में इजाफा करने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने जिले में लगाए गए अल्ट्रासाउंड केंद्रों में ट्रेकिंग डिवाइस लगाए जाने के साथ ही समय-समय पर इन केंद्रों का निरीक्षण करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

सीमांत जिले के अंतर्गत आठ विकास खंड हैं। इन विकास खंडों में मूनाकोट, कनालीछीना और गंगोलीहाट में बेटियों की संख्या घट गई है। स्वास्थ विभाग ने फिलहाल इन विकास खंडों के आंकड़े जारी नहीं किए हैं। पीसीपीएनडीटी की बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. ऊषा गुंज्याल ने इसकी जानकारी दी।