जोशीमठ भू-धंसाव: स्थाई पुनर्वास की मांग को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतरे

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जोशीमठ

जोशीमठ भू-धंसाव संकट के एक महीने बाद भी स्थाई पुनर्वास-विस्थापन न होने एवं एनटीपीसी परियोजना एवं हेलंग-मारवाड़ी बाईपास को बन्द करने पर कोई फैसला न होने से नाराज हजारों लोगों ने शुक्रवार को जोशीमठ नगर में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया।

आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतिर्मठ-जोशीमठ नगर भू-धंसाव का दंश झेल रहा है। केंद्रीय एजेंसियां सर्वेक्षण कर चुकी हैं। कुछ सर्वेक्षण के कार्य में भी जुटी हैं, लेकिन वास्तविक भूगर्भीय स्थिति क्या है?इसे लेकर जोशीमठ में निवासरत पांच हजार से अधिक परिवार अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैं।

भूगर्भीय रिपोर्ट का पूरी तरह से खुलासा ना होना भी प्रभावितों की चिंता बढ़ा रहा है। सरकार की हीलाहवाली व स्थाई पुनर्वास/विस्थापन को लेकर कोई निर्णय नहीं लिए जाने से लोगों के सब्र का बांध भी टूटता जा रहा है, जिसकी एक झलक शुक्रवार को जोशीमठ के सड़कों पर भी दिखी।

अभूतपूर्व हुजूम, चेहरे पर मायूसी, हाथों में बैनर लिए हजारों लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर ये स्पष्ट किया कि एनटीपीसी की विनाशकारी परियोजना एवं हेलंग-मारवाड़ी बाईपास को बंद करना ही होगा।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत हजारों लोग बद्रीनाथ तिराहे, जीआईसी चौक पर एकत्रित हुए जहां से ढोल नगाड़ों व नारेबाजी के साथ जुलूस शुरू हुआ, जो पूरे शहर से घूमता हुआ संस्कृत महाविद्यालय के प्रांगण में पहुंचकर सभा में तब्दील हुआ। यहां वक्ताओं ने जोशीमठ भू-धंसाव पर सरकार की नीति व लापरवाही पर जबर्दस्त प्रहार किया।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह सरकार अभी तक भू-धंसाव की चपेट में आए घर-मकानों का आंकलन तक नहीं कर सकी। मकान ध्वस्त किये जा रहे हैं लेकिन यह नहीं बताया जा रहा है कि मुआवजा कितना देंगें। उन्होंने कहा कि पिछले 14 महीनों से लगातार दी जा रही चेतावनी की अनदेखी की जाती रही और अभी तक भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं।

अतुल सती ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को धाकड़ तो बताया जा रहा है, लेकिन जोशीमठ की आपदा के बाद यह साबित कर दिया है कि वे धाकड़ नहीं सबसे कमजोर मुख्यमंत्री साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि अफसर एनटीपीसी की दलाली में मस्त हैं और जनता त्रस्त है। जोशीमठ के पांच हजार परिवारों के जीवन रक्षा व भविष्य की जिम्मेदारी उत्तराखंड सरकार की है।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष, पालिका अध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार ने कहा कि जनता जब जागरूक होती है तो पूरे क्षेत्र का समग्र विकास होता है। उन्होंने जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर जोशीमठ पहुंचे लोगों का आभार व्यक्त किया।