नैनी झील को बचाने ख़ास और आम पहुँचे सीएम के दरबार

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विश्व प्रसिद्ध नैनी झील की हालत को लेकर अब दिन पर दिन चिन्ता बढ़ती जा रही है। शहर के जागरूक लोगों व पर्यावरणविदों का मानना है कि अब तक बचे वैटलैंड यानि जलागम क्षेत्रों को बचाना पहला कदम होना चाहिए। नैनी झील के लगातार जल स्तर गिरने का कारण नैनीताल के जलागम क्षेत्रों में अंधाधुंध निर्माण कर उन्हें कंक्रीट के जंगलों में तब्दील करना ही रहा। एक दर्जन से अधिक जलागम क्षेत्रों में आज मानव बस्तियां बस गई है। वैटलैंड चिन्हित नहीं होने से कई स्थानों में सरकारी आवास बन गये। भू-गर्भ शास्त्रियों के अनुसार नैनी झील के जिन जलागमों को पुनर्जीवित करने की सम्भावना है उन्हें फिर विकसित किया जाना चाहिए। जिनमें प्रमुख रूप से सूखाताल, शेरवुड, टिफिन टॉप व अन्य स्थल हैं। आज नैनी झील की गहराई गाद के कारण दो से चार मीटर तक कम हो गई है। जलागम क्षेत्रों का संरक्षण व गाद को नहीं रोका गया तो दो दशक के बाद नैनी झील का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा। नैनी झील के सूखाताल जलागम को बचाने के लिए अदालत में लड़ाई लड़ रहे पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत का कहना है कि नैनी झील के जलागम क्षेत्रों को नये सिरे से चिन्हित किया जाना चाहिए। अतीत में नैनी झील के एटीआई, पुराना राजभवन, कलक्ट्रैट हाईडिल कालोनी, सूखाताल, शेरवुड कॉलेज पार्किग, आयारपाटा, शेर का डांडा, टिफिनटाप आदि स्थल जलागम क्षेत्र थे जिनमें अब निर्माण कार्य कर दिये गये हैं। अगर समय पर जरूरी कदम नहीं उठाये गये तो झील का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा।

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सोशल मीडिया की मदद से हो रहे प्रयास

नैनीताल की प्रसिद्ध नैनी झील को बचाने के लिए शहर के कुछ युवाओं ने सोशल मीडिया का सहारा लिया है। युवाओं का यह ग्रुप नैनी झील के लिए सोशल मीडिया पर समर्थन तैयार कर रहा है। सोशल मीडिया की मदद से वॉलनटिअर्स तलाशे जा रहे हैं ताकि घर-घर जाकर जागरूकता फैलाई जा सके। 20 से 30 साल के युवाओं के एक ग्रुप ने वाट्सऐप पर ‘सेव नैनी लेक’ नाम से एक ग्रुप बनाया है। इस ग्रुप का इस्तेमाल झील से जुड़ी सूचनाओं और कार्यक्रमों को फैलाने के लिए किया जा रहा है।

हस्ताक्षर अभियान चलाया, शुभा मुदगल ने करायी उपस्थिति दर्ज

विश्व प्रसिद्ध नैनी झील को बचाने के लिए अब हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसमें अब तक एक हजार लोगों ने अपने हस्ताक्षर किये है और इन हस्ताक्षरों के अभी और भी बढने की सम्भावना है। सोशल मीडिया से जुड कर लोगों को इस मुहिम से जोडा जा रहा है जिसमें क्लासिकल सिन्गर शुभा मदगल ने भी अपनी सहमती दर्ज की है। शुभा मुदगल ने वाट्सअप पर दो लाईनों में अपनी बात रखते हुयें कहा कि उनके परिवार का उत्तराखण्ड और कुमाऊं से विशेष नाता रहा है यही वजह है कि वो देवभूमि के बहुत करीब है और नैनी झील का दर्द उनको झकझोर रहा है। जिसके लिए शुभा मुदगल ने कुछ उपाय भी सुझाये है साथ ही अपनी उपस्तिथि दर्ज करते हुए इस मुहिम में सहभागी बताया है।वहीं इस हस्ताक्षर के ज्ञापन को मुख्यमंत्री को देकर इसपर जल्द कार्य करने की मांग की जा रही है।