गंगोत्री नेशनल पार्क में पांच साल में तीन स्नो लेपर्ड की मौत, पार्क प्रशासन चिन्तित

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जिले के गंगोत्री नेशनल पार्क में पिछले पांच साल में तीन हिम तेंदुओं की मौत हो चुकी है। इससे गंगोत्री नेशनल पार्क प्रशासन चिंतित है। पार्क बनने से 2015 तक के 25 सालों में पार्क प्रशासन के अनुसार एक भी स्नो लेपर्ड की मौत की सूचना नहीं थी।
बीते मंगलवार को मादा हिम तेंदुए की मौत के बाद पर्यावरणविदों ने हिम तेंदुओं के संरक्षण के लिए चलाए जा रहे अभियान और योजनाओं पर सवाल खड़ा किया है। पार्क प्रशासन का कहना है कि हिम तेंदुओं की मौत की रिपोर्ट में प्राकृतिक लक्षण पाए गए हैं।
गंगोत्री नेशनल पार्क की स्थापना सितंबर1989 में हुई थी। इसमें नेलांग घाटी सहित गंगोत्री घाटी के गौमुख, तपोवन आदि के करीब 2,390 स्क्वायर किमी क्षेत्र को शामिल किया गया था। तब से लगातार दुर्लभ प्रजाति के स्नो लेपर्ड के संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। अभी तक पार्क में स्नो लेपर्ड की गिनती नहीं हुई है। इसके लिए भारतीय वन्य जीव संस्थान ने पिछले साल 276 और पार्क प्रशासन की ओर से 36 कैमरे वन्य जीवों के संरक्षण और गिनती के लिए लगाए थे। हालांकि वन्य जीव संस्थान के अनुसार अभी 30 से 35 हिम तेंदुओं की संख्या की संभावना जताई गई है।
गंगोत्री नेशनल पार्क के डीएफओ नंद वल्लभ शर्मा का कहना है कि साल 2015 में पार्क की नेलांग घाटी में स्नो लेपर्ड की मौत हुई थी। उसके बाद 2018 में नेलांग घाटी में ही पागल नाले में एक स्नो लेपर्ड का शव मिला था। बीते मंगलवार को दुमकुटिया के समीप एक स्नो लेपर्ड की मौत हुई। डीएफओ ने कहा कि बीते मंगलवार को 7 वर्षीय मादा हिम तेंदुआ की मौत हुई। पूर्व में दो हिम तेंदुओं की जो रिपोर्ट आई है, उसमें मौत का कारण प्राकृतिक है। रिपोर्ट में पाया गया कि लंबे समय से भोजन न कर पाने के कारण उनकी मौत हुई है। मादा स्नो लेपर्ड का बिसरा भी जांच के लिए भेज दिया गया है।