हरिद्वार में लागू नहीं होगा एनजीटी का आदेश

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरिद्वार से लेकर उत्तर प्रदेश के उन्नाव तक जिन जगहों पर गंगा बह रही है उन जगहों पर गंगा किनारे 100 मीटर तक के दायरे में कोई भी निर्माण कार्य नहीं होने के आदेश दिए हैं। इसी के साथ ही एनजीटी ने यह आदेश दिया है कि गंगा में अगर कोई व्यक्ति कूड़ा करकट फेंकता हुआ पाया गगा तो उस पर 50 हजार तक का जुर्माना लग सकता है।

हरीश रावत सरकार के कारण एनजीटी का आदेश मान्य नहीं
बता दें कि हरिद्वार की हर की पैड़ी से लेकर शहर के बीचों-बीच बह रही पतित पावनी मां गंगा के लिए एनजीटी का ये आदेश मान्य योग्य ही नहीं होगा। ऐसा इसलिये क्योंकि सरकारी अभिलेखों में हर की पौड़ी सहित हरिद्वार में बह रही गंगा नदी है ही नहीं। दरअसल, पिछली कांग्रेस सरकार में हरीश रावत ने शहर के डेवलपमेंट और कुछ योजनाओं के तहत गंगा नदी को कैनाल का दर्जा दे दिया था जिसके बाद सरकारी कागजों में हरिद्वार हर की पौड़ी सहित पूरी गंगा, गंगा नहीं, बल्कि एक सामान्य नदी है।

तीर्थ पुरोहितों ने किया था विरोध
हरीश रावत के इस आदेश के बाद हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों ने भी इसे गलत ठहराते हुए राज्य सरकार को उस समय इस निर्णय को बदलने आग्रह किया था। साथ ही विरोध भी किया था लेकिन हरीश रावत के रहते हुए ऐसा हुआ नहीं।

बीजेपी सरकार ने नहीं पूरा किया वादा
राज्य में बीजेपी की सरकार को आए हुए चार महीने का वक्त बीत गया और हरिद्वार में आने के बाद सीएम त्रिवेंद्र ये वादा कर गए थे कि जल्द ही इस आदेश को बदला जाएगा लेकिन ऐसा भी अभी तक नहीं हुआ और आज भी हालात जस के तस हैं।

आदेश नहीं बदले जाने तक गंगा होती रहेगी मैली
एनजीटी के आदेश के बाद सभी खुश हैं कि एनजीटी की तरफ से अच्छा आदेश जारी हुआ है लेकिन हरिद्वार में जबतक ये आदेश नहीं बदलेगा तब तक ना जाने कितने निर्माण हो चुके होंगे और गंगा मैली होती रहेगी।

तीर्थ पुरोहितों के सरकार से सवाल
हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार पहले ये बताए कि जिस गंगा में सालों से कुम्भ और हजारों मेले लग रहे हैं वो नदी में लग रहे हैं या गंगा में। पुरोहित उज्वल पंडित का कहना है कि, ‘सरकार को ये साफ करना चाहिए। हरिद्वार में भक्त किस में डुबकी लगा रहे हैं?’ पुरोहितों का कहना है कि वो एक बार फिर से राज्य की बीजेपी सरकार से मांग करेंगे कि हरीश रावत की सरकार में जो आदेश हुए थे उसे जल्द बदला जाए।

हरीश रावत को करना पड़ा विरोध का सामना
ऐसा नहीं है कि हरीश रावत को इस आदेश को करने के बाद विरोध का सामना ना करना पड़ा हो। पिछले दिनों हर की पौड़ी पर उपवास के लिए पहुंचे हरीश रावत को कुछ पुरोहितों ने घेर लिया था। उनका कहना था कि जब आप हरिद्वार में गंगा को गंगा मानते ही नहीं तो आप यहां उपवास के लिए क्यों आते हैं। उस वक्त फजीहत देखते हुए रावत ने ये कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि वो मौजूदा सरकार से उस आदेश को बदलने की मांग करेंगे।

गंगा को गंगा न कहें तो क्या कहें
गौर हो कि हरिद्वार में भीमगौड़ा बैराज से एक जल की धारा को शहर यानी हर की पौड़ी की तरफ निकाला गया है जिसको रामधारा कहते हैं। सरकारी अभिलेखों में नहर का दर्जा दिया है जबकि ऋषिकेश से सीधे-सीधे आ रही नीलधारा को गंगा माना जाता रहा है। इस नदी से सीधे उत्तर प्रदेश के उन्नाव ही नहीं, कई राज्यों में इसी से जल जाता है।