न्यूज इंम्पेक्टःडाॅक्टर के सस्पेंशन को लेकर महिला आयोग की टीम पहुंची एम्स ऋषिकेश

    महिला डॉक्टर को नौकरी से निकाले जाने पर एम्स, ऋषिकेश फिर से विवादों में घिरता नजर आ रहा है। आपको बता दें महिला डॉक्टर निहारिका नैथानी एम्स में दंत चिकित्सा विभाग में सीनियर रेजीडेंट की तरह काम कर रहीं थी, जब 12 मई को एम्स ने बिना ‘नोटिस दिए कारण बताएं’ मैटरनिटी लिव पर गई महिला डॉक्टर को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था, जिसको newspost ने प्रमुखता से दिखाया।

    aiims rishikesh

    महिला आयोग ने इस खबर पर संज्ञान लेते हुए ऋषिकेश एम्स में कई घंटों तक पूछताछ की। गौरतलब है कि महिला आयोग की टीम पहुंचते ही डायरेक्टर कुछ दिन पहले ही कार्यालय से निकल गए जबकि उन्हें टीम की आने की सूचना पहले से थी।उधर एम्स के डेप्यूटी डायरेक्टर (एडमिन) अंशुमन गुप्ता ने इस बारे में कहा कि, ”निहारिका का प्रदर्शन काम को लेकर संतोषजनक नहीं था जिसके आधार पर उनको सस्पेंड करना ही विकल्प था।” निहारिका नैथानी की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एनसीडब्ल्यू की एक टीम ने इस मामले की जांच के लिए शुक्रवार को एम्स ऋषिकेश से मुलाकात की थी। टीम की सदस्य रेखा शर्मा ने बताया कि “शुरुआती जांच में युवा चिकित्सक की सेवाएं समाप्त करने में एम्स की कई खामियां नजर आई। इस मामले में कई कमियां हैं जो धीरे-धीरे सामने आऐंगी। हालांकि हमने हमारी आने की जानकारी पहले ही अस्पताल को दे दी थी लेकिन, न तो एम्स के निदेशक और न ही रजिस्ट्रार मौजूद थे। उसके बाद रजिस्ट्रार को बाद में बुलाया गया तो हमें कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण संस्थान से नहीं मिला। हमने उन्हें जवाब देने के लिए समय दिया है और फिर से इस मामले का फाॅलोअप लेंगे।”

    महिला आयोग का कहना है कि एम्स की इस हरकत से महिला डॉक्टर का मानसिक उत्पीड़न हुआ है जिसके चलते उसकी डिलीवरी में भी असर देखा गया और उसके दुष्परिणाम उसके बच्चे पर भी पड़ा। महिला की डिलीवरी की तारीख जुलाई में थी लेकिन 15 जून को ही उसकी डिलीवरी करनी पड़ी। नवजात बच्चे को कुछ दिनों तक वेटिलेटर पर भी रखा गया। निहारिका ने एम्स पर आरोप लगाया है कि, “मुझे सस्पेंड करने के बाद किसी अन्य उम्मीदवार को शामिल करने की एक साजिश की गई जो कि एक मशहूर राजनीतिज्ञ से संबंधित है,” हालांकि निहारिका ने सवाल में राजनेता के बारे में खुलासा करने से इनकार कर दिया। “यह एक साजिश है, वह इस बात से स्पष्ट है कि मैं 29 मई को मैटरनिटी लीव पर गई थी और 2 जून को मुझे टर्मिनेशन लेटर दे दिया गया, जिसपर आश्चर्यजनक रुप से तारीख 12 मई है। निहारिका ने कहा कि सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि मैटरनिटी बेनिफिट एमेंडमेंट, 2016 को हुए एक साल भी पूरा नहीं हुआ है लेकिन फिर भी यह सरकारी संगठनों द्वारा इसकी अनदेखी की जा रही है।

    आपको बता दें की ऋषिकेश एम्स हमेशा से ही विवादों के लिए पहचाना गया है। कभी डॉक्टरों की कमी, तो कभी दवाइयों के लिए परेशान होते मरीज, लेकिन इस बार मामला अपने ही महिला डॉक्टर को बिना कारण सस्पेंड करने का है। ऋषिकेश एम्स में कार्यरत सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर निहारिका नैथानी धामी, एम्स डायरेक्टर डॉक्टर रविकांत के साथ-साथ चार अन्य सीनियर डॉक्टर पर आरोप लगाया है की मैटरनिटी लीव के दौरान उन्हें कार्य से सस्पेंड कर दिया गया है। 9 जून को महिला डॉक्टर ने राष्ट्रीय महिला आयोग को शिकायत की, की ऋषिकेश एम्स के सीनियर डॉक्टर ने उन्हें मैटरनिटी लीव के दौरान बिना कोई कारण बताए सस्पेंड कर दिया।