हरिद्वार की जेल में कैद हैं आदमखोर गुलदार, काट रहे गुनाहों की सजा

0
426
हरिद्वार,  समाज में सभी को शांति और सुरक्षा का एहसास हो इसी के लिए विधि निर्माताओं ने कानून बनाया। कानून के तहत ही सजा का प्रावधान भी रखा गया। जहां कानून का पालन न हो उस जगह को जंगलराज की संज्ञा दी जाती है। जंगल ही एक जगह है जहां जानवरों के लिए कोई कायदे-कानून नहीं होते, लेकिन उत्तराखंड में एक जगह ऐसी भी है जहां जानवरों को गुनाह करने पर सजा दी जाती है और जेल भी जाना पड़ता है।
हरिद्वार के चिड़ियापुर रेंज में सालों से सात आदमखोर गुलदार बंद हैं। उत्तराखंड में करीब 35 हेक्टेयर में फैला वन विभाग का चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर घायल जानवरों के उपचार के लिए बनाया गया था। लेकिन अब इसमें पिछले कई सालों से सात आदमखोर गुलदार कैद हैं। हरिद्वार-नजीबाबाद रोड पर बना चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर इस समय सात आदमखोर गुलदारों के लिए जेल बना हुआ है, जहां ये गुलदार सालों से बंद है। क्योंकि ये इंसानों के कतल के दोषी हैं। इसलिए ये जंगल में नहीं पिंजरों में कैद हैं। यही इनका अब स्थायी निवास है। यहां से ये कभी जंगल नहीं जा सकते हैं। इन गुलदारों का एक समय में उत्तराखंड में आंतक हुआ करता था। इस वक्त यहां नंदू, बाबू, ममता और हिना जैसे खूंखार आदमखोर कैद हैं।
खास बात ये है कि मंगलवार को यहां कैद गुलदारों का उपवास रहता है। ये दिन में 3 किलो मीट खाते हैं। इनकी देखरेख में सात लोग हमेशा तैनात रहते हैं। गुलदारों को लिए पहले मीट यूपी के सहारनपुर जिले से लाया जाता था, लेकिन अब इनका खाना आसपास के इलाकों से ही आता है। इस बाड़े में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है पौड़ी से लायी गई मादा गुलदार। जिसने ना जाने कितने लोगों को अपना शिकार बनाया होगा, लेकिन अब इसके व्यवहार में काफी बदलाव आ गया है। अब ये मादा गुलदार पूरे स्टाफ के साथ बहुत खुश रहती है। उनके बुलाने पर उनके पास जाती है। हरिद्वार के डीएफओ आकाश खुद इन खूंखार कैदियों का पूरा ब्यौरा रखते हैं। कौन किस हालत में है इस पर हमेशा निगाह रखी जाती है। गुलदारों को किसी चीज की कमी न हो इस बात का भी ध्यान रखा जाता है।
डीएफओ ने बताया कि इन गुलदारों को बाहर छोड़ना संभव नहीं है। हालांकि कुछ के दांत भी गिर गए हैं और वो बाहर शिकार नहीं कर सकते हैं। बावजूद उन्हें बाहर नहीं छोड़ा जा सकता है।सात में से चार आदमखोर जो कभी भी इंसानों पर हमला कर सकते हैं। इसलिए इनकों यहीं देख रेख में रखा गया है।