EXCLUSIVE: जिन्दा लोगों के नाम गायब तो मुर्दे वोटर लिस्ट में शामिल

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    काशीपुर, निकाय चुनाव में प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची में खामी ही खामी है। तमाम कोशिश के बाद भी जिला प्रशासन शासन की मंशा पर खरा नहीं उतर सका।  इस सूची में तमाम ऐसे लोगों का नाम शामिल है जिनको मरे हुए कई साल का वक्त बीत चुका है. जबकि तमाम जीवित लोगों का नाम सूची में है ही नहीं, यह स्थिति प्रशासन की मेहनत और शासन की मंशा पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। इस बात का उदाहरण काशीपुर की निकाय चुनाव से पहले जारी हुई वोटर लिस्ट में देखा जा सकता है।

    निकाय चुनाव में शहरी क्षेत्रों के वार्डों के सभी वोटर मताधिकार का प्रयोग कर सकें इसके लिए मतदाता सूची दुरुस्त कराई गई थी। इस काम में सैकड़ों बीएलओ लगाए गए, काम ठीक हो इस बात की निगरानी के लिए जिले के कई अधिकारियों को नोडल बनाया गया। अफसरों की निगरानी में मर चुके लोगों का नाम काटने और जीवित का नाम मतदाता सूची में जोड़ने का काम हुआ।फिर भी बेदाग सूची नहीं तैयार हो सकी, निकाय चुनाव की मतदाता सूची में पर नजर डालें तो हालात बदतर दिखाई पड़ते हैं। सूची में दर्जन भर ऐसे लोगों का नाम शामिल है जिनको मरे कई साल का वक्त बीत चुका है, यही नहीं मरे हुे लोगों का नाम नहीं काटा और जो परिवार के लोग जिन्दा है उनका नाम  वोटर लिस्ट में शामिल ही नहीं किया गया।

    निकाय चुनावों में इस बार क्षेत्र तो बडा दिया गया, वार्डों की संख्या भी बडी और मेयर पद के लिए क्षेत्र का विस्तार भी हुआ लेकिन वोटरों की संख्या में कोई खास इजाफा नहीं हुआ, जबकि लोगों का कहना है कि पंचायत चुनावों में उनका वोटर लिस्ट में नाम था मगर क्षेत्र निगम में आने के बाद उनका नाम लिस्ट से ही कट गया, जबकि सेंकडों एेसे है जो पहले निगम में मताधिकार का प्रयोग कर चुके है उनका नाम इस बार लिस्ट में आया ही नहीं है। जिससे निकाय चुनावों में अपने मताधिकार से कई लोग वंचित रह जाएंगे।

    मताधिकार का प्रयोग करना हर नागरिक का अधिकार है। मगर उस नागरिक के अधिकार पर अधिकारियों की कार्यशैली एसा पलिता लगा रही है, कि मतदाता को उसके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। वोटर लिस्ट की खामियों के चलते जहां कई लोग मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पायेंगे वहीं नये मतदाताओं को भी इस बार लिस्ट में जोडने में अधिकारियों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी, जबकि लाखों रुपये खर्च कर वोटर लिस्ट दुरस्त की जाती है और अधिकारियों की पुरी टीम मतदाताओँ की सूची तैयार करती है, लेकिन खामियों भरी लिस्ट से कई लोग मताधिकार से वंचित होंगे तो मुर्दों भी वोटर लिस्ट में शामिल होकर किसको वोट देंगे ये सवाल प्रशासनिक तंत्र पर एक व्यंग बन गया है।