हिंदू और मुस्लिम भाईचारे की मिसाल है कांवड़ यात्रा

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हरिद्वार में शुरू होने जा रहा कांवड़ मेले में आपसी भाईचारे की बड़ी मिसाल देखी जा सकती है। यहां मुस्लिम परिवार कांवड़ियों की कांवड़ों को तैयार करते हैं। जिसमें इनकी जीविका भी है और आपसी भाईचारे की मिठास भी।
धर्मनगरी में शुरू होने जा रहा कांवड़ मेला एकता और भाईचारे का भी संदेश देता है। बता दें कांवड़ियों की कांवड़ों को यहां मुस्लिम समाज तैयार कर रहा है। कांवड़ियों के कंधों पर आप जिन सजी कांवड़ों को देखते हैं, वह मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा बनाई होती है। पिछले कई दशकों से 25 से ज्यादा मुस्लिम परिवार हरिद्वार में कांवड़ बना रहे हैं। मुस्लिम समाज के इन कारीगरों के अनुसार इससे ना केवल उनका रोजगार चलता है, बल्कि कांवड़ बनाना उनके लिए बडे़ शबाब का काम भी है। कांवड़ बनाने का काम पुरुष ही नहीं, बल्कि मुस्लिम महिलाएं भी करती हैं। कांवड़ बनाने वाली महिलाओं का कहना है कि वे लोग रोजे में रहकर भी कांवड़ बनाते हैं। वे कहती हैं कि भोले के लिए कांवड़ बनाने से उनके मन को शांति मिलती है। कांवड़ पूरी बनाने के बाद वे कांवड़ को ज्वालापुर से हरिद्वार हरकी पौड़ी बेचने जाते हैं। शिवभक्त जिस कांवड़ में गंगाजल लेकर भगवान नीलकंठ तक जाते हैं। उस कावड़ को मुस्लिम समाज के लोग महीनों पहले से बनाना शुरू कर देते हैं। मुस्लिम समाज का ये कार्य जहां आपसी भाई-चारे की अनूठी मिसाल पेश करता है, वहीं धर्म के नाम पर सियासत करने वालों को भी आइना दिखाता है।