आदेश नहीं माना तो जनवरी से वेतन नहीं: एचसी

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हाईकोर्ट

राज्य में प्राथमिक शिक्षा की दशा सुधारने को पूर्व में दिए गए निर्देशों का पालन तीन माह के भीतर नहीं करने पर राज्य के सभी शिक्षा अधिकारीयों के वेतन जनवरी 2018 से रोक दिए जाएंगे। एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने यह आदेश जारी किए।

राज्य के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर को देखते हुए हाई कोर्ट ने देहरादून निवासी दीपक राणा ने 2014 में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका में बदलकर 19 नवम्बर 2016 को सरकार को 10 बिन्दुओं की एक गाइडलाइन जारी की। इसमें प्राथमिक स्कूलों में डेस्क, ब्लैक बोर्ड, चेयर, यूनीफार्म, पंखे, हीटर, 10वीं तक मध्याह्न भोजन, शौचालय, हवादार स्कूल भवन, लैब, 2009 की सबके लिए अनिवार्य शिक्षा की नियमावली में संशोधन, मदरसों को दी जाने वाली 20 हजार की आर्थिक सहायता सर्वशिक्षा अभियान के तहत दिए जाने, पीने के पानी की उचित व्यवस्था किए जाने आदि की व्यवस्था तीन माह में किए जाने का आदेश दिया गया था। इसका पालन कराने की जिम्मेदारी सचिव शिक्षा को दी गई थी।
पूर्व में इन आदेशों का पालन नही किए जाने पर याचिकर्ता के अधिवक्ता ललित मिगलानी ने कोर्ट को अवगत कराया। कोर्ट की नाराजगी पर सचिव शिक्षा व सचिव वित्त को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए। इस पर कोर्ट ने आदेशों का पालन नहीं होने के क्रम में सरकारी विभागों में जरूरी सामग्री की खरीद को छोड़ते हुए लग्जरी सामग्री की खरीद पर रोक लगा दी थी। शुक्रवार को कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद आदेश दिए कि प्राथमिक स्कूलों की दशा सुधारने के लिए पूर्व में दिए गए 10 बिन्दुओ के निर्देशों का पालन तीन माह के अंदर करें और छह माह के अंदर सभी स्कूलों में डेस्क, ब्लैक बोर्ड आदि उपलब्ध कराए। अगर तीन महीने के भीतर निर्देशो का पालन नहीं होता है तो आगामी जनवरी 2018 से सभी शिक्षा अधिकारियो के वेतन पर रोक लगाने के आदेश भी कोर्ट ने दिए। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ में हुई।