नवरात्र पर्व संस्कार व संस्कृति का समावेशः स्वामी विज्ञानानंद

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हरिद्वार,  महामण्डलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि, “नवरात्र पर्व में साधना व्यक्ति में संस्कार-संस्कृति का समावेश कर स्वस्थ्य एवं समृद्ध जीवन का समावेश करती है। सृष्टि की रचना एवं नव सवंत्सवर से प्रारम्भ होने वाले इस अनुष्ठान को जो साधक सनातन परम्परा के अनुरूप पूर्ण करते हैं, उनके जीवन में उत्साह एवं आत्मबल की अनंत वृद्धि हो जाती है।”

विष्णु गार्डन स्थित श्री गीता विज्ञान आश्रम में  स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती शक्ति अनुष्ठान को संबोधित किया। सनातन धर्म एवं संस्कृति को सृष्टि की सर्वोत्तम व्यवस्था बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि मुनियों ने धार्मिक पर्वों का सृजन व्यक्ति के जीवन और उसके शरीर की आवश्यकताओं के अनुरूप किया है। धर्म के सापेक्ष आचारण करने वाला कभी बीमार, बुद्धि और धनहीन नहीं होता है।

नवरात्र साधना को व्यक्ति की दिनचर्या एवं रहन-सहन में सुधार का पर्व बताते हुए स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने कहा कि, “धर्म व विद्या हैं, जो व्यक्ति को कुमार्ग से हटाकर सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। यही कारण है कि सनानत धर्म के अनुयायी सम्पूर्ण सृष्टि में उच्च श्रेणी की मानवता वाली श्रेणी में माने जाते हैं।” उन्होंने सभी धर्मों को सन्मार्ग का प्रदाता बताते हुए कहा कि आर्यवर्त विभिन्न धर्म एवं संस्कृतियों का गुलदस्ता है और प्रत्येक व्यक्ति की अपने-अपने धर्म का सम्मान करना चाहिए।