भागीरथी नदी में करीब तीन किलोमीटर लंबी झील बनने से अब हर्षिल भी खतरे की जद में है। यह झील लगातार विस्तार ले रही है। जिलाधिकारी ने सोमवार को इस झील का निरीक्षण किया और अधिकारियों को झील के पानी के नियंत्रित निकासी के लिए जरूरी निर्देश दिए। डीएम ने हर्षिल और धराली पहुंच कर राहत व बचाव कार्यों का जायजा लिया।
दरअसल, धराली में 5 अगस्त को जल प्रलय जैसी स्थिति में हर्षिल में भी हजारों टन मलबा आर्मी कैंप को अपने साथ बहा ले गया। इसके बाद से सेना के कई जवान लापता हैं। भागीरथी में आए इस मलबे से हर्षिल के पास नदी को एक झील में तब्दील कर दिया है। यहां करीब तीन किलोमीटर लंबी झील बनने से अब हर्षिल भी खतरे में है। भागीरथी नदी में झील का स्वरूप बनने से न केवल गंगोत्री नेशनल हाईवे का एक हिस्सा पानी में डूब गया है, बल्कि, यहां मौजूद आर्मी का हेलीपैड भी पानी में समा गया है।
इस झील के संभावित खतरे की संवेदनशीलता काे समझते हुए आज सुबह जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने वन विभाग की टीम के साथ हर्षिल के पास बनी झील का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को पानी की निकासी के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने कहा कि झील से पानी की निकासी निर्बाध रूप से हो रही है, लेकिन बाढ़ के साथ आंशिक झील के किनारे पर आए पेड़ से पानी अवरूद्ध होने की संभावना है, जिसे तुरंत हटाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों एवं कार्यदाई संस्थाओं को दिए हैं। जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने आज सुबह धराली हर्षिल पहुंचकर चल रहे राहत बचाव अभियान का जायजा लिया।
इसके साथ ही जिलाधिकारी आर्य ने नदी किनारे रहने वाले नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने के निर्देश दिये और आपदा प्रभावित लोगों को सभी प्रकार की राहत सामग्री उपलब्ध कराने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है। धराली हर्षिल आपदा के बाद से जिला प्रशासन लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है और युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य के साथ ही रसद सामग्री वितरण आदि कार्यों को तीव्र गति के साथ किया जा रहा है।