वनों में आग लगने की घटनाओं से अछूते नहीं है देहरादून के जंगल

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File photo
देहरादून, गर्मी के मौसम में देहरादून के जंगल भी आग लगने की घटनाओं से अछूते नहीं रहते। प्रदेश भर में हर साल जंगलों में आग की कई घटनाएं सामने आती हैं। पिछले वर्ष 20 अप्रैल तक लगभग 20 घटनाएं सामने आ चुकी थीं। हालांकि वन विभाग इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पूरी तरह से अलर्ट मोड पर रहने का दावा करता है।
उत्तराखंड में 71 फीसद वन क्षेत्र वाले जंगलों को आग से बचाना चुनौतीपूर्ण कार्य है। गर्मी के मौसम में विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी जंगलों में लगने वाली आग पर लगाम नहीं लग पा रही है। हर साल दावानल में करोड़ों की वन संपदा के साथ वन्य जीवों का जीवन भी संकट में पड़ जाता है। हालांकि इस साल बारिश हो जाने के कारण अभी तक जंगलों में आग की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है। पिछले साल फायर सीजन में 15 फरवरी से मानसून सीजन तक जिले के दून, मसूरी, चकराता, कालसी प्रभाग के जंगलों में आग के कुल 138 मामले दर्ज किए गए थे। इसमें 230.15 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा लेकिन इस बार कुछ छोटी-मोटी घटनाओं को छोड़ दें तो अभी तक आग की कोई ऐसी घटना सामने नहीं आई हैं, जिससे बड़ा नुकसान हुआ हो।
प्रभागीय वनाधिकारी दून प्रभाग राजीव धीमान ने बताया कि सीजन शुरू होने से पहले ही वनाग्नि की घटनाओं को लेकर विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। हर रेंज में कंट्रोल रूम के साथ ही डीएफओ कार्यालय में मुख्य कंट्रोल रूम बनाया गया है। आग को नियंत्रित करने के लिए कंट्रोल वार्निंग के साथ ही प्रत्येक बीट में फायर वाचर की तैनाती की गई है। रेंज स्तर पर क्रू स्टेशन स्थापित कर आग की घटनाओं पर पूरी तरह से कर्मचारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
पिछले साल दून में वनाग्नि की घटनाएं
प्रभाग                 घटनाएं     प्रभावित क्षेत्रफल हेक्टेयर
देहरादून                  46            39.85
मसूरी                     32            65.20
चकराता                  28           72.10
कालसी                   38            46.00
राष्ट्रीय टाइगर रिजर्व  04             7.00