मस्ती, बीयर से गंगा की आस्था हो रही खण्डित

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ऋषिकेश। धर्म नगरी ऋषिकेश की सूरत ही नहीं बल्कि उसकी सीरत भी तेजी से बदल रही है। साधु-संतों की तपस्थली माने जाने वाली धार्मिक नगरी ऋषिकेश अब तेजी से मिनी गोवा के रूप में तब्दील होती जा रही है। जहां शराब,शबाब और कबाब के साथ पर्यटकों को लुभाने का हर मुमकिन इंतजाम कुछ तथाकथित कैम्प संचालकों द्वारा किया जा रहा है। पुलिस एवं वन विभाग की तमाम कवायदों के बावजूद गंगा किनारे चल रहे कैम्पो मे तमाम वो गतिविधियां लगातार संचालित होने की जानकारी संज्ञान मे आ रही हैं जो देवभूमि मे पूरी तरह से वर्जित हैं।
मौजूदा दौर में हवा का रुख क्या बदला शहर की तस्वीर ही बदलने लगी । मस्ती ,बीयर और एडवेंचर की चाह में देशभर के युवाओं की भीड़ हर वीकेंड पर ऋषिकेश के राफ्टिंग स्थलों पर उमड़ती है। इस दौरान सड़को पर गाड़ियों और गंगा मे रंग बिरंगी राफ्ट के जाम की स्थिति उत्पन हो जाती है। इन सबके बीच प्रदेश सरकार सहासिक खेलों के जरिए भले ही अपनी आय बढने के स्त्रोतों को मस्त हो लेकिन दूसरा पक्ष बेहद स्याह है। धर्म नगरी मे कल कल बहती गंगा के सीने तले तमाम प्रतिबंधित गतिविधियों के खुले तौर पर संचालित होने से श्रद्वालुओं की धार्मिक आस्था बुरी तरह से लहुलुहान हो रही है। इसका बड़ा कारण युवाओं द्वारा एडवेंचर में गड़ी जा रही नई परिभाषा को माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि तीर्थ नगरी को किसी जमाने में साधु संतों की भूमि माना जाता था ।भारतीय धर्म ग्रंथों में भी इस पावन भूमि का इतिहास अंकित है ।लेकिन विडम्बना यह भी है कि एक और जहां दुनिया भर से विदेशी सैलानी यहां गंगा तले शांति और अध्यात्म के जरिए सकारात्मक ऊर्जा लेने की चाहत में खींचे चले आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर पाश्चात्य संस्कृति में डूबी युवा पीढ़ी धर्म नगरी की धार्मिक आस्था को ही एडवेंचर की चाह में अपने पैरों तले रोंद देने पर तुली है।
क्या कहते हैं धर्मनगरी के गंगा भक्त
फिल्म एवं टेलीविजन के कलाकार संजय अग्रवाल का कहना है कि साहसिक खेलों के नाम पर गंगा की आस्था के साथ किया जा रहा खिलवाड़ देश के करोड़ों गंगा भक्तों के साथ बड़ा अपमान है। इस पर नकैल कसने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए। उधर क्रेजी फाऊडेशन के संस्थापक व उत्तराखंड के विख्यात साहित्यकार अशोक शर्मा भी सहासिक खेलों की आड़ मे करोड़ो देशवासियों की आस्था की प्रतीक मां गंगा की धार्मिक अस्मिता से हो रहे खिलवाड़ पर बेहद व्यतिथ नजर आये।उनका कहना है कि गंगा की सहासिक खेलो के नाम पर कानून के उलंघन की इजाजत नही दी जानी चाहिए।