उत्तरकाशी के वनों में भड़की आग, वन्य जीव भागे उच्च हिमालय

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    जंगल
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    उत्तराखंड के सबसे घने जंगल उत्तरकाशी की इस बार शामत आ गई है। जिला मुख्यालय के वरुणावत की तलहटी और निम रोड पर भड़की आग से जहां वनों को भारी नुकसान हो रहा है वहीं वनों में भड़की आग शहर की बस्तियों तक पहुंचने लगी है।

    जिले में वनों की आग टकनोर रेंज, मुख्यम ,धरासू, यमुना वन प्रभाग और टौंस वन प्रभाग में धुआं के गुब्बारे साफ दिखाई दे रहे हैं। आग के अंगारों से बचने के लिए वन्य जीव उच्च हिमालय की ओर भाग रहे हैं।

    शनिवार को यमुना घाटी में आई तूफान के बाद उत्तरकाशी जिले के टौंस, यमुना वन प्रभाग सहित समूचे जिले के रेंजों में आग ने तांडव मचा रखा। भाजपा नेता लोकेंद्र सिंह बिष्ट ने वनों आग की लपटों पर चिंता जताई उन्होंने कहा कि यदि अप्रैल माह में वनों में आग ने विकराल रूप धारण कर लिया है तो मई-जून में क्या हाल होंगे।

    उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के कुल क्षेत्रफल 54834 वर्ग किलोमीटर में से 34434 वर्ग किलोमीटर हिस्से में वन क्षेत्र है। अकले उत्तरकाशी में 88 प्रतिशत क्षेत्रफल में वन है। किसी भी देश में आदर्श पर्यावरण के लिए 33 प्रतिशत भूभाग में जंगल होने चाहिए। देश में 1952 में पहली बार जब अपने देश की वननीति बनी तब देश में कुल 23 प्रतिशत वनक्षेत्र ही थे जो अब घटकर मात्र 11 प्रतिशत प्रतिशत ही बच गए हैं। अगर जंगलों की आग इसी तरह प्रतिवर्ष यों ही भीषण रूप लेती रहे तो बचे खुचे जंगलों को समाप्त होने में समय नहीं लगेगा।

    उत्तरकाशी निम के जंगलों और जिला मुख्यालय से लगे वरुणावत पर लगी भीषण आग की लपटें तो मानों आसमान को छूने को लालायित हैं। समूचे उत्तराखंड में इस सीजन में आग की 1000 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। करोड़ों की वन उपज व हरियाली नष्ट हो चुकी हैं। वन्य जीव जंतुओं के लिए जंगलों की आग एक भयंकर आपदा से कम नहीं।

    जिले-जिले ,शहर-शहर जंगल-जंगल से आग फैलकर समूचे गढ़वाल और कुमायूं मंडल को अपने आगोश में ले चुकी है। समूचा उत्तराखंड धुएं की आगोश में हैं। वनविभाग के आग बुझाने के तमाम दावे जंगलों की भीषण आग के आगे बौने साबित हो रहे हैं।

    “यहां के वनों में लगी आग पर काबू पा लिया गया है। वर्तमान में मुख्य रेंज के वनों में आग लगी हुई। इसके लिए विभागीय आग को बुझाने में जुटी हुई हैं”। -पुनीत तौर, प्रभागीय वनाधिकारी, उत्तरकाशी।