फायरमैन को मिला इंसाफ

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हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कोटद्वार पौड़ी पुलिस लाइन के फायरमैन के पद पर तैनात याचिकाकर्ता को 1 जनवरी 1990 से 8 नवम्बर 2000 तक का बैक वेजेस का पूरा भुगतान करने के आदेश यूपी सरकार को दिए हैं। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
– हाईकोर्ट ने  यूपी सरकार को 1 जनवरी 1990 से 8 नवम्बर 2000 तक के बैक वेजेस का भुगतान करने का आदेश दिया
फायरमैन लल्लू सिंह भदोरिया ने दायर याचिका में था कि वे उत्तरकाशी में 20 जुलाई 1980 को कांस्टेबल फायरमैन के पद पर नियुक्त हुआ था। 8 सितम्बर 1992 को एनडीपीएस एक्ट के एक मामले में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। क्रिमिनल केस के आधार पर विभाग ने 9 सितम्बर 1992 को उसे निलंबित कर‌ दिया। 6 अप्रैल 1994 को उसे तीन वर्ष की सजा व दस हजार रुपये का जुर्माना हो गया। विभाग ने उसे 15 दिसम्बर 1997 को उसे सेवा से पृथक कर दिया।
याचिकाकर्ता के मुताबिक इस बारे में कोर्ट ने 2 अप्रैल 2009 को उसकी अपील स्वीकार कर  उसे दोषमुक्त कर दिया। याचिकाकर्ता ने 16 दिसम्बर 2011 को एसपी पौडी को आवेदन कर सेवा में बहाल करने की प्रार्थना की। इस पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने 10 सितम्बर 2012 को याचिका को निस्तारित करते हुए विभाग को आदेशित किया कि वह याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन पर विचार करें। इसके बाद 12 दिसम्बर 2012 को डीआईजी ने सेवा से पृथक करने का आदेश समाप्त कर दिया लेकिन याचिकाकर्ता को बैक वेजेस देने से मना कर दिया।
इस आदेश को याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने 2 जून 2017 को प्रत्यावेदन पर विचार करने को कहा। इसके अनुपालन में 29 सितम्बर 2017 को उत्तराखंड सरकार ने 9 सितम्बर 2000 से 4 दिसम्बर 2012 तक का बैक वेजेस दे दिया व उससे पूर्व का देने से मना कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। कोर्ट ने 30 अप्रैल 2019 को याचिका निस्तारित करते हुए पुलिस महानिरीक्षक लखनऊ यूपी को आदेशित किया कि वे याचिकाकर्ता का प्रत्यावेदन को निस्तारित करें। 31 अक्टूबर 2019 को आईजी लखनऊ ने याचिकाकर्ता का प्रत्यावेदन ‌खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसके बाद उसे न्याय मिला और कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेशित किया कि वे 1 जनवरी 1990 से 8 नवम्बर 2000 तक का बैक वेजेस का पूरा भुगतान करे।