अन्नपूर्णा रोटी बैंक पाल रहा है गरीबों का पेट

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समाज सेवा की ललक जिसके मन में लग जाती है वह महान होता है। यह सूक्ति भले हो पर वास्तव में उन लोगों पर चरितार्थ होती है जो समाज के लिए तन, मन, धन न्योछावर करते हैं। भूखे को अन्न, प्यासे को पानी देना, विशेष सेवा है। इसी प्रकार की सेवा अन्नपूर्णा रोटी बैंके माध्यम से 20 वर्षीय युवा हर्ष चौहान कर रहे हैं। हर्ष चौहान ने बताया कि सड़क पर एक-एक रुपये के लिए लोगों के सामने हाथ पसारते बच्चे भी हमारा भावी भविष्य हैं, लेकिन समाज की ओर से उनके लिए विशेष चिन्तन नहीं होता। इसीलिए उन्होंने पैसे देने के बजाय इन बच्चों की क्षुधा पूर्ति के लिए अन्नपूर्णा रोटी बैंक की स्थापना की है।

हर्ष कहते है कि उनकी संस्था का नारा है ‘रोटी बैंक का यही सपना, भूखा न सोए अपना’। इसलिए हर्ष चौहान, निवासी पित्थूवाला अपने सहयोगियों के साथ प्रत्येक परिवार से रोटी, अचार लेते हैं तथा सब्जी स्वयं बनवाकर उन लोगों को बांटते हैं जो सड़कों पर गलियों में इधर-उधर रोटी के तलाश में घूमते हैं। उन्होंने कहा कि विगत दस दिन पूर्व इस संस्था का गठन किया है। रोटी सब्जी आदि के लिए आर्थिक राशि के बारे में जानकारी देते हुए उनका कहना है कि इसके लिए उन्होंने अपने परिचितों से व्यक्तिगत आर्थिक मदद ली है और रसीदें भी छपवा रखी है ताकि कोई दानदाता रसीद लेकर आर्थिक मदद कर सकता है।

डीएवी कॉलेज के प्रथम वर्ष के छात्र हर्ष चौहान ने शुक्रवार को दोपहर आईएसबीटी रेलवे स्टेशन घंटाघर, गांधी पार्क, परेड ग्रांउड तमाम स्थानों पर भूखे लोगों को खिलाने के लिए भोजन के छह सौ पैकेट तथा पानी बांटा ताकि लोग अपनी भूख शांत कर सकें। देखने में यह पहल भले छोटी है, लेकिन आम आदमी को, विशेषकर उन्हें जो गलि-सड़कों में हाथ फैलाते फिरते हैं, थोड़ी बहुत राहत जरुर देगा।