किसानों की आय बढ़ायेगा सतावर

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पंतनगर के कृषि वैज्ञानिकों ने सतावर की ऐसी वैरायटी की नर्सरी तैयार की है जो किसानों की आय में चार चाँद लगा सकती है केंद्रीय औषधीय एव सगंध पौधा संस्थान अनुशंधान के केंद्र के वैज्ञानिकों ने सतावर की पीली नई प्रजाति सिम सुगन्धि तैयार की है,
पंतनगर के सीएसआईआर अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा सतावर की नई प्रजाति तैयारी की है जिसका नाम सिमसुनहरी रखा गया है जिसकी नर्सरी परिषर में तैयार है वैज्ञानिकों के अनुसार अब तक सतावर की पैदावार तराई के किसानों द्वारा की जाती रही है अब सिमसुनहरी की खेती पहाड़ो के किसान भी कर सकते है सतावर की इस प्रजाति से किसान दो साल में 35 से 40 लाख रुपये प्रत्येक हेक्टेयर से आमदनी कर सकता है उन्होंने बताया कि सिमसुंहरी नाम से पीली सतावर का बाज़र बहुत अच्छा है 1 किलो सतावर की कीमत पाँच सौ से सात सौ रुपये किलो बिक रही है उन्होंने बताया कि प्रत्येक एकड़ में सिम सुनहरी की पैदावार 90 से 95 कुन्तल हो सकती है जिससे किसान दो साल में अपनी आमदनी को बढ़ा सकता है।
तराई के बाद अब सिम सुनहरी की खेती पहाड़ो के किसानों द्वारा भी की जा सकती है वैज्ञानिकों की माने तो पहाड़ो के रोखड़, नदी के किनारों व अन यूटिलाइज लेंड पर सतावर की खेती कर पहाड़ के किसान भी अपनी आय को बड़ा सकते है, यही नही सतावर की खेती को कोई वन्यजीव नुकशान भी नही पहुचता है जिसकारण किसानों को फसल नष्ट होने का भी डर नही रहता है उन्होंने बताया कि सतावर की खेती से किसान को फायदा तो होगा ही आसपास के लोगो को भी रोजगार मिलेगा, सतावर की फसल होने के बाद उसे खोदने व उसको उबाल कर उसके छिलके निकालने में मज़दूरों की आवश्यकता होती है पहाड़ की महिलाएं सतावर के छिलके निकाल कर एक्स्ट्रा इनकम भी कर सकती है।

इससे पहाड़ पर हो रहे पलायन पर भी रोक लगेगी
सतावर मेडिसन परपच से भी बहुत उपयोगी है पीली सतावर शक्ति वर्धक होता है इसके साथ साथ लैक्टेशन की समस्या को दूर करता है यही नही किसान सतावर की जड़ के प्रयोग से अपने पशुओं को चारे के रूप में इस्तेमाल कर सकता है जिससे उनके पशुओं का दूध को कम लागत से बढ़ाया जा सकता है और किसान अपनी आमदनी की बढ़ा सकता है वही सतावर की बाजार रामपुर, संभल, बरेली, दिल्ली में आसानी से उपलब्ध है उन्होंने बताया कि मौजूदा समय मे सतावर की फसल को व्यपारी खेत से ही ठेके में खरीद रहा है अगर किसान सतावर की खेती करता है तो निश्चित ही किसानों के आय पर चार चाँद लग सकते है।