आखिरी सासें गिन रहा है ऋषिकेश का “बीटल्स आश्रम”

योग और अध्यात्म को देश विदेश में नई पहचान दिलाने के लिये सरकार नये नये प्रयोग करने में लगी हैं। लेकिन सरकारी उदासीनता की एक जीती जागती मिसाल विश्व प्रसिद्ध महर्षि महेस योगी की चौरासी कुटिया बन गई है। ऋषिकेश योग की राजधानी के रूप में पुरे विश्व में अपनी खास पहचान रखता है। जहां एक तरफ ऋषिकेश में इंटरनेशनल योग फेस्टिवल अपने पूरे शबाब पर है वहीं विश्व भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही महर्षि महेश योगी की चौरासी कुटिया सरकारी उदासीनता की मिसाल बनकर रह गई है। ऋषिकेश के इस आश्रम को देश विदेश में योग का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। कहा जाता है कि यहीं से निकल कर योग पुरे विश्व में फैला था, लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के चलते आज भी ये जगह सिर्फ दिखावे की बनकर रह गयी है। ये आश्रम उत्तराखंड की एक ऐसी धरोहर है जिसके दीवाने पुरे विश्व में फैले हुए हैं। विदेशियों की ज़ुबान पर ऋषिकेश के बीटल्स आश्रम का नाम एक आम बात है लगभग 30 साल के बाद ये विरासत आम आदमी के लिए खोल तो दी गयी लेकिन इसका फायदा किसी भी योग प्रेमी को नहीं मिल पा रहा है। 

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महर्षि महेश योगी ने भारतीय योग को विदेशियों से रूबरू करवाया। ऋषिकेश के गंगा तट पर 60 के दशक में एक प्राचीन और वैज्ञानिक पद्धति की मिसाल शंकराचार्य नगर बसाया। इसमें गोल गुम्बदाकार 84 कुटियाओं का निर्माण किया जो आज भी अपनी कारीगरी के लिये विश्व प्रसिद्ध हैं। यहाँ योग के लिए गुम्बदाकार गंगा के पत्थरों से बानी योग कुटिया है जो उस दशक में यूरोपियन स्टाइल में बनी। दो मंजिला बनी इन कुटियाओं में इंग्लिश टॉयलेट आदि की सुविधा है। ऐसी जगह पर उस दशक के मशहूर बैंड बीटल्स की शुरुवात हुई और बीटल्स ने यहाँ गंगा के तट पर 13 गाने लिखे और उनकी धुन बनायीं। यही कारण है इस जगह के दीवाने इसकी एक झलक पाने के लिए आज भी सात समंदर पार से ऋषिकेश में स्थित चौरासी कुटिया का रुख करते हैं। गौरतलब है कि करीब तीस दशकों बाद राजाजी टाईगर रिजर्व पार्क ने विश्व भर के योग प्रेमियों के लिये महर्षि महेश योगी के आश्रम को खोल दिए और यहाँ देशी-विदेशी पर्यटको को घूमने की इजा़त दे दी। लेकिन योग की इस धरती को योग से ही मरहूम कर दिया जिससे यहाँ के योग प्रेमियों और बुद्धिजीवियों में निराशा है। चौरासी कुटिया उस समय पुरे विश्व में हॉट प्लेस के रूप में दुनिया के सामने आयी जब 60 और 70 के दशक में मशहूर बैंड बीटल ने ऋषिकेश का रुख किया ,ये वो समय था जब पश्चिम को भारतीय योग और आध्यात्म के बारे में पता चला। विदेशी जानकार  बताते है कि यही जो समय था जब ईस्ट मीट वेस्ट की शुरुआत हुई। बीटल्स की देखा देखी बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटकों ने भारत का रुख करना शुरू किया। विदेशियों में आज भी इस आश्रम को देखने का बड़ा क्रेज है। रूस से आये मिट्रीय ने बताया की आज तक यहाँ का आध्यात्मिक वातावरण और गंगा का प्राकर्तिक सौन्दर्य नयी ऊर्जा का संचार करता है। 

इसे विडंबना ही कहेंगे कि जहां एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही योग पर अपना हक जमाने के लिये लगातार करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं वहीं सालों पहले योग को विदेश में प्रचलित करने के लिये देश विदेश में मशहूर इस आश्रम की आज ऐसी हालत है।