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कुहु गर्ग ने टाटा ओपन में मिक्सड डब्लस में जीता सिलवर

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मुंबई मै चल रहे टाटा ओपन इंडिया इंटरनेशनल चैलेंज 2016 मै कुहू गर्ग मिक्कासड डब्लस के फाइनल में तो हार गई लेकिन पूरे टूर्नामेंट में अपने शानदार फार्म से कुहु ने उत्तराखंड का नाम ऊंचा किया। मिश्रित युगल के फाइनल मे कुहू ने अपने जोड़ीदार विग्नेश देवलकर के साथ खेलते हुए कड़ी टक्कर दी। मैच का स्कोर रहा 4-11, 10-12, 11-4, 11-6, 8-11।

भारत ने अपने जबरदस्त प्रदर्शन से छठे वुमेन एशिया कप में पाकिस्तान को हरा कर कप किया अपने नाम

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रविवार को फाइनल में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 17 रन से हराकर भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने एसीसी महिला ट्वेंटी -20 एशिया कप, 2016 पर क़ब्ज़ा बरकरार रखा। एशियाई संस्थान प्रौद्योगिकी ग्राउंड, बैंकॉक में टास जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए मिताली राज ने 65 गेंद में नाबाद 73 बनाकर भारत को चैम्पियन ट्राफी तक पहुँचाया।
121 रन के कुल स्कोर का बचाव करते हुए स्पिनरों ने पाकिस्तान को सिर्फ 104/6 के स्कोर पर रोक दिया, जिसकी मदद से भारत ने टूर्नामेंट में नाबाद जीत हासिल की।

भारत के लिए मिताली ने पारी का आगाज किया, और पारी को एक साथ जोड़ते हुए एक 121 रन के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। जबकि असमाविया इकबाल ने एक ओवर में 12 वाइड गेंदें फेंकी और ओपनर ने उनकी इन गेंदों को चौकें जड़नें में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह ड्राइव और पंच के रूप में गेंदबाज के छक्के छुड़ातीं रहीं और अपना 10 वां अर्धशतक खेल के छोटे प्रारूप में पुरा किया।

आसान नही होगा देश को कैशलेस इकाॅनमी बनाना

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उत्तराखंड की राजधानी में जहां नोटबन्दी से परेशान होकर रेहड़ी-ठेले वालों ने इस समस्या का समाधान कैशलेस औऱ डिजिटल माध्यमों में ढूंढ लिया है वहीं यहां की जनता अभी पूरी तरह से कैशलेस होने के लिए तैयार नहीं दिखती। कई शहरों में रेहड़ी व ठेली लगा कर अपने परिवार की गुजर बसर करने वाले लोगो ने पेटीएम, मोबीक्विक आदि डीजिटल पेमैंट प्लेटफाॅर्मों का सहारा लेकर नगदी के अभाव में पटरी से उतर गयी जिंदगी को दोबारा ढर्रे पर लाने की कवायद शुरू कर दी है ।

कई सालों से देहरादुन के चकराता रोड पर चाउमिन व मोमो बेचने का काम कर रहे ऋषभ की दुकानदारी प्रधानमंत्री की नोटबंदी के आदेश के चलते ठप्प ही हो गयी थी । पिछले दस दिनों में ऋषभ की दुकानदारी कुछ यूँ गिरती चली गई कि उसे अपने परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो गया। ऐसे में उसने टीवी में कई दिनों से चल रहे एक एड को देखकर देहरादुन में पेटीएम के प्रतिनिधि से सम्पर्क साधा जिसके बाद उसकी दुकान पर ग्राहकों की आवाजाही शुरू हुई । ऋषभ ने पेटीएम से पेमेन्ट लेना क्या शुरू किया उसके साथ साथ ग्राहकों की भी चल निकली ।

लेकिन जहां कुछ दुकानदारों को इस पहल से फायदा हुआ वहीं कुछ लोग अभी तक ग्राहकों की बाट जोह रहें। परेड ग्राउन्ड में चकराता निवासी तुषार की हैंण्डलूम के स्टाॅल में पेटीएम मशीन तो लगी हुई है लेकिन पिछले पाँच दिनों में एक भी कस्टमर ने पेटीएम से पेमेन्ट नहीं करवाया है। इसकी वजह पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि शायद अभी तक लोग इसको अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उतार नहीं पाएं हैं, उन्होंनो बताया कि “उनकी दुकान में पेटीएम के साथ साथ स्वैप मशीन भी है और लोग पेटीएम से अच्छा विकल्प कार्ड स्वैप कराने को मान रहे है”। उन्होंने कहा “शायद लोग इसके फायदे समझ नहीं पाएं है, इससे पेमेन्ट करने से कैशबैक मिलता है जिसमें उनका फायदा होगा और यह आसान भी है।”इन लोगों की इस कोशिश से इनकी ठप्प पड़ गयी दुकानदारी तो दोबारा चल ही निकली है ऋषभ जैसे कई रेहड़ी पटरी वाले अब नगदी के अभाव में डिजिटल पेमैंट की राह पर चल निकले है , हालांकि अभी बहुत से दुकानदार ग्राहको की बाट जोह रहे लेकिन उन्हें आशा है कि जल्द ही लोग इसके फायदे समझेंगे और इसे इस्तेमाल करेंगें।

नगदी जेब में न होने के बावजूद डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग कर आप अपना रोजमर्रा का काम चला सकते हैं । वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जिनको ये डिजीटल तरीका बिल्कुल समझ नहीं आ रहा और डिडिटल प्लेटफार्मों से पेमेन्ट करने से घबरा रहे। नोटबंदी के बाद देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाना मोदी सरकार का बड़ा और महत्वकांशी सपना है लेकिन जब तक देश के सभी हिस्सों में और खास तौर पर दूर दराज़ के इलाकों में लोगों के बीच डिजिटल इकाॅनमी को लेकर सही जानकारी नही पहुंचेगी तब तक ये सपना केवल सपना भर ही रहेगा।

 

अल्मोड़ा के डा. शैलेश उप्रेती ने अमेरिका में किया उत्तराखंड का नाम रोशन

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अमेरिका में हुई 76 वेस्ट एनर्जी प्रतियोगिता में अल्मोड़ा जिले के निवासी वैज्ञानिक-उद्यमी डॉ. शैलेश उप्रेती की कंपनी चार्ज सीसीसीवी (सी4वी) ने 5 लाख डॉलर (करीब 34.2 करोड़ रुपए) का पुरस्कार जीता है।

न्यूयॉर्क राज्य ऊर्जा अनुसंधान और विकास प्राधिकरण की ओर से न्यूयार्क की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण सुधार के विकल्प पर कार्य करने के मिशन को बढ़ावा देने के लिए दुनियाभर की कंपनियों में प्रतिस्पर्धा कराई गई थी। जनवरी में शुरू हुई प्रतियोगिता 8 चरणों में हुई और 6 अक्तूबर को पुरस्कार की घोषणा हुई थी। 30 नवंबर को न्यूयॉर्क में लेफ्टिनेंट गवर्नर कैथलीन होचूल ने डॉ. शैलेश को यह पुरस्कार दिया। इस प्रतियोगिता में विश्व की 175 कंपनियों ने हिस्सा लिया था। शैलेश की कंपनी चार्ज सीसीसीवी, न्यूयार्क को यह पुरस्कार 20 से 22 घंटे का बैकअप देने वाली बैटरी बनाने पर दिया गया है।

यह तकनीक अगली पीढ़ी के लिए ऐसी बैटरी तैयार करती है, जिससे सौर ऊर्जा को स्टोर करने के साथ ही बिजली से चलने वाली कारों, ट्रकों और बसों को चलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसी बैटरी के निर्माण के लिए न्यूयार्क और विश्व स्तर पर कई कंपनियों को इस तकनीक का लाइसेंस दिया गया है। कंपनी ने एक ऐसी तकनीक को पेटेंट कराया है, जो न केवल लिथियम ऑयन बैटरी के जीवनकाल को 20 साल के लिए बढ़ाता है, बल्कि उसकी भंडारण क्षमता और शक्ति में सुधार के साथ ही आग या शॉर्ट सर्किट की स्थिति में उसका तापमान कम कर देता है।

डॉ. शैलेश उप्रेती भारत में भी उन्नत लिथियम ऑयन बैटरी के निर्माण की योजना पर काम कर रहे हैं। स्वच्छ भारत के बाद अगला मकसद हरित भारत हो सकता है, जिसमें देश की बिजली और परिवहन आवश्यकताओं को हरित ऊर्जा के विकल्पों में बदला जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि भविष्य में बैटरी डीजल और पेट्रोल की जगह लेकर रहेंगे। 

डॉ. उप्रेती को पहाड़ से काफी लगाव है और उन्होंने बेड़ूपाको डॉट काम नाम से वेबसाइट भी बनाई है, जो उनके पहाड़ के प्रति प्रेम को दर्शाता है।

विधानसभा चुनाव की अधिसूचना हो सकती 23 दिसंबर के बाद

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उत्तरारखंड में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरु हो गई है। निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारी का पूरा रोडमैप बना चुका है। अब प्रदेश में चुनाव की तारीख को लेकर कवायद चल रही है प्रदेश के सियासी गलियारों में अब इस बात की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है कि आखिर विधान सभा चुनाव के तारीख की घोषणा कब होगी। यानी प्रदेश में चुनाव आचार संहिता कब लागू होगी। निर्वाचन आयोग के सूत्रों का कहना है कि 23 दिसम्बर के बाद प्रदेश में कभी भी चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है।

राधा रतूड़ी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कहना है कि चुनाव की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गई है। प्रदेश अब चुनावी जंग के मुहाने पर पहुंचने जा रहा है। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि जिन दलों या निर्दलीय प्रत्याशियों को चुनावी जंग में अपनी किस्मत आजमनी है। उनके पास अभी चुनावी रणनीति बनाने का करीब 20 दिन का वक्त है।

दरअसल 2012 के विधानसभी चुनाव की अधिसचूना 24 दिसम्बर को जारी हुई थी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी का भी कहना है कि चुनाव की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। ऐसे में राजनीतिक दलों के साथ निर्दलीय प्रत्याशियों की धड़कनों का बढ़ना भी लाजिमी है।

फिलहाल प्रदेश के 10 हजार 854 पोलिंग बूथ पर मतदान होना है। इस बार चार विधानसभा क्षेत्रों में वीवी पैट मशीन का इस्तेमाल होगा। इससे मतदाता देख सकेंगे कि उन्होंने किस प्रत्याशी को अपना मत दिया है। वीवी पैट मशीन का इस्तेमाल दून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर के जिलों में की जायेगी।इस बार पार्टियां निर्वाचन आयोग से स्टार प्रचारकों, जनसभाओं और रैलियां के लिए ऑन लाइन परमिशन ले सकती है। वही मतदाता भी आयोग से ऑन लाइन अपनी शिकायतें को भी दर्ज करा सकते हैं।

फिलहाल जिस तरह से निर्वाचन आयोग की तैयारी चल रही है इससे साफ है कि प्रदेश अब चुनावी जंग के लिए तैयार हो चुका है। अब पूरे प्रदेश की नज़रे निर्वाचन आयोग पर टिंकी है कि आयोग प्रदेश में चौथे विधान सभा चुनाव की तारीख का कब ऐलान करता है।

 

दीवाली के एक महीने बाद पहाड़ो में मनाई जाती है “बुग्वाल” दीवाली

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जब सारी दुनिया क्रिसमस की तैयारियों में जुटी होती है,तब उत्तराखंड के जौनसार के पहाड़ों में और गढ़वाल के जौनपुर में, एक दिवाली मनाी जाती है। जी हां ये जानकार शायद आपको यकीन नही होगा लेकिन दिवाली के ठीक एक महीने बाद मनाई जाने वाी इस दिवाली को यहां के लोग इसे बुग्वाल, बग्वाली कहते हैं और बहुत धूमधाम से मनाते हैं।

जौनपुर के कैम्प्टी गांव जिसमें तकरीबन एक हजार परिवार हैं उन 700 गांवों मे से है जो जौनसार और जौनपुर बेल्ट में फैला हुआ है। यहां के लोग इस दिवाली को मनाते हैं जिसें वहां की भाषा में बुग्वाल/बग्वाली कहतें हैं। यहां मनाये जाने वाला ये चार-पाँच दिन का उत्सव महिलाओं के दिल के बहुत करीब है और इसकी खास जगह है इनकी जिंदगी में, क्योंकि उनके लिए यह एक सलाना उत्सव होता है जिसमें वो पुरी ठाठ-बाट से हिस्सा लेती हैं। प्यारो देवी जो कि क्यारी गांव से है कहती हैं कि “इस त्योहार का हमारे दिल में खास स्थान है, हम सब अपने गांव-घर वापस आते हैं ताकि अपने परिवार के साथ थोड़ा समय बिता सके, हम गाने बजाने के साथ ऩृत्य भी करते हैं और लोगों से मिलते जुलते हैं। हम बेसब्री से बुग्वाल का इंतज़ार करते हैं।”

जबकि सारी महिलाएं उन सभी कामें में व्यस्त होती हैं जो उन्हें सबसे अच्छे से आता है, वो तरह तरह के पकवान बनाती हैं और उनको गांवों में बांटती हैं। खुले आसमान के नीचे आदमियों का जत्था कतार बना कर घर के बाहर खड़ा होकर ढोल बजाता है और साथ में गाता भी है।समय के साथ साथ सालों पुरानी इस परंपरा का प्रचलन भी बदल रहा है। पहाड़ों से हो रहा पलायन इसका एक बड़ा कारण है। गांव के बड़े-बूढों के लिए इस त्योहार के मायने बदल गए हैं, टिकाराम बदरी कहते हैं कि “यहां का युवा वर्ग पहाड़ों को छोड़कर आस-पास के शहरों में लुभावनी नौकरी के लिए बस गए हैं, जिसमें से बहुत तो त्योहारें में भी वापस नहीं आते” वो बताते हैं कि जब हम जवान थे यहां बहुत कुछ होता था जैसे कि पंडाल लगते थे, रोशनी होती थी लेकिन धीरे-धीरे हमारी परंपरा अपनी पहचान खो रही है।

 यह त्योहार लगभग 45 दिन तक चलता है। मान्यता ये है कि ये त्योहार योद्धा माधो सिंह भंडारी की वीरता के उत्सव के रूप में मनाया जाता है, भंडारी वो योध्दा हैं जिन्होने गढ़वाल और तिब्बत की सीमाओं को सील किया था यही सीमा को आज की मैक मोहन लाइन के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन समय बदल रहा और बड़े-बूढ़ों को यह डर है कि कहीं उनका गांव भी इस परंपरा को भूल ना जाए।

मेलों पर पड़ी नोटबंदी की मार, जेब खाली स्टाॅल खाली

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मोदी सरकार की नोटबंदी से जहां लोगों को परेशानी और बैंकों और एटीएमों के बाहर लंबी लाइनें लगानी पड़ रही है वहीं अब इस नोटबंदी का असर मेलों में अपनी दुकाने लगाकर कमाई करने वाले दुकानदारों पर भी पड़ता दिख रहा है। देहरादून के परेड ग्राउंड में हर साल गांधी आश्रम खादी भवन का वार्षिक मेला लगता है जहां हस्त कला व उत्तराखण्ड के अलग-अलग जिलों के स्टाॅल लगाए जाते हैं। साल के अंत में लगने वाला यह मेला लोगों में आकर्षण का केंद्र होता है। इस मेले में अलग-अलग तरह जैसे की अचार, मसाला, सजावट का सामान,कपड़े,चप्पल जूते,चादर,कंबल,रजाई आदि के स्टाल्स लगाए जाते हैं। ये माला राज्य के अलग अलग जिलों और अन्य दूरदराज़ इलाकों के दुकानदारों के लिये कमाई का बेहतर मौका होता है। एक छत के नीचे ये लोग राजधानी के ग्राहकों को अपना सामान बेच पाते हैं। वहीं राजधानी में रह रहे लोगों के लिये भी सीधे पहाड़ के सभी इलाकों के सामान को खरीदने का ये सुनहरा मौका रहता है।

हर साल की तरह इस साल भी अलग-अलग शहरों से लोग अपना सामान लेकर आए लेकिन इस बार न तो पहले जैसी भीड़ है न पहले जितने ग्राहक। पूछने पर दुकानदार बताते हैं कि इस साल ने पिछले कई सालों का रिकाॅर्ड तोड़ दिया है। कपड़ों की दुकान लगाने वाले छोटू बताते हैं कि पहले दिन में ही ग्राहकों की भीड़ हो जाती थी अब थोड़े बहुत लोग शाम को आते हैं, जहां पहले दिन का 10-11 हजार रुपये का माल आराम से बिक जाता था अब 3-4 हजार भी मुश्किल से मिलता है।

इसी मेले में उत्तरकाशी के डूंडा (बीरपुर) के सुंदर सिंह अपनी दो बाई तीन की दुकान में आंखे लगाये ग्राहकों के इंतज़ार में बैठे हैं। सुंदर बताते हैं कि धुकान का किराया जो कि तीन हजार है उन्हें मेला शुरु होने से पहले देना पड़ता है। वो कहते हैं कि पिछले साल तक बहुत पब्लिक आती थी और अच्छा खासा सामान बिक जाता था लेकिन नोटबंदी की वजह से न तो पब्लिक आ रही न हमारी बिक्री हो रही। जो थोड़े बहुत ग्राक आ रहे हैं उनके पास भी खुले पैसे की दिक्कत हो रही है।साल में एक बार लगना वाले मेले में ये दुकानदार अच्छी कमाई कर लिये करते थे लेकिन इस बार खाली पड़े पंडाल और इनके माथे पर चिंत्ता की लकीरें ये साफ कर रही हैं कि आने वाला समय इनके लिये भी मुश्किलों भरा रहेगा।

केंद्र और राज्य सरकारें नोटबंदी के चलते सारी अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने पर जोर दे रहे हैं। लेकिन फिर वही सवाल खड़ा होता है कि बिना लोगों को कैशलेस इकाॅनमी के बारे मे जागरूक करे ये जमीनी सच्चाई कब और कैसे बन सकेगा।

 

एक जनवरी से बिना आधार कार्ड राशन मिलने में होगी परेशानी

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नये साल के शुरू होते ही राज्य में पीडीएस सिस्टम से मिलने वालालराशन आधार कार्ड पर ही मिल सकेगा। शासन ने प्रदेश के सभी जिला पूर्ति अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दे दिए हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में पारदर्शिता लाने के लिए शासन ने यह कदम उठाया है। हालांकि, आपूर्ति विभाग पहले से ही नए राशन कार्ड बनवाते समय उपभोक्ताओं से आधार कार्ड मांगता रहा है। लेकिन, अब शासन ने आधार कार्ड को जरूरी कर दिया है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की ही बात करें तो यहां राशन कार्डधारक करीब पांच लाख परिवारों में डेढ़ लाख ऐसे हैं, जिनके मुखिया ने अब तक आधार जमा नहीं किया। ऐसे लोगों के लिए अब सिर्फ दिसंबर की ही रियायत है।

शासन से निर्देश मिलने के बाद जिला पूर्ति अधिकारियों ने आधार एकत्रित करने की तैयारी शुरू कर दी है।

  • 31 मार्च तक शासन ने परिवार के मुखिया के साथ अन्य सदस्यों के भी आधार कार्ड जमा करने का निर्णय लिया है। इसके लिए विभाग को मार्च 2017 तक का समय दिया गया है। ऐसा न करने पर भी उपभोक्ताओं को राशन से वंचित रहना पड़ेगा।
  • डीलर के जरिए आधार कार्ड जमा कराने से रह गए उपभोक्ता स्वयं जिला पूर्ति कार्यालय में इन्हें जमा करा सकते हैं।
  • जो लोग कार्यालय पहुंचने में अक्षम हैं, उनके लिए राशन डीलर के माध्यम से जमा कराने की भी व्यवस्था की गई है।

खाद्य उपायुक्त पीएस पांगती ने अनुसार सभी पूर्ति निरीक्षकों को मॉनीटरिंग के लिए निर्देश दिए जा चुके हैं। परिवार के मुखिया 31 दिसंबर और अन्य सदस्य 31 मार्च तक आधार कार्ड जमा कराएंगे।

चुनावी मौसम में देहरादून को मिलेगा एक और फ्लाइओवर और स्टेडियम का तोह्फ़ा

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आखिरकार लंबे इंतज़ार के बाद आईएसबीटी फ्लाईओवर बनने के कगार पर पहुँच गया है। आगामी 11 दिसंबर से इस फ्लाईओवर पर वाहन दौड़ पाएंगे। फ्लाईओवर का लोकार्पण सीएम हरीश रावत करेंगे। इसके निर्माण में 50.39 करोड़ का खर्चा आया है। कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल ने बताया कि आईएसबीटी फ्लाईओवर का लोकार्पण 11 दिसंबर को किया जाएगा। ये दून का पहला फोर लेन फ्लाईओवर होगा और इसका काम लगभग पूरा हो गया है। बस साज सज्जा का काम चल रहा है। फ्लाईओवर बनने से आईएसबीटी के पास जाम की समस्या दूर हो जाएगी। दून से दिल्ली जाने वाले लोग बिना जाम के आवागमन कर सकेंगे।

रायपुर स्टेडियम का उद्घाटन भी इसी माह। इसी माह रायपुर स्टेडियम का उद्घाटन भी हो जाएगा। खेल मंत्री दिनेश अग्रवाल ने बताया कि रायपुर स्टेडियम के लिए दिसंबर 15 व 18 तारीख तय की है। इन दोनों में से एक तारीख में सीएम हरीश रावत स्टेडियम का लोकार्पण करेंगे। उन्होंने बताया कि संभवत 20 दिसंबर पको हल्दनी स्टेडियम का भी लोकार्पण कर दिया जाएगा।

बल्लीवाला फ्लाईओवर से सबक लेते हुए लोनिवि ने आईएसबीटी के मामले में पूरी तैयारी के साथ लोकार्पण की तिथि तय की। आईएसबीटी फ्लाईओवर के लिए स्ट्रीट लाइन का कनेक्शन लेने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। लोकार्पण से पहले फ्लाईओवर में स्ट्रीट लाइटें जलती हुए मिलेगी। बल्लीवाला फ्लाईओवर में आज तक स्ट्रीट लाइट का कनेक्शन नहीं मिल पाया है। जिस कारण लाइटें बंद रहती है।

गौरतलब है कि देहरादून में पुलों के निर्माण को लेकर सरकार को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा था। शहर में बन रहे सभी निर्माणाधीन पुलों के पूरा होने में कापी देरी हो चुकी है। ऐसे में इलाके के विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक को लोगों के गुस्से से कई बार रूबरू होना पड़ा। अब चुनाव सर पर हैं और इन निर्माण कार्यों को पूरा कर सरकार कितने वोटरों को अपनी तरफ कर पायेगी ये तो चुनाव के नतीजे ही बता पायेंगे।

भारत सरकार के कैबिनेट सचिव ने नोटबंदी पर जानकारी ली

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कैबिनेट सचिव भारत सरकार प्रदीप कुमार सिन्हा ने मुद्रा विमुद्रीकरण से संबंधित समीक्षा बैठक सभीसमस्त राज्यों के मुख्य सचिवों से विडियों कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से की गई।

 उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव ने बताया कि:

  • सभी जिलों के जिलाधिकारियों द्वारा जिला स्तरीय बैंकर्स समिति के माध्यम से 635 शिविर लगाकर 12,740 नये बैंक खाते खोले गये, ये खाते असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के खोले जा रहे है, ताकि किसी भी श्रमिक/मजदूर को कोई दिक्कत न आयेे।
  •  शिविर आयोजन का काम आगे भी चलता रहेगा, जब तक असंगठित क्षेत्र के शत-प्रतिशत श्रमिकों के खाते न खुल जायें। 
  •  उत्तराखण्ड में 2215 बैंक शाखाएं है, जिनमें से 1108 शाखाएं ग्रामीण क्षेत्र, 670 अर्द्धसरकारी क्षेत्र तथा 437 शहरी क्षेत्र में स्थित है।
  • सभी बैंको को निर्देश दिये गये है, कि वे अपने बैंक में खुले खातों में यह सुनिश्चित कर लें, कि यदि किसी खाते के लिए ए.टी.एम.(ATM) कार्ड जारी न किया गया हो, तो तत्काल जारी करा दें। 
  • बैंको में नकदी लेने की कतारों को कम करने के लिए रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया से अनुरोध किया गया है, कि प्रदेश में शीघ्रातिशीघ्र नेशनल पेमेन्ट्स काॅरपोरेशन आॅॅफ इंडिया, निजी कम्पनियों, जो कि मोबाईल वाॅलेट के माध्यम से पैसे का लेन-देन हेतु विशेषज्ञ है, को बुलाकर बैंक व मोबाईल वैलेट कम्पनी के सहयोग से भारतीय उद्योग संघ उत्तराखण्ड, सी.आई.आई.ए. चैप्टर उत्तराखण्ड व्यापार संघ किराना मर्चेन्ट के साथ समन्वय कर कैशलेश ट्रांजिक्शन आर्किटैक्चर स्थापना में मदद कराये 
  • प्रदेश में 4000 सिटीजन सर्विस सेन्टर है, जिनके माध्यम से आगामी 10-15 दिन में जिला, विकास खण्ड स्तर में डिजीटल भुगतान व वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
  •  उन्होने बताया प्रदेश के दूरस्थ पहाड़ी इलाको में नेटवर्क की समस्या है, जिसके लिए 914 वी.सेट लगाने के आदेश दियेे गये हैं, जो बैंको द्वारा स्थापित किये जाने है, जिनमें से एस.बी.आई द्वारा 18 लगा दिये गये है।
  • प्रदेश में नगदी लेन-देन हेतु बिजनेस करसपोन्डेन्ट की सुविधा उपलब्ध है, जहां किसी भी बैंक के डेबिट कार्ड से नकदी मिल जाती है,

विडियो कांफ्रेन्सिंग में प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, सचिव आई.टी. दीपक गैरोला ,क्षेत्रीय निदेशक आर.बी.आई. सुब्रत राय, डीजीएम एस.बी.आई. सुबीर कुमार मुखर्जी, ए.जी.एम रमेश पंत आदि उपस्थित थे।