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कोर्ट के आदेश पर तीन के खिलाफ मामला दर्ज

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सिडकुल थाना क्षेत्र में सलेमपुर के एक ग्रामीण ने तीन आरोपियों के खिलाफ ट्रक वापस नहीं करने का मुकदमा दर्ज कराया है। आरोपियों ने काम के लिए सुरेंद्र से उसका ट्रक लिया था, लेकिन वापस नहीं किया। कोर्ट के आदेश पर तीनों के खिलाफ सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।

सलेमपुर गांव निवासी सुरेंद्र कुमार ने कोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि अमित निवासी सहारनपुर, कुलदीप निवासी सलेमपुर और बिहार के कपिल ने उससे ट्रक किराये पर लिया था। काम निपटाने के बाद न तो किराया दिया गया और न ट्रक लौटाया गया। पुलिस से मदद न मिलने पर सुरेंद्र ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।


कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। सिडकुल पुलिस ने सोमवार को अमित, कुलदीप और कपिल के खिलाफ अमानत में खयानत का मुकदमा दर्ज कर लिया। कार्यवाहक एसओ दीपक कठैत ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

मुख्यमंत्री ने परमार्थ निकेतन पहुंचकर भागवत कथा में की शिरकत

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ऋषिकेश स्तिथ परमार्थ निकेतन में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा कार्यक्रम में सूबे के मुख्यमंत्री रावत ने शिरकत की। परमार्थ निकेतन में चल रहे भागवत कथा में पहुंचकर मुख्यमंत्री ने कथा का आनंद लिया।

आपको बता दे कि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ-साथ सूबे के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी मौजूद रहे। परमार्थ निकेतन पहुँचने पर मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री ने परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि से भी मुलाकात की।

यहां भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री और सतपाल महाराज का जोरदार स्वागत किया, आपको बता दें कि इन दिनों परमार्थ निकेतन में भागवत कथा सप्ताह चल रहा

उत्तराखण्ड भ्रमण पर आये भारतीय पुलिस सेवा के 12 अधिकारी

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भारतीय पुलिस सेवा के 35वें प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत 12 अधिकारी दिनांक 9 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक उत्तराखण्ड भ्रमण पर आये है। ये अधिकारी अपने-अपने राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में प्रोन्नत हुये है तथा वर्तमान में इनका राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद में प्रशिक्षण चल रहा है।

पुलिस मुख्यालय आकर श्री अनिल के. रतूड़ी,  पुलिस  महानिदेशकउत्तराखण्ड से शिष्टाचार भेंट की इस अवसर पर अशोक कुमारअपर पुलिस महानिदेशअपराध एवं कानून व्यवस्था उत्तराखण्ड श्री राम सिंह मीणाअपर पुलिस महानिदेशकप्रशासन एवं श्री जी.एस.

मार्तोलिया पुलिस महानिरीक्षक, मुख्यालय उपस्थित रहे। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भ्रमण पर आये अधिकारियों को उत्तराखण्ड पुलिस की कार्यप्रणाली एवं उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की।              

उत्तराखण्ड भ्रमण पर आये मध्य प्रदेश, झारखण्ड, तेंलगाना, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश के उक्त 12 अधिकारियों द्वारा देहरादून, पी.टी.सी नरेन्द्रनगर, मसूरीऋषिकेशहरिद्वार के पुलिस नियंत्रण कक्षपुलिस स्टेशनों की कार्यप्रणाली का अवलोकन करने के साथ प्रमुख संस्थानों का भी भ्रमण किया जायेगा।

वन विभाग की टीम ने पकड़ा कोबरा

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देहरादून। उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में मिल रहे जहरीले सांपों में वन विभाग के कर्मचारियों की दौड़ बढ़ा दी है। ऐसा ही कोबरा सांप तुन्तोवाला में निकला। मुन्नी देवी के घर में एक टोकरी रखी हुई थी, जिससे विशेष प्रकार से आवाजें आ रही थी। मुन्नी देवी ने टोकरी उठाकर देखा तो एक नाग बैठा था। उन्होंने तुरंत टोकरी ढक दिया। वन विभाग को फोन किया। वन विभाग की टीम 9:30 पर आए इस फोन पर 10 बजे पहुंच गई।
इस टीम में रवि जोशी के साथ विपिन क्षेत्री, वीर सिंह क्षेत्री, एएसओ अमित भट्ट तथा सुवीर पुंडीर के नाम शामिल हैं। इस टीम में जिस कोबरा को पकड़ा है वह साढ़े फीट लंबा पूर्ण अवस्था का आक्रामक सांप है। वन विभाग की टीम ने इस सांप को राजाजी पार्क में छोड़ दिया है।

स्कूल की संपत्ति को लेकर मारपीट

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हरिद्वार, बहादराबाद थाना क्षेत्र में स्कूल की संपत्ति प्रबंधक के बिना बताए खुद के नाम किए जाने पर स्कूल में पहुंचे साझेदार पति-पत्नी के साथ मारपीट करने का मामला सामने आया है। मारपीट में साझेदार की पत्नी के दांत टूटने पर पति की तहरीर पर पुलिस ने महिला सहित तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

थाना क्षेत्र के पीठ बाजार बहादराबाद निवासी शेखर चौहान ने थाने में तहरीर देकर बताया कि ग्राम अलीपुर रोड पर स्थित डीएस स्कूल में 2012 में उसकी सहभागीदारी थी। स्कूल भवन की 2014 में स्कूल के प्रबंधक विनीत ने अपने नाम रजिस्ट्री करवा ली। मामले का पता लगने पर तीन अक्टूबर की सुबह शेखर चौहान और उसकी पत्नी वन्दना स्कूल में इस बाबत जानकारी लेने गए।

न्होंने आरोप लगाया कि इस पर स्कूल के प्रबंधक विनीत और उसकी पत्नी स्वाति ने उनकी एक न सुनी और उन्हें जबरन स्कूल से बाहर निकालने लगे। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो पहले से वहां पर मौजूद विनीत उसकी पत्नी स्वाति व उनके पिता कृष्ण पाल ने उनके साथ अभद्रता करते हुए मारपीट कर दी।

शेखर ने आरोप लगाया कि मारपीट में उनकी पत्नी वन्दना के दांत टूट गए। पीड़ित शेखर ने थाने में तीनों के खिलाफ तहरीर दी। पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। थाना प्रभारी निरीक्षक सूर्य भूषण नेगी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।

देहरादून में जानिये कहा कहा नहीं बिकेंगे पटाखें

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दीपावली के अवसर पर पूर्व में जिलाधिकारी देहरादून की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्गत निर्देशो के क्रम में एसएसपी ने समस्त थाना प्रभारियों को निम्न स्थानों पर आतिशबाजी/ पटाखो की दुकानों के लगाए जाने को प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए गए है।

1- पलटन बाजार – कोतवाली से घंटाघर तक।
2- धामावाला बाजार – कोतवाली से बाबूगंज ( आढ़त बाजार चौक) तक।
3- मोती बाजार – पलटन बाजार से पुरानी सब्जी मंडी, हनुमान मंदिर तक।
4- हनुमान चौक – झंडा मोहल्ला, रामलीला बाजार, बैंड बाजार तक।
5- आनंद चौक से लक्ष्मण चौक तक।
6- डिस्पेंसरी रोड का संपूर्ण क्षेत्र।
7- घंटाघर से चकराता रोड पर हनुमान मंदिर तक।
8- सर्वे चौक से ङीएवी कॉलेज देहरादून जाने वाली रोड, करनपुर मुख्य बाजार।
9- समस्त नगर/ ग्रामीण क्षेत्र के उन संकीर्ण क्षेत्र/ गालियां, जहां अग्निशमन वाहन न पहुंच सकते हो।

साथ ही सभी थाना प्रभारियों को निर्देशित किया गया कि उक्त स्थानों पर नियमों का उल्लंघन कर दुकान लगाने वाले दुकानदारों की सामग्री जप्त कर आवश्यक चालानी कार्यवाही अमल में लायी जाये।

मटर की खेती को हिमनी के लोगों ने बनाया आर्थिक जरिया

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चमोली जिले के विकास खंड देवाल के दूरस्थ गांव हिमनी व घेस के किसानों ने मटर की खेती को अपना आर्थिक जरिया बना लिया है। यहां के किसानों ने इस वर्ष पहली बार मटर की खेती कर 60 दिन में 07 लाख 50 हजार की मटर बेचकर आर्थिक आय बढ़ायी है। यहां के काश्तकारों की मेहनत व लगन को देखते हुए सीएम उत्तराखंड 10 अक्टूबर को हिमनी गांव पहुंच रहे हैं।

हिमनी और घेस की भूमि को देखते हुए दिल्ली से यहां आए सुरेश ने लोगों को मटर की खेती करने की सलाह दी और उन्होंने ही अपने संसाधनों से गांव के 205 परिवारों को 12 कुंतल मटर के बीज उपलब्ध करवाए तथा मटर उत्पादन की तकनीकी जानकारी भी दी।

जिससे यहां के लोगों ने मटर को हल्द्वानी और देहरादून की मंडियों में बेचा, जिससे उन्हें 7 लाख 50 हजार रुपये की आय प्राप्त हुई। हिमनी गांव के किसान दिग्पाल सिंह, हरक सिंह, देव सिंह व घेस के नरेंद्र, पुष्कर सिंह कहते हैं कि, “दिल्ली के सुरेश सिंह ने अच्छा प्रयोग बताया है जिससे किसानों को काफी फायदा हुआ है।”

मशरुम उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाया: विजय वीर सिंह बुटोला

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यह कहानी ऐसे व्यक्ति की है जिसने अपने पहाड़ प्रेम और यहा से हो रहे पलायन को रोकने के लिये दिल्ली में नौकरी छोड़, उत्तराखण्ड में समेकित खेती और मशरुम उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाया |

विजय वीर सिंह बुटोला, मूल रुप से टिहरी गढ़वाल के ग्राम अमोली, कीर्तिनगर के रहने वाले हैं | विजय वीर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही ली और फिर स्नातक तक की शिक्षा दिल्ली में प्राप्त की | मशरुम उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाने से पूर्व विजय वीर ने 10 साल गुडगाँव की एक फार्मा कंपनी में बतौर एकाउंट्स ऑफिसर और फिर दिल्ली में 4 साल पावर जनरेशन के क्षेत्र में एडमिनिस्ट्रेशन और ऑपरेशन मेनेजर के तौर पर काम किया |

डेढ़ वर्ष पहले, दिल्ली से अपनी नौकरी छोड़ विजय वीर देहरादून के मोथरावाला में अपने दोस्त विपिन पंवार के साथ मिल कर मशरुम उत्पादन के काम में लग गए |इसी दौरान विजय वीर ने उद्यान एवं खाध प्रसंस्करण विभाग, देहरादून, उत्तराखंड सरकार से मशरुम की खेती का भी प्रशिक्षण ली|

मशरुम उत्पादन की सफल पहल के बाद विजय वीर को ओएस्टर मशरुम का एक बड़ा बाजार न होने के कारण और मंडी समितियों की मोनोपोली के चलते, मशरुम बेचने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा |मंडियों में अपने उत्पाद की बिक्री के कड़वे अनुभवों के बाद, विजय ने अपने उत्पाद को ऑनलाइन और रोड शो के माध्यम से बेचा | देहरादून में सबसे पहले पहाङीशौप.कॉम (pahadishop.com) के माध्यम से मशरुम की ऑनलाइन बुकिंग कर घर-घर पहुंचाया।

विजय वीर और उनकी टीम ‘गढ़ माटी संगठन’ संस्था से जुड़े हुए हैं तथा संस्था के ग्रामीण स्वरोजगार मिशन के तहत आज उत्तराखंड के कई जिलों में मिल कर ओएस्टर मशरुम उत्पादन,जड़ी बूटी, हॉर्टीकल्चर,मसाले आदि की खेती कर रहे हैं।

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विजय वीर बताते हैं कि, “ओएस्टर मशरुम का उत्पादन बहुत ही आसन है और बहुत ही कम समय और कम पूंजी में इसकी शुरुवात की जा सकती है | ओएस्टर मशरुम के उत्पादन के लिए 18 से 28℃ का तापमान, ताजी हवा और 80 से 85% नमी की आवश्यकता होती है।”मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा इस प्रजाति के उत्पादन के लिए पहाड़ी क्षेत्र सबसे अनुकूल जगह हैं। आज विजय वीर अपनी टीम के साथ मिलकर दिल्ली, देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में लगभग 800 से अधिक लोगो को मशरुम का प्रशिक्षण दे चुकी है।उन्होंने बताया कि उनका अगला लक्ष्य अपने गांव अमोली में हर्बल और जड़ी बूटी की खेती और जैविक खाद तैयार करना है।

यही नहीं अगर अाप घर बैठे ही मशरुम मंगवाना चाहते है तो आप 9717839966 पर संपर्क कर सकते हैं| विजय वीर सिंह बुटोला की यह पहल व सोच को हम सलाम करते हैं|

मेट्रो रेल के एमडी को मनाने में मुख्यमंत्री रहे सफल

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देहरादून। देहरादून मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए राहतभरी खबर है। मेट्रो रेल परियोजना में मुख्यमंत्री के हरसंभव सहयोग के आश्वासन के बाद अब उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक (एमडी) जितेंद्र त्यागी इस पद पर बने रहने के लिए खुशी-खुशी मान गए हैं। सरकार को इस्तीफा सौंपने के बाद वह नोटिस पीरियड पर चल रहे थे लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उन्हें पद पर बने रहने के लिए मना लिया है।

मेट्रो रेल कारपोरेशन के एमडी पद से जितेंद्र त्यागी के इस्तीफा देने के बाद परियोजना पर संकट मंडरा रहा था। सरकार भी यह मान रही थी कि दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पद पर काम कर चुके जितेंद्र त्यागी जैसे अनुभवी व्यक्ति का साथ छूट जाने के बाद उनकी भरपाई आसान नहीं होगी। हालांकि कुछ दिन पहले शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने त्यागी को मनाने के संकेत दिए थे और इसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी जितेंद्र त्यागी को बुलाया था और इस्तीफा न देने का आग्रह किया। साथ ही आश्वासन दिया था कि वह कुछ दिन बाद उन्हें दोबारा वित्त सचिव के साथ बुलाएंगे और परियोजना को लेकर भी चर्चा की जाएगी। अब वित्त सचिव की मौजूदगी में हुई वार्ता के बाद जितेंद्र त्यागी ने इस्तीफा वापस लेने का निर्णय ले लिया है। उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी का कहना है कि मुख्यमंत्री परियोजना को लेकर बेहद गंभीर हैं और उनकी दिलचस्पी के बाद ही इस्तीफे का इरादा त्याग दिया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने स्पष्ट किया है कि देहरादून में मेट्रो रेल परियोजना का हर हाल में निर्माण किया जाएगा। उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूएमआरसी) के एमडी जितेंद्र त्यागी ने कहा की मुख्यमंत्री के साथ परियोजना के बजट जुटाने को लेकर भी चर्चा की गई। देहरादून से हरिद्वार व रुड़की तक परियोजना में करीब 100 किलोमीटर का ट्रैक बनाया जाएगा। इसमें 26 हजार करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा, लिहाजा पहले फेज में देहरादून शहर के भीतर प्रस्तावित दो कॉरीडोर (आइएसबीटी से राजपुर व एफआरआई से रायपुर) का निर्माण करने का निर्णय लिया गया। इस तरह यह काम करीब चार हजार करोड़ रुपये में हो जाएगा और लाभ के हिसाब से इस हिस्से में यात्रियों की संख्या भी अच्छी-खासी मिल जाएगी। करीब चार-पांच साल के भीतर परियोजना का पहला चरण पूरा हो जाएगा। हालांकि परियोजना को अलग-अलग चरणों की बजाय एक साथ स्वीकृत कराने का भी निर्णय लिया गया।

मेट्रो रेल परियोजना की डीपीआर पर स्वीकृति केंद्र सरकार के स्तर से मिलनी है। इसके लिए पहले केंद्र सरकार को कॉम्प्रिहैंसिव मोबिलिटी प्लान बनाकर दिया जाना है। ताकि यह स्पष्ट कराया जा सके कि शहर के लिए मेट्रो परियोजना जरूरी है। एमडी जितेंद्र त्यागी ने बताया कि प्लान तैयार करने के लिए कंपनी के चयन के लिे टेंडर आमंत्रित किए गए हैं।

दून अस्पताल की मशीनें फैला रही थीं रेडिएशन, वैज्ञानिकों ने किया सील

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देहरादून। दून अस्पताल मेडिकल कॉलेज में रेडियोलॉजी विभाग की दो मशीनों को रेडियाेधर्मिता (रेडिएशन) फैलाने के कारण केन्द्रीय परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद के वैज्ञानिकों ने सील कर दिया है। बची हुई पांच मशीनों के लिए एक माह की चेतावनी दी गई। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि दून अस्पताल के मैनेजमेंट और राज्य सरकार ने इन मशीनों को लगाने और चलाने के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग से कोई भी अनुमति नहीं ली थी।
नियमानुसार रेडियोलॉजी विभाग में जिन मशीनों से विकिरण (रेडिएशन) का खतरा होता है, उनके लिए परमाणु ऊर्जा विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। मशीनों को सील करने की यह कार्रवाई दिल्ली और मुम्बई से आए परमाणु ऊर्जा विभाग के पांच अधिकारियों के दल ने अचानक छापामारी करने के बाद की है। इस घटना के बाद दून अस्पताल, सरकार और स्वास्थ्य विभाग में अफरा-तफरी मची हुई है।
जिन दो मशीनों को फिलहाल सील किया गया है, उनमें मैमोग्राफी और फिक्स्ड मैमोग्राफी मशीन शामिल हैं। यह मशीनें महिलाओं में स्तन कैंसर की जांच के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं। जानकारी देते हुए जांच अधिकारी वी.के. सिंह जो विकिरण संरक्षा प्रभाग मुम्बई से आए हुए हैं, के साथ मंजू , राजेश्वरी पाई, अजीत सिंह तथा डॉ. ललित मोहन शर्मा जैसे अधिकारी आए हुए हैं जिन्होंने विकिरण की जांच की। उनका कहना है कि औपचारिक रूप से इस तरह के मशीनें लगाने से पहले विकिरण संरक्षा प्रभाग से अनुमति लेना आवश्यक है।
मशीनों को लगाने के पहले विभाग उनकी जांच करता है तब इसके लिए लाइसेंस देता है। इसके पीछे कारण यह होता है कि इन मशीनों से अधिक मात्रा में विकिरण न फैले ताकि रोगी को और रोगी न बनाया जाए। सिंह का कहना है कि अधिक विकिरण रोग फैलाने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करता है, जिसके लिए परमाणु ऊर्जा विभाग सुरक्षा के मापदंडों पर मशीन के खरा उतरने के बाद ही उसे लगाने के लिए प्रमाण पत्र जारी करता है।