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अब्बास-मस्तान के साथ काम करेंगे अक्षय कुमार

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अक्षय कुमार के कैरिअर में खिलाड़ी फिल्म से पहली बड़ी सफलता दिलाने वाली निर्देशक जोड़ी अब्बास मस्तान की अगली फिल्म में अक्षय कुमार हो सकते हैं। ऐसा हुआ, तो 13 साल बाद अक्षय कुमार इस निर्देशक जोड़ी के साथ काम करेंगे। 13 साल पहले 2004 में सुभाष घई के बैनर में बनी फिल्म एतराज में अक्षय कुमार, प्रियंका चोपड़ा और करीना कपूर ने मुख्य भूमिकाएं की थीं और अब्बास मस्तान की जोड़ी ने इस फिल्म का निर्देशन किया था।

‘एतराज’ के अलावा अब्बास मस्तान की फिल्म अजनबी में अक्षय कुमार के साथ बाबी देओल, करीना कपूर और बिपाशा बसु ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। अब्बास मस्तान के निर्देशन में बनी पिछली फिल्म ‘मशीन’ में उनका बेटा मुस्तफा बतौर हीरो लांच किया गया था, लेकिन बाक्स आफिस पर ये फिल्म सुपर फ्लाप रही। टिप्स कंपनी में अब्बास-मस्तान के साथ रेस की दो सफल कड़ियां बनाने के बाद जब सलमान खान को रेस 3 के लिए कास्ट किया गया, तो निर्देशन की जिम्मेदारी अब्बास-मस्तान की जगह रेमो डिसूजा को सौंप दी गई। अब्बास मस्तान ने अक्षय कुमार को जिस फिल्म का प्रस्ताव दिया है, उसमें एक हीरो की अलग अलग 12 भूमिकाएं हैं।

अक्षय को ये प्रस्ताव पसंद आया है, लेकिन अभी तक उन्होंने अंतिम फैसला नहीं किया है। अक्षय कुमार इस वक्त फरहान अख्तर की कंपनी की फिल्म ‘गोल्ड’, टी सीरिज की फिल्म ‘मुगल’ के अलावा करण जौहर के साथ बन रही फिल्म ‘केसर’ में बिजी हैं। रिलीज के लिए तैयार अक्षय कुमार की फिल्मों में आर बाल्की की ‘पैडमैन’ और शंकर की ‘रोबोट 2.0’ हैं। ये दोनों फिल्में अगले साल रिलीज होंगी।

सोनम कपूर की दो नई फिल्में

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सोनम कपूर ने सोशल मीडिया पर अगले साल (2018) के लिए दो नई फिल्में साइन करने की खबर को शेयर किया है, लेकिन इन दोनों फिल्मों को लेकर कोई डिटेल्स नहीं दी है। साथ ही सोनम ने अपनी आने वाली तीन फिल्मों का जिक्र किया है, जिसमें एक फिल्म उनकी बहन रेहा कपूर द्वारा बनाई जा रही ‘वीरां दी वैडिंग’ है, जिसमें वे पहली बार करीना कपूर खान के साथ काम कर रही हैं। स्वारा भास्कर और शिखा तल्सानिया भी इस फिल्म का हिस्सा हैं। शशांक खेतान इसका निर्देशन कर रहे हैं और फिल्म अगले साल मई में होगी।

सोनम की इस लिस्ट की दूसरी फिल्म ‘पैडमैन’ है, जिसमें वे अक्षय कुमार के साथ हैं। आर बाल्की इसके निर्देशक हैं। ये फिल्म 2018 में अप्रैल में रिलीज होगी। इस लिस्ट की तीसरी फिल्म राजकुमार हीरानी की फिल्म है, जो संजय दत्त की जिंदगी पर है और इसमें वे अपनी पहली फिल्म सांवरिया के बाद रणबीर कपूर के साथ नजर आएंगी और ये फिल्म अगले साल 30 मार्च को रिलीज होगी।

सोनम ने जिन दो फिल्मों का जिक्र किया है, उनमें से एक फिल्म को लेकर कहा जा रहा है कि विधु विनोद चोपड़ा की प्रोडक्शन कंपनी में बनने जा रही इस फिल्म में सोनम पहली बार अपने पिता के साथ काम करने जा रही हैं। दूसरी फिल्म को लेकर संकेत हैं कि इस फिल्म में विनोद मेहरा के बेटे रोहन मेहरा की जोड़ी होगी।

नौ साल बाद संवासिनी के घर का लगा पता

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काशीपुर, राजकीय नारी निकेतन में रह रही संवासिनी पिंकी की पहचान काशीपुर के रूप में हुई है। किशोरी रामनगर रेलवे स्टेशन पर करीब नौ साल पहले पुलिस को मिली थी जिसे देहरादून भेज दिया गया था।

रामनगर रेलवे स्टेशन पर वर्ष 2008 में पुलिस को करीब सात साल की एक लड़की मिली थी। पुलिस ने पूछताछ की, मगर मूकबधिर होने के कारण वह कुछ बता नहीं सकी। पुलिस ने लड़की को नारी निकेतन हल्द्वानी भेज दिया जहां पर वह करीब दो साल रही। इसके बाद लड़की को नारी निकेतन, देहरादून भेज दिया गया है।

करीब डेढ़ साल पहले ऋतु शर्मा की मूक बधिर विशेषज्ञ के पद तैनाती की गई तो निकेतन में रहने वाली लड़कियों व बच्चों के नाम व पते लगाने में जुट गई। उन्होंने जब रामनगर से मिली किशोरी से इशारों में बात की तो किशोरी ने अपना नाम पिंकी बताया। पिता का नाम मदन व माता का नाम मीना निवासी सिनेमा हाल के पास बताया। निकेतन के अफसरों ने पुलिस विभाग से संवासिनी के बारे में पता बताने को कहा।

पुलिस ने जब रिक्शा यूनियनों से पूछताछ की तो पता चला कि पिंकी के पिता मदन लाल बाजपुर रोड स्थित दीपक सिनेमा के पास अंडे व पकौड़ी की ठेली लगाते थे। करीब 8-10 साल पहले मदन की मौत हो गई। पिंकी के भाई मनोज रिक्शा चलाकर परिवार का खर्च चलाता था। वह 8-10 साल पहले परिवार के साथ मुरादाबाद चला गया, जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष डॉ. रजनीश बत्रा ने बताया कि पिंकी की बहन का नाम ऋतु है। बताया कि पिंकी घर से गुरुद्वारा के लिए निकली थी और वह भटक कर रामनगर रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई थी।

राजकीय नारी निकेतन, देहरादून में करीब डेढ़ साल में मानसिक रूप से विक्षिप्त 80 महिलाओं को उनके घर पहुंचाया गया। 225 बच्चों को उनके घर पहुंचाया गया। मूक बधिर विशेषज्ञ ऋतु शर्मा के साथ पिंकी से पूछताछ की तो उसने काशीपुर का पता बताया। यदि परिवार को जानकारी मिल जाएगी तो पिंकी को उसके घर पहुंचा दिया जाएगा।

तानाशा गल्फार को दिखाया प्रशासन ने आईना 

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किच्छा-टोल वसूली की अनुमति के बाद भी काम अधूरे छोड़ तानाशाही दिखा रही गल्फार कंपनी की प्रशासन ने गलतफहमी दूर कर दी। प्रशासन दो टूक में कहा कि 25 अकूटबर से शेष काम शुरू हो जाने चाहिए, नहीं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हाईवे का काम बंद कर टोल वसूलने में मशगूल गल्फार कंपनी को अब काम बंद करना मंहगा पड़ सकता है। कंपनी यदि 25 अक्टूबर तक मार्ग का शेष काम शुरू नहीं करती तो प्रशासन उसके द्वारा देवरिया में की जा रही टोल वसूली पर ताला लगा सकता है। इसके लिए जिलाधिकारी ने कंपनी को शेष बचे काम की सूचि के साथ बुधवार को अपने दफ्तर में तलब किया है।

दोराहा से सितारगंज तक निर्माणाधीन एनएच -74 का आज भी 20 प्रतिशत से अधिक काम शेष पड़ा हुआ है। सर्वाधिक कार्य किच्छा, रुद्रपुर व गदरपुर में बकाया है। कंपनी को बीते कुछ माह से जब से मार्ग से टोल वसूलने का काम मिला है, तब से उसने बकाया काम को ताक पर रख दिया है। कंपनी काम रोकने के पीछे कहीं जमीन न उपलब्ध न होना तो कहीं खनन सामग्री की अनुपलब्धता होने का राग अलापा जा रहा है। कंपनी द्वारा आधे-अधूरे काम को छोड़ने से क्षेत्रवासियों को जहां असुविधा हो रही है, वहीं कई लोग जानलेवा दुर्घटनाओं का भी शिकार हो चुके है।

इस संबध में जन शिकायतें मिलने पर एसडीएम ने कंपनी को नोटिस भेज काम शुरू करने को कहा गया, कंपनी ने इसे हर हाल में एक अक्टूबर से शुरू करने का भरोसा दिलाया, पर अब अक्टूबर माह में भी चंद दिन ही शेष बचे है, पर कंपनी ने मार्ग पर दोबारा कहीं भी काम शुरू नहीं किया है। जागरण ने 23 अक्टूबर को इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया, इस पर जिलाधिकारी ने मामले को अब गंभीरता से लिया है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को आदेशित किया है कि यदि गल्फार प्रशासन के नोटिस के बाद भी अब 25 अक्टूबर से मार्ग का शेष काम पूरा नहीं करती तो इसके द्वारा देवरिया गांव में बने टोल प्लाजा पर टोल की वसूली रोक दी जाए, जिलाधिकारी ने कंपनी को 25 अक्टूबर को ही मार्ग के शेष बचे काम की सूचि के साथ अपने दफ्तर में तलब किया है।

एनसी दुर्गापाल, एसडीएम ने कहा कि, “मेरे द्वारा गल्फार कंपनी को काम अधूरा छोड़ने पर नोटिस जारी किया गया था, कंपनी ने एक अक्टूबर से शेष काम शुरू करने का भरोसा दिलाया गया। पर 23 अक्टूबर तक कोई काम शुरू नहीं किया गया, कंपनी अब यदि बकाया काम शुरू नहीं करती तो जिलाधिकारी के निर्देशानुसार कंपनी की टोल प्लाजा से की जा रही वसूली रोक दी जाएगी।”

नगर निगम में शामिल होने से ग्रामीणों में रोष

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नैनीताल, भीमताल ब्लॉक के निकाय से सटी ग्राम पंचायतों को भवाली पालिका और भीमताल नगर पंचायत में शामिल किया जा रहा है। जिसके विरोध में सभी जनप्रतिनिधि लामबंद हो गए हैं।

दरअसल, भीमताल ब्लॉक के निकाय से सटी ग्राम पंचायतों को भवाली पालिका और भीमताल नगर पंचायत में शामिल किया जा रहा है। इसके चलते ग्रामीणों में बेहद रोष है। जिसके चलते क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों ने जिला मुख्यालय में जोरदार प्रदर्शन कर सरकार को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी।

जिला पंचायत सदस्य डॉ. हरीश बिष्ट और ब्लॉक प्रमुख गीता बिष्ट के नेतृत्व में बड़ी संख्या में प्रधान और बीडीसी सदस्य जिला मुख्यालय पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सरकार के निकायों के विस्तार वाले फैसले के विरोध में हाथों में तख्तियां उठार्इ थी। सभा में वक्ताओं ने कहा कि सरकार गांवों का वजूद मिटाने को आमादा है। निकायों में शामिल होने से ग्रामीणों पर टैक्स लादे जाएंगे, मनरेगा खत्म होगी।

उनका कहना है कि शहरीकरण से गंदगी बढ़ेगी और यहां की संस्कृति भी प्रभावित होगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकार ने जबरन गांवों को निकाय में शामिल किया तो आंदोलन के साथ ही कोर्ट का सहारा लिया जाएगा।

सरकार से मदद न मिलने से निराश ब्लाइंड क्रिकेट

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देहरादून,प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए दून पहुंचे इंडियन ब्लाइंड क्रिकेट टीम के बल्लेबाज दीपक मलिक ने कहा कि सरकार को ब्लाइंड क्रिकेट को भी सामान्य क्रिकेट जितनी तवज्जो दी जानी चाहिए।

दीपक मलिक ने बताया कि, “टीम ने वर्ष 2014 में दक्षिण अफ्रीका में हुए वनडे वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए खिताब जीतकर देश का नाम रोशन किया। इसके बाद वर्ष 2016 में केरल के कोच्चि में हुए एशिया कप में भी शानदार प्रदर्शन जारी रखा और खिताब पर कब्जा जमाया। इसी साल आयोजित टी-20 वर्ल्ड कप में भी ब्लाइंड क्रिकेट टीम ने गजब का खेल दिखाया और वर्ल्ड कप अपने नाम किया। इसी प्रतियोगिता में वेस्टइंडीज के खिलाफ बल्लेबाजी करते हुए दीपक मलिक ने ताबड़तोड़ 121 रन की शतकीय पारी खेली और गेंदबाजी करते हुए तीन विकेट भी झटके।”

उन्होंने बताया कि, “चिंता का विषय यह है कि आज सामान्य क्रिकेट की अपेक्षा ब्लाइंड क्रिकेट बहुत पिछड़ा हुआ है। खिलाड़ी सरकार व बीसीसीआई से मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। हां, टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद बीसीसीआई ने कुछ मदद जरूर की, लेकिन ये काफी नहीं थी। आज खिलाड़ी अपने खर्चे के दम पर प्रैक्टिस करते हैं। ब्लाइंड क्रिकेट के लिए स्टेडियम की सुविधाएं नहीं है। हम इस संबंध में सरकार व बीसीसीआई से कई बार मांग भी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।” बता दें कि दीपक मलिक इंडियन टीम में ऑलराउंडर होने के साथ हरियाणा की टीम के कप्तान भी हैं। 

रेगुलर मोड में पढ़ाई कर सकेंगे सीबीएसई के फेल छात्र

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देहरादून, सेंट्रल बोर्ड आॅफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) से जुड़े स्कूलों में बीते साल फेल हुए छात्रों के लिए अच्छी खबर है। बोर्ड ने उन्हें अपना भविष्य संवारने का एक और मौका दिया है। फैसले के तहत बीते साल फेल हुए छात्रों के पास इस साल संस्थागत रूप से यानि रेगुलर मोड में स्कूल से पढ़ाई पूरी करने का मौका होगा। बोर्ड का यह फैसला दासवीं और 12वी दोनों बोर्ड से जुड़े छात्रों के लिए प्रभावी होगा।

सीबीएसई द्वारा हाल ही में लिए गए इस फैसले के मुताबिक जो छात्र बीते साल दासवीं या फिर 12वीं बोर्ड परीक्षा में फेल हो गए थे, उन्हें इस साल भी रेगुलर मोड में पढ़ने का मौका दिया गया है। ऐसे छात्र अपने पुराने स्कूल या फिर नए स्कूल में एडमिशन प्राप्त कर दोबारा परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। बोर्ड ने स्कूलों को नए निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जो छात्र 2017 में दसवीं और बारहवीं में फेल हो गए थे वे रेग्युलर कैंडिडेट के रूप बोर्ड से मान्यता प्राप्त किसी भी स्कूल में फ्रेश एडमिशन हासिल कर रेगूलर मोड में पएत्राई कर सकते हैं। बोर्ड के नियमों पर गौर करें तो अभी तक फेल हुए छात्र केवल प्राइवेट मोड में अपनी पढ़ाई आगे बढ़ा सकते थे। लेकिन इस फैसले के बाद बोर्ड ने फेल छात्रों को स्कूल में बाकी बच्चों के साथ ही पढ़ाई करने का मौका प्रदान किया है।

सेंट्रल बोर्ड आॅफ सेकेंडरी एजुकेशन देहरादून रीजन के क्षेत्रीय अधिकारी रनबीर सिंह ने बताया कि, “बोर्ड का मकसद है कि बच्चे को शिक्षा का पूरा अधिकार मिले, नियमों के तहत प्राइवेट मोड में परीक्षा देने का प्रावधान अभी भी है। लेकिन स्कूल अपने विवेक पर छात्र को रिएडमिशन के तहत दाखिला देता है तो ऐसे बच्चे रेगूलर मोड में पढ़ाई करेंगे। बोर्ड को इसपर कोई आपत्ति नहीं है।”

31 अगस्त से पहले स्कूलों को रिएडमिशन अथवा डायरेक्ट एडमिशन का पूरा ब्यौरान रीजनल आॅफिस भेजना होगा।

देहरादून-सहारनपुर बाडर्र को लेकर पुलिस की मीटिंग

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जनपद सहारनपुर में थाना बिहारी गढ क्षेत्रान्तर्गत मोहण्ड चौक एवं डाट काली मन्दिर जनपद देहरादून के मध्य दिन-प्रतिदिन रोड़ जाम की समस्या एवं बढते हुये अपराधों की रोकथाम के सम्बन्ध मे देहरादून व सहारनपुर के पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों की मध्यस्ता में बाडर्र मीटिंग का आयोजन किया गया।

बाडर्र मीटिंग पुलिस उपमहानिरीक्षक, गढवाल परिक्षेत्र उत्तराखण्ड पुष्पक ज्योति व पुलिस उपमहानिरीक्षक, सहारनुपर परिक्षेत्र, उ.प्र. के.एस. इमेनुएल की अध्यक्षता में अपराध व ट्रैफ्रिक के संम्बन्ध में विस्तार पूर्वक चर्चा की गई।

पुलिस उपमहानिरीक्षक गढवाल परिक्षेत्र, उत्तराखण्ड पुष्पक ज्योति ने बताया गया कि, “खासतौर पर क्राईम (हत्या लूट, डकैती, वाहन लूट) घटित करने के पश्चातू अपराधियों ने तत्काल बार्डर से लगे जनपदों में शरण ले ली जाती है। इस दौरान बार्डर राज्यों की पुलिस को आपसी सांमजस्य से समय-समय पर सयुंक्त सघन चेकिंग एवं सत्यापन अभियान चलाकर अपराधियों पर नकेल कसने की आवश्यकता है।”

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साथ ही मोहण्ड चौकी, सहारनपुर एवं चौकी आशारोडी देहरादून क्षेत्रान्तर्गत डाट काली मन्दिर, के मध्य दिन-प्रतिदिन रोड़ जाम की समस्या के सम्बन्ध में ट्रैफ्रिक प्लान पर भी चर्चा की गयी। जिसमें डाट काली मंदिर, थाना बिहारीगढ़, सहारनपुर क्षेत्रान्तर्गत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सहारनपुर की तरफ से मय वायरलैस सेट सहित स्थायी पुलिस चौकी नियुक्त की जाएगी व सहारनपुर- देहरादून को जोडने वाले मार्ग के सारे गड्डे भरे जाएगें।

थाना क्लेमनटाउन पुलिस एवं थाना बिहारीगढ पुलिस ने देहरादून-सहारनपुर मार्ग पर प्रभावी गश्त बढाने के लिए निर्देशित किया गया। इसके अतिरिक्त युवाओँ में बढती नशे की प्रवृति पर प्रभावी रोक लगाये जाने हुते विभिन्न शिक्षण संस्थानों, स्कूलों आदि में जनसभा, रैलियों व जनजागरूकता निरन्तर सतत रू से चलाये जायें। मादक पदार्थों एवं शराब के अवैध धंधे पर भी प्रभावी कार्यवाही करायी जाये।

बाडर्र मीटिंग के दौरान  देहरादून से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून श्रीमती निवेदिता कुकरेती कुमार, पुलिस अधीक्षक,यातायात श्री धीरेन्द्र गुंज्याल, थानाध्यक्ष क्लेमनटाउन व जनपद सहारनपुर से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सहारनपुर श्री बबलू कुमार ,पुलिस अधीक्षक यातायात, श्री विनित भटनागर, पुलिस अधीक्षक, देहात श्री विद्धया सागर मिश्र, एसडीएम सदर सहारनपुर, व अन्य पुलिस व प्रशासनिक अधिकारीगण मौजूद रहे।

आसन बैराज जहां पक्षियों का संसार आपको देता है आमंत्रण

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देहरादून,उत्तराखंड पर्यटन के चहेतों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। विदेशों में भी इतने ज्येष्ठ और श्रेष्ठ स्थल नहीं होंगे जितने भारत में हैं। यूरोप से भी अधिक यहां का नैसर्गिक सौन्दर्य है ऐसा विदेशी भी मानते हैं। सुंदर विभिन्न पादपों से भरे जंगल तथा विशिष्ठ पशु-पक्षियों का भरा पूरा संसार लोगों को निरंतर आमंत्रण देता रहता है।

राजाजी नेशनल पार्क जो हाथियों और बाघों के लिए जाना जाता है, वहीं उत्तरकाशी का गोविंद पशु विहार कस्तुरी मृग के कारण विश्व प्रसिद्ध है। नैनीताल-अल्मोड़ा की वादियां और कौसानी के सुरम्य दृश्य कैसे भूल सकते हैं। फूलों की घाटी तो साक्षात परियों का क्षेत्र माना जाता हैं। बद्रीकेदार, गंगोत्री, यमनोत्री जैसे चार धाम जहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देते हैं, वहीं यमुना आसन के संगम पर स्थित आसन बैराज पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा पर स्थित आसन बैराज जो पक्षियों के लिए सुरम्य स्थल है। लगभग 4 किलो आद्र्र भूमि में फैला हुआ है। पानी की सतह नीचे जाने के बावजूद यहां की आद्र्रता पक्षियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी रहती है। यही स्थिति पक्षी प्रेमियों के लिए भी उत्तम पर्यटन स्थल के रूप में उन्हें यहां आने के लिए विवश करती है। देशी-विदेशी प्रजाति के जिन पक्षियों के कलरों और कोलाहल पक्षी प्रेमियों के कानों को सुकून देते हैं उनमें आईयूसीएन की रेड डाटा बुक (प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ) द्वारा लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया हैं।

asan1आगंतुक कई पक्षी जैसे मल्लाड्र्स, रेड क्रेस्टेड पोचाड्र्स, रुद्द्य शेल्दुच्क्स, कूट्स, कोर्मोरंट्स, ग्रेट्स, वाग्तैल्स, पोंड हेरोंस, पलस फि शिंग ईगल्स, मार्श हर्रिएर्स, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल्स, ऑसप्रेए और स्टेपी ईगल्स को यहाँ देखे जा सकते हैं। सर्दियों के मौसम के दौरान विभिन्न हिमालय पार प्रवासी पक्षी यहाँ आराम करते हैं, दक्षिण भारत की ओर प्रवास करते समय अक्टूबर के अंत मेंपर्यटक यहाँ पे आर्कटिक क्षेत्र के प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं।

अक्टूबर से नवंबर और फरवरी से मार्च तक की अवधि में यहाँ पक्षियों को देखने का सबसे अच्छा समय है। पिछले कई वर्षों से यह जगह पलस फिशिंग ईगल की घोंसले की जगह है। इस जगह पे सर्दियों के मौसम के दौरान आपको लगभग 90 प्रतिशत दुर्लभ जलपक्षी 11 प्रवासी पक्षी प्रजातियों सहित देखने का अवसर मिल सकता है। उनमें से कुछ है ब्राह्मिनी बतख, पिन्तैल्स, गद्वाल्ल्स, आम पोचाड्र्स, विगेओन्स, आम तेअल्स, तुफ्तेद बतख और शोवेल्लेर्स हैं। कुछ पक्षियों जैसे पेंटेड स्ट्रोक्स, ओपन बिल्लेद स्तोक्र्स और नाईट हेरोंस को देखने के लिए मई से सितंबर तक की अवधि सबसे अच्छी मानी जाती है। यदि आपको पक्षियों का स्वर्ग देखना है तो पधारे यमुना और आसन के इस संगम पर जहां पलक पांवड़े बिछाकर पक्षियों का विशाल साम्राज्य आतुरता से आपकी प्रतीक्षा कर रहा है। 

21 सालों से 200 परिवार तलाश रहे पहचान

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विस्थापन का दर्द उनसे बेहतर कौन समझ सकता है जिन्हें अपनी जन्म स्थली और वहां से जुडी यादों को समेट कर दुसरी जगह बसेरा करना पडा हो? मगर विस्थापन के दर्द से बड़ कर इन विस्थापितों के लिए उससे भी बड़ा दर्द ये है कि आज वो अपनी पहचान को मोहताज है। सरकार के एक फरमान ने घर तो उजाड़ दिये मगर जहां बसेरा देना था उसका कोई लेखा जोखा नहीं दिया। लिहाजा अपनी ही जमीन पर अवैध रुप से बसना पडा और पहचान के नाम पर कोई कागज इनके पास नहीं है। अपने ही देश और प्रदेश में रिफ्यूजी की तरह रह रहे दो सौ परिवारों का क्या है दर्द देखिये काशीपुर से हमारी एक खास रिपोर्ट।

ये कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है उस गांव की जहां जानवरों की सुरक्षा के लिए इन्सानी जानों को गांव छोडना पड़ा। और सरकार ने फरमान जारी किया कि रामनगर कार्बेट टाइगर रिजर्व पार्क से सटे गांवों को खाली करा दिया जाए और उन्हे विस्थापित कर दुसरी जगहों पर विस्थापन दिया जाए। तत्कालीन समय में 221.634 हेक्टेयर भूमि रिजर्व फोरेस्ट और वन विभाग को घोषित कर दी गयी थी। जिसके चलते वर्ष 1993-1994 को पौडी जिले से सटे झिरना धारा कौठिरों के दो सो परिवारों को उत्तर प्रदेश के समय नैनीताल जिले के रामनगर, मानपुर, प्रतापपुर,फिरोजपुर में बसाने की कवायद शुरु की गयी थी। जहां तराई पश्चिमी वन प्रभाग रामनगर के आमपोखरा रेंज में भूमि आवंटन की प्रक्रिया शुरु की गयी थी। जहां लोगों को बसने के लिए कहा गया और जिसको जहां जगह मिली उसने वहीं मकान बना लिया, ना तो कोई लिखत पढत हुई और ना ही भूमि सम्बन्धि कोई दस्तावेज ही इन ग्रामीणों को मिले। लिहाजा जो भूमि इन विस्थापितों को आवंटित हुई वो आज भी राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं है, एसे में इन परिवारों ने घर तो बना दिये पर इनकी ना रजिस्ट्री हो पायी है और ना ही नख्शे ही पास हो सके। लिहाजा बिजली का कनेक्शेन भी फर्जी तरीके से करना पड़ा, और अब विस्थापित अपनी पहचान और जमीन के लिए मोहताज है। 21 सालों से अपनी पहचान के लिए लड़ाई लड़ रहे ये विस्थापित कई सरकारों के चेहरे देख चुके मगर अब हिम्मत हार चुके है।

विस्थापितों के नाम पर भूमि के आवंटन के खेल में भू माफियाओं ने भी जमकर चांदी काटी। भू माफियाओं ने तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत से कागजों में हेरफेर कर आंवटित भूमि पर अवैध कब्जे करना शुरु कर दिया, कहीं का रकवा और दाखिल खारिज दिखाकर भू माफियाओं ने करोडों की भूमि के वारे न्यारे कर दिये। विस्थापितों को 21 साल से उनका कोई हक नहीं मिल पाया, एसे में जहां राजनैताओं ने वोट के लिए वोटर कार्ड तो बना लिए मगर आज भी उनकी वास्तविक पहचान के प्रमाण पत्र सरकारी फाईलों में गुम होकर रह गयी है। ना तो इनके नाम पर पास्टपोर्ट ही बन पाता है और ना ही बुनियादी सुविधाएँ, यही नहीं बैंक से यदि लोन भी लेना हो तो इसके लिए इनके पास कोई दस्तावेज नहीं है कि जिससे ये अपनी ही भूमि को अपना कह सके।

लिहाजा विस्थापन का दर्द झेल रहे दो सो परिवार अपनी पहचान को मोहताज है, बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ये परिवार आज भी विस्थापन का दंश झेल रहे हैं वहीं अधिकारियों की माने तो इस सम्बन्ध कई बार वो पत्र व्यवहार कर चुके हैं लेकिन शासन स्तर पर ही फाईलों के पुलिंदे अटके हुए हैं वहीं इस बारे में कोई भी बयान देने से इन्कार कर दिया।

जानवरों की हिफाजत के लिे तो ठोस कानून बने हैं लेकिन इन्सानी जिन्दगियों के लिे ना तो ठोस रणनीति बनी और ना उनके अधिकार ही मिले, 21 सालों से अपनी पहचान तलाश रहे दो सो परिवारों के दर्द की आह सरकारों के कानों तक नहीं पहुंच रही है, जिसके चलते विस्थापित हुए ये दो सौ परिवार अपनी पहचान और अपनी धरोहर के लिए जंग तो लड रहे हैं लेकिन सरकारी फाईलों में दफ्न इन दो सो परिवारों के जमीनी कागजात कहां हैं ये किसी को पता नहीं है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर कब सरकार इनकी सुध कब लेगी और कब विस्थापितों को उनका अधिकार मिलता है।