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उत्तराखंड में वनों के जीर्णोंधार के जनक हैं ग्रीन अम्बेसडर “जंगली जी”

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उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले के कोट मल्ला गांव में रहते हैं।जगत सिंह सीमा सुरक्षा बल के पूर्व सैनिक रह चुके हैं जो अब जंगली के नाम से मशहूर है। जगत सिंह हिमालय की गोद में पले-बढ़े और सन् 1968 में सीमा सुरक्षा बल में शामिल होने का फैसला किया। एक गढ़वाली किसान के परिवार में पैदा होने की वजह से बचपन से ही उनका जुड़ाव प्रकृति से तो था ही पहाड़ो के लिए भी उनका प्रेम अतुल्यनीय था।1973 में जब वह अपने परिवार से मिलने के लिए पहाड़ों पर लगभग छः किलोमीटर की चढ़ाई कर रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि एक महिला बुरी तरह से जख्मी हालत में थी जिसका पैर घास काटते हुए फिसल गया था और वह गिर गई थी। इस एक घटना ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया। उन्होंने उस महिला की मदद तो कि ही लेकिन इस समस्या का स्थायी सामाधान ढूढने के लिए वो बेचैन हो उठे। उस महिला की परेशानी देखकर उन्होंने अंदाजा लगा लिया कि उनके गांव के अन्य लोगों को पहाड़ की खतरनाक चढ़ाई चढ़कर खाने के लिए लकड़ी लानी पड़ती है।

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1974 से वह जब भी सर्दियों की छुट्टी में घर आते अपने पिता जी के दिए हुए उस बंजर जमीन के टुकड़े पर पेड़ पौधे और घास उगाने के लिए बेस तैयार करते। 1980 में उन्होंने अपनी वर्दी त्याग दी और पूरी तरह से उस बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने में लग गए जिससे वो गांव वाली की मदद कर सके। उन्होंने उस बंजर जमीन के किनारों में तरह तरह के पौधे लगाए जैसे कि रामबन्स, सिवाली और नागफली (कैक्टस) जो उस जमीन में बाड़ की तरह काम कर सके।

जंगली जी द्वारा उपयोग किए जाने वाले अलग-अलग तरकीबों से पानी के स्त्रोत के साथ ही जैविक खाद भी बनाया जाता हैः

गढ़ढा यन्त्र तकनीक एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके कारण जल संरंक्षण एवे वनस्पति खाद आसानी से तैयार की जा सकती है। इस प्रक्रिया में मिश्रित वन के अन्दर 5 फीट लम्बा एवं 3 फीट चौड़े गढ़ढे खोद लिया जाते है और इनमें मिश्रित वन में जमा सड़ी पत्तियों को डाल दिया जाता है, और इसे मिट्टी से ढक दिया जाता हैै। वर्षा होने पर जल गढ़ढे के जरिये जमीन की निचली सतह तक चला जाता है और मिट्टी कटाव भी नही होता है। गढढे की उपरी सतह पर बीजों का अकुरण किया जाता है। कुछ समय बाद गढढे में डाली गयी पत्यिों को निकालकर जैविक खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। काफी मात्रां में ऐसा करने से पानी के स्रोत भी उत्पन्न हो जाते है।

जलवायु निर्माण (स्टोन टेक्नोलाॅजी) किसी भी स्थान की जलवायु को संतुलित रखने के लिए सुक्ष्म जलवायु का निर्माण किया जा सकता है। जिस प्रकार से ग्लोबल वार्मिग की दर बढ़ रही वही इस संतुलित करने के लिए सूक्ष्म जलवायु तैयार करना आवश्यक है। सूक्ष्म जलवायु निर्माण की (स्टोन टेक्नोलाॅजी) वह प्रक्रिया है, जिसे मिश्रित विन में तैयार किया गया है इस प्रक्रिया में पत्थरों में ब्रायोफाइट वंश के सूक्ष्म पौधे माॅस को जमा देते है, बारीक होने के कारण  इनमें पानी काफी समय तक जमा रह सकता है, इसका फायदा यह है, इन पौधों को पत्थरों में जमाकर पेड़ पौधों से लटका देते है जिससे समय पर जब हवा इनको होकर गुजरेगी तो वह ठण्डी हो जायेगी और वातावरण में नमी आ जायेगी, ऐसा करने से वातावरण ठण्डा हो जाता है, जिसकों सूक्ष्म जलवायु भी कहते है। जहाॅ कें बड़े मैदान होतें है। जिनकें कारण वहांहा तापमान ठण्डा रहता है, और हिमालयी ग्लेशियर भी संरंक्षित रहते है। स्टोन टेक्नोलाॅजी विधि सो उच्च हिमालयी पादपोंका संरंक्षण निमन्न भू- भाग में भी किया जा सकता है। सूक्ष्म जलवायु निर्माण से ही ग्लोबल वार्मिग को कम कर सकते है, ये तकनीकी किसी भी स्थान पर पत्थरों की दीवार बनाकर उनपर जमाकर लागू की जा सकती है।

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ऐसे बहुत से पर्यावरण संरक्षण के काम जगत सिंह चौधरी अपने स्तर पर कर रहे हैं लेकिन विकास के लिए उत्तराखंड में कांटे जा रहे हजारों पेड़े से जंगली जी भी आहत हैं।हिमालयी क्षेत्रों में पेड़ काटने को लेकर टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में पर्यावरणविद और उत्तराखंड के ग्रीन अम्बेसडर जगत सिंह चौधरी यानि जंगली जी ने कहा कि, “उत्तराखंड को पर्यावरण और विकास को साथ लेकर चलना होगा।विकास कौन नहीं चाहता,अच्छी सड़के कौन नहीं चाहता लेकिन उसके लिए जंगलों को निर्ममता से काटना कोइ विकल्प नहीं।हिमलाय पहले से ही संवेदनशील है।भूकंप जोन में पांचवे स्थान पर आने वाला प्रदेश है,ब्लासटिंग और लैंडस्लाइडिंग में भी उत्तराखंड का नाम काफी ऊपर है।इसके साथ ही उत्तराखंड की नदियां सूख रहीं,जल स्तर गिर रहा और अब यह योजनाओं के लिए जंगलों का काटना पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है।जंगली जी ने कहा कि सरकार को अगर सच में विकास करना ही है तो इसके लिए नए सिरे से सोचना होगा और नई तकनीक विकासित करनी होगी जिसपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा।” जंगली जी ने कहा कि, “अगर सच में उत्तराखंड को विकासित करना है तो आने वाली पीढ़ी के लिए पेड़ों को काटने से बेहतर विकल्प है पेड़ों को रिप्लानट करना यानि की एक जगह से पेड़ उठाकर दूसरी जगह लगाना।ऑल वेदर रोड में करोडो़ं का बजट खर्च होगा अगर थोड़ा सा बजट पेड़ों को रिप्लांट करने में किया जाएगा तो ऑल वेदर रोड के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी कि जाएगी। जंगली जी ने कहा कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की जरुरत है।विकास के नाम पर हम हिमालय को नुकसान नहीं पहुंचा सकते और एनजीटी भी इस मुद्दे पर कोइ ठोस कदम नहीं उठा रहा।”

आपको बतादें कि पर्यावरण मंत्रालय ने उनके मिक्सड एग्रो वन के महत्व को और उनके विकास कार्य़ को भी समझा। उनके इस योगदान को 1998 में भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने उन्हें राष्ट्रीय इंदिरा गांधी वृक्षमित्र पुरस्कार से नवाजा। सन् 2012 में उत्तराखण्ड के राज्यपाल अजीज कुरैशी ने उन्हें उत्तराखण्ड के ग्रीन अम्बेसडर की उपाधि दी। अपने कामों के लिये जगत सिंह को उत्तराखण्ड गौरव अवार्ड, गौरा देवी अवार्ड, पर्यावरण प्रहरी अवार्ड के साथ साथ कई सरकारी संगठनों, डिपार्टमेंट, और इंस्टीट्यूटों ने उन्हें 30 से भी ज्यादा पुरस्कारों से नवाज़ा है।

आज जगत सिंह जी की कड़ी मेहनत और लगन से उत्तराखंड में एक लाख से ज्यादा पेड़,और 60 से भी ज्यादा प्रजाति के जड़ी बूटी वाले पौधे हमारे बीच हैं।जगत सिंह के पास पर्इ्न्होयावरण को लेकर कोई डिग्री नही है लेकिन इतने सालों से वो भारत के उच्च विश्वविधालयों जैसे की दिल्ली युनिर्वसिटी, जेएनयू, जी.बी पंत इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन इन्वारमेंट एंज डेवलेपमेंट, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविधालय,आदि में लेक्चर देते रहे हैं।

जगत सिंह का जीवन आज की पीड़ी के लिये मिसाल है इस बात की अगर मन में अपने समाज के लिये कुछ करने का जज्बा़ हो ते रास्ते अपने आप निकलते जाते हैं।

रिपोर्ट नहीं देने के मामले में ऊर्जा निगम को लगाई फटकार

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देहरादून। लंबित बिजली कनेक्शन की रिपोर्ट नहीं देने के मामले में उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) ने सुनवाई की और ऊर्जा निगम के ‘बहानों’ पर तल्ख टिप्पणी करते हुए जमकर फटकार लगाई। साथ ही फैसला सुरक्षित रख लिया। इस मामले में आयोग की ओर से कड़ा आदेश आने की संभावना है।

आयोग के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने कहा कि रेगलूेशन बने एक दशक हो चुका है, पर निगम इनका अभी तक पालन नहीं कर पा रहा है। यह गंभीर स्थिति है। पहले कम से कम तीन-चार महीने में लंबित कनेक्शनों की रिपोर्ट आ जाती थी, लेकिन हद है कि पिछले नौ महीने में एक बार भी रिपोर्ट नहीं दी गई। जबकि, हर महीने रिपोर्ट प्रस्तुत करने का प्रावधान है। इसी अंदाजा लग सकता है कि व्यवस्थाएं सुधर रही हैं, या बिगड़ रही हैं। आयोग ने सुनवाई में ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा और निदेशक परिचालन अतुल अग्रवाल से कनेक्शन समय पर जारी नहीं होने का कारण पूछा तो कहा गया कि फील्ड स्टाफ की भारी कमी है। आयोग ने कहा कि ये कोई तर्क नहीं हुआ, रेगूलेशन का पालन करते हुए उपभोक्ता को कनेक्शन समय पर देना निगम की जिम्मेदारी है। कई रिपोर्ट में कनेक्शन जारी करने में हुई देरी का कारण मीटर उपलब्ध नहीं होना अंकित किया है। क्या निगम मीटर का इंतजाम भी नहीं कर पा रहा। फिर, निगम के अधिकारियों ने कहा कि अगर जुर्माना माफ कर दिया जाए तो सुधार हो जाएगा। आयोग ने कहा कि ये तो अजीब बात हुई। जब जुर्माना लगने के बावजूद स्थिति और सुधरने के बजाय बिगड़ रही है, अगर माफ कर दिया तो फिर तो निगम बेलगाम हो जाएगा। कहा कि निगम प्रबंधन ने आजतक कोई ऐसी योजना नहीं बनाई, जिससे सुधार हो। बहाने बनाने के बजाय सिस्टम में सुधार की जरूरत है। इस दौरान यूईआरसी सचिव नीरज सती, निदेशक तकनीकी प्रभात डिमरी, निदेशक वित्त दीपक पांडे आदि मौजूद रहे। 

घर से भागी तीन छात्राओं को रेलवे स्टेशन से लौटाया

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देहरादून। मां को पत्र लिखा और अपने-अपने घर छोड़कर मंगलवार को तीन छात्राएं भाग निकलीं। रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में बिना रिजर्वेशन चढ़ने पर पुलिस को शक हुआ तो उन्हें पकड़ लिया।

letterएसओ जीआरपी दिनेश कुमार ने बताया कि देहरादून प्लेटफार्म संख्या तीन पर दिल्ली जाने के लिए खड़ी शताब्दी एक्सप्रेस में तीन छात्राएं चढ़ीं। ट्रेन में बिना रिजर्वेशन चढ़ने का शक होने पर प्लेटफार्म ड्यूटी पर नियुक्त हेड कांस्टेबल ने महिला आरक्षी निर्मला और अनीता को साथ लेकर तीनों से पूछताछ की। तीनों छात्राएं घबरा गईं। ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं होने पर पुलिस ने तीनों से जीआरपी थाने लाकर पूछताछ की। तीनों ने बताया कि वे अपने-अपने घर से स्कूल जाने के बहाने भागकर आई हैं।
तीनों छात्राओं ने बताया कि वे रोजगार की तलाश और अपने पैरों पर खड़े होने की उम्म्मीद से अपने-अपने घर एक-एक पत्र छोड़कर निकली थीं। पुलिस ने तीनों छात्राओं के परिजनों को थाना बुलाया और बच्चियों को उनके सुपुर्द कर दिया। इस दौरान छात्राओं के घर से उनका छोड़ा गया पत्र भी बरामद हो गया। रायपुर थाना क्षेत्र निवासी तीनों छात्राओं में एक की उम्र 16 वर्ष जबकि दो लड़कियां चौदह-14 वर्ष की हैं।

पतंजलि का तेल जांच में फेल, ढ़ाई लाख जुर्माना

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हरिद्वार। अपर जिलाधिकारी वित्त ललित नारायण मिश्रा द्वारा पतंजलि के सरसों तेल के सैम्पलिंग में फेल हो जाने पर लगाए गए जुर्माने के निर्णय को यथावत रखते हुए अपीलीय ट्रीब्यूनल ने पतंजलि की अपील को खारिज कर दिया है। इस मामले में कुल ढ़ाई लाख रुपये का जुर्माना किया गया है।

खाद्य सुरक्षा अधिकारी नगर निगम हरिद्वार योगेंद्र पांडे ने पतंजलि के खाद्य पदार्थों की सैम्पलिंग पतंजलि की पदार्था यूनिट में की गई थी। मामला एडीएम वित्त एवं राजस्व मिश्रा की कोर्ट में जाने पर उन्होंने पतंजलि द्वारा सरसों तेल की पैकजिंग पर मिसब्राडिंग किए जाने को लेकर ढ़ाई लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। अपीलीय ट्रीब्यूनल ने पतंजलि पर पचास हजार रुपये जुर्माना करते हुए दो लाख का जुर्माना यथावत रखा है। साथ ही आरोपों को सही माना है।

लंदन में बैठकर डॉक्टर की पत्नी से ठगे 36 लाख

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ऋषिकेश। लंदन में बैठकर कुछ लोगों ने ऋषिकेश के एक डॉक्टर की पत्नी को नेटवर्किंग के माध्यम से पार्टनर बनाने का झांसा देकर 36 लाख रुपये ठग लिए। साथ ही एक दर्जन और लोग भी इस गिरोह का शिकार हुए हैं।

मंगलवार को थाना कोतवाली ऋषिकेश के प्रभारी प्रवीण सिंह कोशियारी ने बताया कि चिकित्सक रहे स्व. केपी सिंह की पत्नी सुधा सिंह निवासी देहरादून रोड को लंदन से नेटवर्किंग के माध्यम से एक व्यक्ति ने व्यापारिक पार्टनर बनाए जाने के लिए फ्रेंडशिप भेजी थी। बीज का व्यापार करने के लिए साझीदार बनाने की बात कही गई। तय हुआ कि 30 ग्राम के पैकेट की कीमत 30 हजार रुपये होगी और बाजार में यह काफी मुनाफे के साथ बेचा जाएगा। इसके लिए उन्होंने कुछ और लोगों को भी अपने साथ जोड़ा था। इसके बाद जून से अब तक करीब 36 लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर किए। इस बीच उनके पास 20 पैकेट भेजे गए थे। व्यापार को अच्छा देखकर उन्होंने शहर के अन्य लोगों को भी इससे जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। बाद में पता चला कि यह पूरा मामला धोखाधड़ी का है। कुछ दिन बाद बीज आने बंद हो गए। इस मामले में एक महिला भी है और नाइजीरिया से जुड़े इस गैंग में फ्रंट हैंड ली, मार्क एंडरसन, अमृतवारी का नाम सामने आया है। पुलिस ने सुधा सिंह की तहरीर पर जांच प्रारंभ कर दी है।

रविंद्र ने जीता दोहरा ख़िताब, बने मिस्टर ऋषिकेश और मिस्टर उत्तराखण्ड

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ऋषिकेश,  उत्तराखंड बॉडी बिल्डिंग एसोसिएशन के तत्वावधान मे आयोजित शरीर शौष्ठव प्रतियोगिता मिस्टर ऋषिकेश और मिस्टर उत्तराखण्ड प्रतियोगिता में तीर्थनगरी के बॉडी बिल्डर रविंद्र कुमार ने दोनों ख़िताब जीतकर न केवल इतिहास रचा, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि छोटे से शहर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है बस जरूरत है उन्हें उभारने की।

शरीर सौष्ठव की इस प्रतियोगिता में विभिन्न भार वर्ग के अंतर्गत खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया। कुल छह श्रेणियां रखी गयी थी, इनमें 50 से 55 किलोग्राम भार वर्ग में शाह मिंया प्रथम, तुषार गुरुंग द्वितीय, नवीन बिष्ट तृतीय स्थान पर रहे, जबकि 56 से 60 किलो ग्राम भार वर्ग में प्रवेश प्रथम, राजा द्वितीय, सारिक शाह ने तृतीय स्थान प्राप्त। तीसरे राउंड में 61 से 65 किलोग्राम भार वर्ग में रविंद्र कुमार प्रथम, प्रवेज़ द्वितीय, अभिषेक चौरसिया को तृतीय स्थान मिला। 66 से 70 किलोग्राम भार वर्ग में अतुल त्यागी प्रथम, नैन सैफी द्वितीय, अज़ीम अली तृतीय स्थान पर रहे। 71 से 75 किलोग्राम भार वर्ग में अवनीश कुमार प्रथम, अनूप वर्मा द्वितीय, अतुल तृतीय स्थान पर रहे। वहीं, 76 से 80 किलोग्राम भार वर्ग में सनोज प्रसाद प्रथम अनूप कुमार द्वितीय रहे।

शरीर शौष्ठव की अन्तिम दौर की कड़ी और फ़ाइनल प्रतियोगिता में मिस्टर ऋषिकेश का ख़िताब अपने नाम कर चुके देवभूमि, ऋषिकेश के बॉडी बिल्डर रविन्द्र कुमार ने मिस्टर उत्तराखण्ड का ख़िताब जीतकर तीर्थनगरी का नाम रोशन किया।निर्णायक मंडल के सदस्य विनोद जुगलान एवं ज्यूरी मिस्टर इंडिया रहे संजीव कुमार ने विजेता को प्रमाण पत्र जारीकर सम्मानित किया, जबकि आयोजक मंडल के अध्यक्ष राजीव थपलियाल ने ट्रॉफी प्रदान की। साथ ही आईडीपीएल चौकी प्रभारी दीपक तिवारी ने ‘मिस्टर उत्तराखण्ड’ सोल्डर स्ट्रैप पहनाकर सम्मानित किया।

मुख्य निर्णायक प्रदीप ‘गुरु जी’ सहित बॉडी बिल्डिंग के प्रदेश महासचिव केके पालीवाल ने माल्यार्पण कर विजेता को शुभकामनाएं दी। मिस्टर उत्तराखण्ड की स्पर्धा में द्वितीय स्थान पर रहे रुड़की के मोहित सिंह को मोस्ट मस्कुलर मैन और तीसरे स्थान पर रहे अतुल त्यागी को चैम्पियन ऑफ़ चैम्पियन्स के ख़िताब से नवाजा गया। इससे पूर्व मुख्यातिथि के रूप में पधारे श्री कृष्णायन गौ रक्षाशाला हरिद्वार के महामंडलेश्वर स्वामी ईश्वर दास जी ने बॉडी बिल्डिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव थपलियाल महासचिव के के पालीवाल और गढ़वाल मण्डल प्रभारी पर्यावरण विद विनोद जुगलान को युवाओं के मार्ग दर्शन करने के लिए सम्मानित किया।

पौड़ी डीएम ने लगाया सतपुली में जनता दरबार

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पौड़ी। जनपद पौड़ी गढ़वाल में जिला प्रशासन की पहल पर सतपुली तहसील में आयोजित जनता दरबार में लोगों ने जिलाधिकारी के समक्ष 20 दिनों से ठप पड़ी पेयजल आपूर्ति को लेकर असंतोष जताया। लोगों ने पानी की नियमित आपूर्ति को लेकर जल संस्थान के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मौके पर डीएम ने जल संस्थान के अधिशासी अभियंता को तत्काल स्थलीय निरीक्षण कर पेयजलापूर्ति को बहाल करने के निर्देश दिए।
माह के प्रथम मंलगवार को सतपुली तहसील में जिलाधिकारी सुशील कुमार की अध्यक्षता में तहसील दिवस आयोजित किया गया। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे लोगों ने जिलाधिकारी के समक्ष 15 शिकायतें दर्ज कराई। जिलाधिकारी ने अधिकांश शिकायतों का मौके पर ही निस्तारण किया। तहसील दिवस पर लोगों ने पेयजल मामलों से जुड़ी कई शिकायतों से जिलाधिकारी को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि लोक निर्माण विभाग की पीएमजीएसवाई के अन्तर्गत निर्माणाधीन सड़क से ल्वार-खरकोटी पेयजल योजना क्षतिग्रस्त हो चुकी है। जिससे लोगों को पीने का पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। डीएम ने लोनिवि को शीघ्र ही लाइन दुरुस्त कर पेयजल को सुचारु करने के निर्देश दिए। विकलांग कल्याण समिति के मनीष ने संयुक्त चिकित्सालय सतपुली में एक्स-रे तथा पैथोलॉजी समेत अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग उठाई। डीएम ने सीएमओ को अस्पताल में शीघ्र ही व्यवस्थाएं सुचारु करने के निर्देश दिए।
नयार घाटी विकास संगठन के जयदीप नेगी ने उप डाकघर सतपुली कार्मिकों की कमी से दैनिक कामों में आ रही परेशानियां जिलाधिकारी को बताई। उन्होंने डाकघर में तैनात एकमात्र कार्मिक के अलावा एक अन्य कार्मिक को तैनात करने की मांग उठाई। इस मौके पर विभिन्न संगठनों से जुड़ी महिलाओं ने सतपुली मंदिर के समीप मांस की दुकान को हटाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि मंदिर के समीप मांस की दुकान से गंदगी व प्रदूषण हो रहा है। जिलाधिकारी ने थानाध्यक्ष सतपुली तथा खाद्य सुरक्षा अधिकारी को तत्काल दुकान हटाने के निर्देश दिए। इस मौके पर डीएम ने पुलिस प्रशासन को सतपुली क्षेत्रांतर्गत हो रहे अवैद्य खननों पर नकेल कसने के भी निर्देश दिए। सेवानिवृत्त तहसील कार्मिक भगवान सिंह तथा राजस्व निरीक्षक गिरीश चंद्र गौड़ ने लंबित देयकों का शीघ्र निस्तारण करने की गुहार जिलाधिकारी से लगाई। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम ने उप कोषाधिकारी व पटल सहायक को लंबित देयकों का शीघ्र निस्तारण करने के निर्देश दिए। इस मौके पर कमला देवी ने विद्युत कनैक्शन देने, कन्हैया लाल ने विपढ़न केंद्र में स्थान दिलाने, अनिल पंवार ने वर्ग 4 की मालगुजारी भूमि का मालिकाना हक देने की मांग उठाई।
कार्यक्रम से पूर्व जिलाधिकारी सुशील कुमार ने नगर पंचायत सतपुली के कार्यालय का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने अधिशासी अधिकारी विमल शाह को जैविक व अजैविक कूड़ेदान लगाने को कहा। कार्यक्रम में कृषि, उद्यान, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, बाल विकास, वन, आजीविका मिशन व राजस्व विभागों द्वारा स्टॉल लगाकर लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारियां दी गई। इस मौके पर एसडीएम सतपुली सोहन सिंह सैनी, डीएफओ गढ़वाल लक्ष्मण सिंह रावत, डीसीएमओ एचसीएस मर्तोलिया, पीडी एसएस शर्मा, डीडीओ वेद प्रकाश, एपीडी सुनील कुमार, डीपीआरओ एमएम खान समेत विभिन्न विभागों को अधिकारी एवं क्षेत्रीय जनता उपस्थित रही।

उत्तरकाशी को मिलेगी तीन 108 और हर्षिल में खुलेगी सहकारी बैंक की शाखाः सीएम

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देहरादून। उत्तराकाशी को जल्द तीन 108 एंबुलेंस मिलेंगे। इसके साथ ही हर्षिल में सहकारी बैंक की शाखा भी खोली जाएगी। कृषि महोत्सव के शुभारंभ के मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी घोषणा की। इस मौके पर उन्होंने करीब 37.60 लाख रुपये के कार्यों के शिलान्यास और लोकार्पण किए।

मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तरकाशी के रामलीला मैदान में आयोजित कृषि महोत्सव-2018 एवं विकास मेले का विधिवत उद्घाटन किया। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान की नवीन पहल की प्रशंसा करते हुए उद्योग विभाग के हिमाद्री इम्पोरियम में किसान आउटलेट एवं रैथल होम स्टे वेबसाइट का शुभारम्भ किया। मेला स्थल पर उन्होंने विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण किया। पुरोला विधानसभा क्षेत्र में विश्व बैंक पोषित रुपये 334.89 लाख की लागत से पन्द्राणु-धनीयारा पैदल मार्ग झूला पुल का लोकापर्ण किया। इसके साथ ही उन्होंने भदरासू-रमालगांव मोटर मार्ग के पुनर्निर्माण कार्य कुल रुपये 223.5 लाख, एवं नौ किमी लंबे बसाली-झोटाडी मोटर मार्ग के पुनर्निर्माण लागत रुपये 662.50 लाख, जबकि पुरोला में पलेटा-खांसी मोटर मार्ग जिसकी लम्बाई तीन किमी तथा लागत रुपये 266.50 लाख एवं पुरोला के गढ-देवल मोटर मार्ग जिसकी लम्बाई 4.500 किमी तथा लागत रुपये 312.68 लाख, गंगोत्री विधान सभा क्षेत्र के सौरा-सारी मोटर मार्ग लम्बाई 1.750 लागत रुपये 206.95 लाख, अस्सी गंगा नदी पर जंगारा तोक में 102 मीटर स्पान के झूला पुल के निर्माण लागत रुपये 615.22 लाख, गंगनानी मोटर पुल से भंगेली मोटर मार्ग लम्बाई 4.600 लागत रुपये 468 लाख, भुक्की-कुजन-तिहार मोटर मार्ग के पुनर्निर्माण जिसकी लम्बाई 05 किमी तथा लागत रुपये 198.91 लाख का लोकापर्ण किया वहीं विकास भवन कार्यालय में वीडियो कान्फ्रेंसिंग कक्ष लागत कुल रुपये 8.450 लाख का शिलान्यास भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की समस्या स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर थी, जिसे सरकार ने चुनौती के रूप में लिया। राज्य सरकार ने पहला ध्यान चिकित्सालयों में डाक्टरों की तैनाती पर दिया। उन्होंने कहा कि पहले सैकड़ों डाक्टर अटैचमेंट थे, लेकिन सरकार ने कड़ा फैसला लेते हुए अटैचमेंट व्यवस्था समाप्त कर दी। जहां पर डाक्टरों की पूर्व में तैनाती थी, उन्हें वहीं भेज दिया गया है। इसके साथ ही डाक्टरों को नोटिस जारी कर 31 दिसम्बर तक जिला चिकित्सालयों में तैनात होने के निर्देश दिये गये थे, जिसमें से कई डाक्टर अपने तैनाती स्थल पर पहुचं गये है। उन्होंने कहा कि दो माह के भीतर प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों की तैनाती कर दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि वर्ष 2019-20 तक ऑलवेदर रोड़ का कार्य अंतिम चरण में हो। इसके साथ ही इस वर्ष फरवरी एवं मार्च में ऑलवेदर सड़क के कार्यो में और तेजी आयेगी। उन्होंने कहा कि ऑलवेदर रोड़ बनने से जहां एक ओर जनपद में पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा वहीं किसान अपनी फसल को ब्रांडेड पैकिंग कर अच्छे लाभ ले सकता है। मुख्यमंत्री ने हर्षिल की राजमा का जिक्र करते हुए कहा कि हर्षिल की राजमा की ग्रेडिंग की जाय तो इसका अच्छा लाभ काश्तकारों को मिल सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालन के क्षेत्र में सबसे ज्यादा मांग भेड़ पालन की है। इस मौके पर उन्होंने पशुपालन के क्षेत्र में उपस्थित किसानों एवं लोगों से हिसाब लगाने की बात कही, कहा कि कितनी मेहनत ओर कितना लाभ पशुपालन में हुआ है। उन्होंने किसानों से घरेलू शहद का उत्पादन करने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा मांग बड़े राज्यों में पहाड़ पर उत्पादित शहद की रहती है। यदि शहद को बड़े शहरों तक पहुंचाया जाय तो किसानों को इसका अत्यधिक लाभ मिलेगा। गांव में समूह बनाकर शहद का उत्पादन किया जाय तो इससे गांव के लोगों को रोजगार मिलेगा।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राज्य के 670 न्याय पंचायतों में ग्रोथ सेंटर खोले जायेंगे, जिसमें 15 सेन्टर रेडिमेट गारमेंट के शुरू किये जायेंगे। उनहोंने कहा कि देहरादून में पिरूल रिसर्च सेन्टर खोला जायेगा। जिसमें तारपीन का तेल निकाला जायेगा, इसकी सारी तैयारी कर ली गई है तथा 10 महिने के भीतर इस पर कार्य शुरू कर दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि एलईडी बल्ब एवं लड़िया अधिक कीमतों पर बाजार से खरीदी जाती है। इसके लिए राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि न्याय पंचायतों में ग्रोथ सेन्टर खोले जायेंगे, जिसमें गांव की महिलाओं को पांच दिन का प्रशिक्षण देकर गांव की महिलायें वहीं पर एलईडी बल्ब एवं लड़िया बनायेंगी। उन्होंने कहा कि गांव से पलायन रोकने के लिए गांव में ही रोजगार के साधन उपलब्ध हो इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आंगनबाड़ी केन्द्र के कुपोषित बच्चों को ऊर्जा पोषाहार भी वितरित किये, साथ ही गंगा डेरी योजना के तहत पात्र किसानों को 40-40 हजार रूपये चैक भी वितरित किये। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग द्वारा तैयार की गई ‘‘कृषि रैबार’’ पत्रिका का भी विमोचन किया।
इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य सरकार ने कृषकों के हित में 70 से ज्यादा निर्णय लिये है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पलायन रोकना है, तो कृषि को बढ़ावा देना होगा। पहाड़ी क्षेत्रों को फसल बीमा योजना में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार से तीन हजार कृषि कलस्टर बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है, जिसका कार्य शीघ्र किया जायेगा। राज्य सरकार द्वारा कृषकों को 02 प्रतिशत ब्याज पर एक लाख तक के ऋण उपलब्ध कराये जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एकीकृत आदर्श कृषि योजना शुरू की है, जिसमें राज्य के 95 विकास खण्डों से हर विकास खण्ड से एक गांव को इस योजना में शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हितों एवं कृषि को बढ़ावा दे रही है। राज्य की तरक्की के लिए पहले जड़ों को मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि कृषि एवं उद्यान के क्षेत्र में राज्य के नौजवानों को हिमाचल के नौजवानों की तरह आगे आने की जरूरत है। उन्होंने राज्य के किसानों की खुशहाली के लिए चंकबंदी पर भी जोर दिया। कहा कि खेती के साथ-साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन आदि पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इस अवसर पर विधायक गोपाल सिंह रावत, अध्यक्ष जिला पंचायत जशोदा राणा, अध्यक्ष नगर पालिका जयेंद्री राणा, जिलाधिकारी आशीष चौहान सहित जनपद स्तरीय अधिकारी, क्षेत्रीय जनता एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। 

राज्य में बनेंगे स्वदेशी एलईडी उपकरण

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देहारदून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास में वीएस एनर्जी एंड हार्मोनिसशन एंड ऑटोमेशन प्रा.लि. के प्रबन्ध निदेशक पंकज कुमार ने भेंट की। उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष स्वदेशी एलईडी आधारित बल्ब, ट्यूबलाइट, झालर, स्ट्रीट लाइट, इमरजेंसी लाईट, टार्च आदि उपकरण बनाने से संबंधित प्रस्तुतीकरण प्रस्तुत किया। प्रस्तुतीकरण के उपरान्त मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में मुख्य सचिव एवं सचिव ऊर्जा राधिका झा के समक्ष भी प्रस्तुतीकरण दिया गया।

मुख्यमंत्री ने इस परियोजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में गढ़वाल क्षेत्र से थानो एवं कुमायुं क्षेत्र से कोटाबाग में 50-50 प्रशिक्षणार्थियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शीघ्र ही शुरू किए जाने के निर्देश दिए। वीएस इनर्जी लि. द्वारा 50 प्रशिक्षणार्थियों के समूह में, जिसमें महिला स्वयं सहायता समूहों से 40 महिलाएं एवं आईटीआई. से 10 पुरुष प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके परियोजना अंतर्गत प्रोडक्ट्स को तैयार किए जाने के लिए पांच दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही, उत्पादित वस्तुओं की मार्केटिंग भी फर्म द्वारा की जाएगी। इस प्रशिक्षण के लिए फर्म द्वारा रुपये 1200 प्रति प्रशिक्षणार्थी की दर से धनराशि ली जाएगी, जिसका वहन उत्तराखण्ड कौशल विकास मिशन (यूकेएसडीएम) द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इसमें महिला स्वयं सहायता समूहों एवं आईटीआई डिप्लोमा होल्डर्स को शामिल करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पायलट परियोजना की सफलता के बाद परियोजना के लिए वृहद कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्युत खपत में कमी लाने में एलईडी की बडी उपयोगिता है। राज्य सरकार द्वारा सरकारी व अर्द्धसरकारी विभागों में एलईडी बल्बों का प्रयोग अनिवार्य किया गया है एवं इसके वितरण के लिये महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए छोटे शहरों में महिला स्वयं सहायता समूहों एवं न्याय पंचायतों पर इन उपकरणों को बनाने के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है। इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा भी मिलेगा।
उन्होंने कहा कि सभी 670 न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेंटर के रूप में विकसित करना राज्य सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है। इससे न्याय पंचायतों में महिलाओं एवं युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस परियोजना के प्रथम चरण में स्वयं सहायता समूहों को यह प्रशिक्षण दिया जाएगा एवं द्वितीय चरण में आई0टी0आई0 डिप्लोमा प्राप्त छात्र-छात्राओं के समूह को प्रशिक्षण देने के उपरान्त इन संस्थानों में प्रोडक्शन यूनिट स्थापित की जाएगी। इस अवसर पर ऊर्जा सचिव राधिका झा एवं मुख्य योजना अधिकारी उरेडा, एके त्यागी एवं वीएस इनर्जी के विनय कुमार भी उपस्थित थे। 

गैरसैंण स्थाई राजधानी के लिए यूकेडी ने खटखटाया मंत्रियों का दरवाजा

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देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल ने गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाए जाने के लिए अभियान दस्तक दो के तहत यमुना कॉलोनी स्थित मंत्री आवास में प्रदेश सरकार के मंत्रियों के घर दस्तक दी। मंगलवार को दल के पदाधिकारी यमुना कॉलोनी स्थित मंत्री आवास के मुख्य द्वार पर एकत्रित हुए। यहां से सभी प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के आवास पहुंचे। हरक सिंह रावत से स्थाई राजधानी के मुद्दे पर समर्थन मांगा।
यूकेडी के महानगर अध्यक्ष संजय क्षेत्री ने बताया कि हरक सिंह रावत ने गैरसैंण मुद्दे को समर्थन तो दिया, लेकिन साथ में यह भी जोड़ा कि पिछले 17 वर्षों में सत्तारूढ़ सरकारें जिस तरह बेहिसाब रुपये राजधानी देहरादून में खर्च कर चुकी हैं, उसे देखते हुए राजधानी गैरसैंण ले जाना दूर की कौड़ी साबित होगी। इसके बाद यूकेडी कार्यकर्ता विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल एवं मंत्री रेखा आर्य तथा शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के आवास पर पहुंचे, लेकिन किसी से भेट नहीं हुई। तुरन्त वहां से भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के आवास पहुंच गये। यहां काफी देर तक आवास के भीतर से कोई जवाब न आने पर आक्रोशित हो गए।
महानगर अध्यक्ष संजय क्षेत्री ने कहा कि पूर्व सूचना के बाद भी राजधानी गैरसैण समर्थकों को मिलने के लिए बेवजह इंतजार कराना यह साबित करता है कि सरकार गैरसैण समर्थकों का मनोबल तोड़ना चाहती है। साथ ही उन्होंने समर्थकों के साथ प्रदेश सरकार के विरोध में नारेबाजी करते हुए अजय भट्ट के आवास के मुख्य द्वार पर धरना शुरु कर दिया। लगभग दस मिनट धरने पर बैठने के बाद अजय भट्ट ने उक्रांद कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया। राजधानी के गैरसैण के मुद्दे पर अजय भट्ट ने यूकेडी नेताओं ने उनका पक्ष सुना। यूकेडी का आरोप है कि उन्होंने बड़ी सफाई से सारी जवाबदारी कांग्रेस के पाले में डालते हुए गोलमाल जवाब दिया।
उक्रांद नेताओं ने कहा कि कांग्रेस तथा भाजपा को उत्तराखंड की जनभावनाओं तथा राजधानी के मुद्दे से कोई सरोकार नहीं है। दोनों ही पार्टियां केवल अपनी अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए उत्तराखंड की जनता की भावनाओं से जुड़े गैरसैण के मुद्दे का दोहन करती रही है। सत्ता हासिल करने के बाद गैरसैंण का मुद्दा दोनों ही राजनीतिक दलों के गले की फांस बन जाता है। दोनों ही पार्टियों के विधायक एवं मंत्री जनता के इस सवाल पर नजर बचाते फिरते हैं।
मंत्रियों का घेराव करने वालों में महानगर अध्यक्ष संजय क्षेत्री के साथ यूकेडी संरक्षक बीडी रतूड़ी वरिष्ठ नेता लताफत हुसैन, केंद्रीय प्रवक्ता सुनील ध्यानी, केंद्रीय उपाध्यक्ष एन के गुसाईं, समीर मुखर्जी, सुरेंद्र बुटोला सुरेंद्र रावत,सुमित बडोनी,गौरव उनियाल, ललित घिल्डियाल, सचिन उपाध्याय, ललित कुमार, ताहिरा बेगम, दीपक सिंह नेगी नंदू ,कैलाश राणा, सुशील ममगई, मनोज मंमगाई आदि शामिल थे।