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रेरा ने पांच बिल्डरों के प्रोजेक्ट किए निरस्त

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देहरादून। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में पंजीकरण कराने को लेकर सुस्त बने पांच बिल्डरों/प्रॉपर्टी डीलरों के प्रोजेक्ट निरस्त कर दिए हैं। रेरा की प्रोजेक्ट निरस्त करने की दिशा में प्रदेश में यह पहली कार्रवाई है। अब इन प्रोजेक्ट के तहत फ्लैट या प्लॉट की खरीद-फरोख्त नहीं की जा सकेगी। ये सभी प्रोजेक्ट ऊधमसिंहनगर के हैं।

रेरा के सचिवालय के रूप में काम कर रहे उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) के कार्यक्रम प्रबंधक कैलाश पांडे के मुताबिक ”14 बिल्डर/प्रॉपर्टी डीलर ऐसे थे, जिन्होंने रेरा में पंजीकरण के लिए आवेदन तो किया था, लेकिन पर्याप्त दस्तावेज जमा नहीं कराए गए थे। इन्हें समुचित दस्तावेज जारी कराने के नोटिस जारी किए गए थे। दो नोटिस जारी करने के बाद एक और अंतिम नोटिस भेजा गया था। नोटिस मिलने पर नौ प्रोजेक्ट संचालकों ने जवाब दाखिल कर दिया, जबकि पांच प्रोजेक्ट के बारे में कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद रेरा के नियामक प्राधिकारी व सचिव आवास अमित नेगी ने लापरवाह बिल्डरों व प्रॉपर्टी डीलरों के प्रोजेक्ट का नक्शा निरस्त कर दिया गया। ”

इनके प्रोजेक्ट निरस्त

  • लाल जी गोपीनाथ जी इंफ्राटेक प्रा.लि.,
  • मनोज चंद्र पनेरू (दो प्रोजेक्ट),
  • विजय भूषण गर्ग,
  • मुखत्यार सिंह। 

अगले चार महीने में 179 आटोमेटिक वेदर स्टेशन होंगे स्थापित

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अगले चार महीने में 179 आटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित हो जाएंगे। डॉप्लर रडार के लिए मसूरी, मुक्तेश्वर और पिथौरागढ़ में स्थल का चयन कर लिया गया है। स्थापित करने की प्रक्रिया 18 महीने में पूरी हो जाएगी, पहला डॉप्लर रडार मसूरी में लगाया जाएगा। यह जानकारी मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सचिवालय में भारतीय मौसम विभाग के उप महानिदेशक डॉ.डी.प्रधान के साथ विचार विमर्श के दौरान दी।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि यात्रियों की सुविधा के लिए उन्हें मौसम की रियल टाइम जानकारी दी जाय, कहा कि मानसून से पहले आटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित कर दिए जाए। एसएमएस के अलावा यात्रा मार्ग पर जगह जगह डिस्प्ले बोर्ड भी लगाया जाए। बताया गया कि आटोमेटिक वेदर स्टेशन लगने से रियल टाइम पूर्वानुमान करने में सुविधा होगी।
राज्य के हर ब्लॉक में स्टेशन की स्थापना होगी। इससे बाढ़, बारिश, हिमस्खलन, बादल फटने, तूफान, ओलावृष्टि की जानकारी मिल सकेगी। पर्यटन, खेती, बागवानी, आपदा से बचाव में मदद मिलेगी। स्टेशन के संचालन और तकनीकी सपोर्ट के लिए भारतीय मौसम विभाग से एमओयू किया गया है। स्टेशन का डेटा भारतीय मौसम विभाग के नेटवर्क से जुड़ जाएगा। हर 15 मिनट में मौसम के पूर्वानुमान का रियल टाइम डेटा मिलता रहेगा, बताया गया कि 7 आटोमेटिक वेदर स्टेशन को वीसैट और अन्य को जीपीआरएस से चलाया जाएगा। बताया गया कि इसमें 28 ऑटो रेन गेज, 25 एडवांस सरफेस ऑब्जरवेशन, 16 ऑटो स्नो गेज भी शामिल है।

निकाय चुनाव के लिए दावेदारों की परिक्रमा शुरु

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रुद्रपुर- निकाय चुनावों की सरगर्मियां तेज होते ही नेताओं की परिक्रमा करने वालों की होड लग गयी है, नगर पालिका नगर पंचायत सहित मेयर के पदों को लेकर भाजपा कांग्रेस के दावेदार अपने अपने राजनैतिक आकाओं की परिक्रमा में जुट गये है, जनपद उधमसिंहनगर की बात करें तो यहां दो मेयर की सीटों पर घमासान मचा है, दावेदारों की संख्या इतनी है कि संगठन को भी असमंजस में खडा कर दिया है वहीं कांग्रेस के अनुसार जीताउ कन्डीडेट पर ही दाव लगाना बेहतर होगा।

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भाजपा में जहां मेयर की काशीपुर और रुद्रपुर सीट पर दावेदारों की फेहरिस्त काफी लम्बी है वहीं दावेदार अपने राजनैतिक आकाओं के संरक्षण में अपनी दावेदारी मजबूत मान रहे है जबकि संगठन का रुख फिलहाल साफ नहीं है, वहीं काशीपुर की बात करें तो यहां मेयर की सीट भाजपा की झोली मे जरुर में मगर इस बार किस पर दांव खेलें ये पेचीदा होगा, वहीं कांग्रेस के पास पिलहाल उम्मीदवारों की सूची तो लम्बी है मगर जीताउ पर दांव खेलने के मूड में लग रही कांग्रेस किसी भी करवट बैठ सकती है।

रुद्रपुर के मेयर प्रत्याशी का चुनाव भी इससे अछूता नहीं है। यहां टिकट मांगने वालों की लंबी फेहरिस्त है। टिकट के दावेदारों में सत्ता व संगठन में भी दूरी होने की चर्चाएं हैं।

सूबे की कुल मेयर की आठ सीटे हैं। देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, कोटद्वार, हल्द्वानी, रुद्रपुर, काशीपुर व रुड़की।  जिसमें सभी सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी के रूप में कई कई दावेदार देखे जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस में अभी मेयर प्रत्याशी बनने को लेकर खास उछल कूद नहीं है, लेकिन भाजपा में प्रत्याशियों के दावेदारों की संख्या में खासा इजाफा है। जाहिर है कि भाजपा में टिकट वितरण के बाद उतना ही विरोध और असंतोष होगा। लगभग सभी स्थानों पर दावेदारों की सूची काफी लंबी है। हालांकि इन नामों पर भाजपा के शीर्ष पदाधिकारी यों से बात की जा रही है तो वे लोग कुछ भी नहीं बोल रहे हैं। संगठन जिसको टिकट देगा, वही पार्टी का प्रत्याशी होगा।

रुद्रपुर मेयर की सीट पहली बार में आरक्षित की गई थी। जिससे अनुसूचित जाति की मेयर सोनी कोली ने शहर में भाजपा का परचम फहराया था। हालांकि राजनीतिक गलियारों से मिल रही खबरों पर विश्वास करें तो इस बार रुद्रपुर की सीट सामान्य अनारक्षित हो रही है। जिसके चलते यहां अनेक दावेदार हो गए हैं। यहां तो कई को मेयर पद का प्रत्याशी कहकर लॉलीपाप थमाने का काम किया गया है। जिसके चलते ऐसे कथित प्रत्याशी पद के दावेदारों ने पूरे शहर में जगह जगह पोस्टर और बैनर लगाकर दावेदारी पुख्ता करने में जुटे हैं।

केक की मिठास से लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाती हल्द्वानी की श्रुति

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उत्तराखंड राज्य में हो रहे पलायन को रोकने के लिए हर कोई प्रयासरत है।जहां एक तरफ सभी राज्य से हो रहे पलायन को दिखा रहा वहीं कुछ युवा ऐसे भी है जो रिवर्स पलायन कर रहे और अपनी जन्मभूमि को अपनी कर्मभूमि बना रहे हैं।इस कहानी की मुख्य भूमिका में हैं श्रुति जिन्होंने देश और विदेश से ट्रेनिंग लेने के बाद अपनी केक बनाने की कला को अपने शहर में निखारने का प्रण लिया है।

27 साल की युवती है श्रुति माहेश्वरी हल्द्वानी की रहने वाली हैं। प्रारंभिक शिक्षा हल्द्वानी में करने के बाद दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से बीबीए की डिग्री ली। अपनी कला को तराशने के लिए लंडन के कॉलेज ली-कार्डन बिल्यु से पेटिज्री में डिप्लोमा लिया।इसके बाद श्रुति ने ओबरॉय ग्रुप के ट्राइडेंट होटल मुंबई में कुछ समय काम किया, लेकिन अपनी जिंदगी बदलने वाले फैसले में श्रुति ने अपनी जन्मभूमि यानि की उत्तराखंड को चुना। इस समय  हल्द्वानी में लोगों की पसंदीदा बेकरी है ‘केक स्मिथ बाई श्रुति‘।अपने केक की मिठास के माध्यम से श्रुति ने बहुत से लोगों के दिल जीते हैं और अब श्रुति केक स्मिथ के माध्यम से लोगों में मशहूर हैं।

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श्रुति से टीम न्यूज़पोस्ट की बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्होंने लंडन से डिप्लोमा करने के बाद अपनी करियर की शुरुआत मुंबई के ट्राइडेंट होटल से की जहां काम करने के दौरान उन्होंने अपने ग्रुप के साथ काम करते हुए बहुत से लोगों और सेलिब्रिटी जैसे की सुष्मिता सेन के लिए भी केक बनाया है।श्रुति कहती है कि, “मेरे परिवार ने मुझे हमेशा मेरे काम में सहयोग दिया हैं। इसके अलावा मेरे दो गुरु शेफ ललित मनराल और शेफ एडेलबर्ट एंथोनी डिसूज़ा से भी मैने बहुत कुछ सीखा है।”श्रुति कहती हैं कि, “वैसे तो वह जो कर रही हैं उससे बहुत खुश हैं लेकिन भविष्य में वह डायबिटिज के मरीजों के लिए शुगरलेस केक बनाा चाहती हैं, मैने बहुत से शुगर के मरीज़ देखें हैं जो केक और बेकरी के प्रोडक्ट खाने की इच्छा तो रखते हैं लेकिन अपनी बीमारी की वजह से खा नहीं पाते।” श्रुति कहती हैं ऐसे मरीज़ो को देखकर मुझे शुगरलेस केक बनाने की प्रेरणा मिली है।यह केक शहद और खजूर के शुगर से मिलकर बनेगा जो डायबिटिक मरीज़ बिना किसी डर के खा सकेंगें। श्रुति कहती हैं कि, “मैं चाहती हूं कि मेरा केक ना केवल हल्द्वानी बल्कि आसपास की जगहों तक पहुंचे और लोग बेझिझक फ्रेश और स्वास्थवर्धक केक खा सकें।”

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ऐसे बहुत कम लोग है जो दूसरों के बारे में सोचते हैं लेकिन आपको बतादें कि श्रुति ने नए साल यानि की 1 जनवरी को एनएबी नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्लाइंड संस्था के बच्चों के लिए 100 चॉकलेट चिप मफीन केक बनाये  और उनके पास लेकर गई थीं।श्रुति कहती हैं कि, “उन बच्चो के चेहरे पह वह मुस्कान मेरे लिए मेरे काम की सराहना थी और मुझे यह महसूस करा रही थीं कि मैं सच में एक अलग और शकुन देने वाले प्रोफेशन में हूं।” श्रुति कहती हैं कि आने वाले समय में वह डायबटिज के मरीजों के चेहरों पर भी केक खाते समय यही मुस्कान देखना चाहती हैं।

श्रुति जैसे लोग कम हैं लेकिन लंडने से डिप्लोमा करने और मुंबई में नौकरी करने के बाद भी श्रुति का हल्द्वानी शहर में अपना काम बढ़ाना इस बात का प्रतीक है कि अभी भी बहुत से लोग राज्य में हो रहे पलायन को पीठ दिखाते हुए रिवर्स पलायन का संदेश दे रहै हैं।

श्रुति को टीम न्यूजपोस्ट की तरफ से उनके काम के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।

आबकारी विभाग में उलटी गंगा, अपर आयुक्त दौड़ेंगे फील्ड में

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देहरादून। किसी विभाग में शायद ही ऐसा उदाहरण देखने को मिला हो, जिसे आबकारी विभाग ने अंजाम दिया है। संयुक्त आयुक्त व उपायुक्त के जिन पदों का सृजन फील्ड के लिए किया था, वह ढाई से करीब साढ़े तीन साल के अंतराल से मुख्यालय में जमे हैं और अपर आयुक्त का जो पद मुख्यालय के लिए बना है, उन्हें फील्ड में उतारने के फरमान जारी किए गए हैं। शासन स्तर पर लिए गए इस निर्णय से आबकारी आयुक्त वी षणमुगम सहमत नहीं थे और इस असंतुष्टि के कुछ दिन बाद ही उन्होंने इस पद को छोडऩे की इच्छा जाहिर कर दी। उन्होंने लिखित रूप से अपनी इच्छा के बारे में कार्मिक विभाग को भी अवगत करा दिया है। आयुक्त की इस ‘इच्छा’ को लेकर विभाग में तरह-तरह की चर्चाएं भी हैं।

सितंबर 2014 में संयुक्त आयुक्त के दो पद गढ़वाल व कुमाऊं मंडल के लिए स्वीकृत किए गए थे। इसी तरह मई 2015 में दोनों मंडल के लिए दो उपायुक्त के पद भी सृजित किए गए थे। जिसका सीधा आशय यह था कि जिन अधिकारियों को यह जिम्मेदारी मिले, वह अपने-अपने कार्य क्षेत्र में राजस्व बढ़ाने, शराब तस्करी रोकने, अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई करने, नियमित जांच करने की व्यवस्था में अपना भरपूर योगदान दे सकें। कागजों में तो यह पद सृजित भी कर दिए गए है और अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी भी दे दी गई। यह बात और है कि इन पदों को सृजित करने का मकसद आज तक पूरा नहीं हो पाया। हालांकि आयुक्त के रूप में वी षणमुगम के चार्ज संभालने के बाद से ही व्यवस्था परिवर्तन होने लगी थी। उनकी निगाह संयुक्त आयुक्त व उपायुक्त के पद सृजन पर भी पड़ी और इससे पहले कि वह कुछ निर्णय कर पाते, शासन से इससे एक कदम आगे बढ़कर जूनियर अधिकारियों की जगह वरिष्ठतम रैंक के अधिकारियों को फील्ड में उतारने का तानाबाना बुन डाला।
अपर आयुक्त को गढ़वाल व कुमाऊं मंडल की जिम्मेदारी संभालने के आदेश में यह लिखा गया है कि अग्रिम आदेश तक दोनों अपर आयुक्त संबंधित मंडल से ही काम देखेंगे। जबकि आबकारी आयुक्त वी षणमुगम इससे असहमत थे, उनका यह मानना था कि अपर आयुक्त नोडल के रूप में यह जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। ताकि जरूरत पडऩे पर वह अपने मंडल में बैठक कर सकें या विभिन्न दौरों पर जा सकें। न कि स्थानांतरण के रूप में उन्हें यह जिम्मेदारी दी जाए।
आबकारी अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह ने बताया कि ”अपर आयुक्त के मुख्यालय के जिन दो पदों को मंडल में उतारने के आदेश किए गए हैं, उन पर पुनर्विचार के लिए आबकारी मंत्री से विचार-विमर्श किया जाएगा। जहां तक बात आबकारी आयुक्त के अंसुष्ट होने के चलते पद छोडऩे की इच्छा जाहिर करने की है, वह बात मुझ तक भी पहुंची थी। इस पर मैने उनसे बात की तो उन्होंने काम की अधिकता के चलते यह निर्णय लेने की बात कही।”

योगी के खौफ से बचने को बदमाश ने किया उत्तराखंड का रुख

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हरिद्वार, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का खौफ उत्तराखंड में खासतौर पर यूपी की सीमा से सटे क्षेत्रों में साफ दिखाई देने लगा है। योगी के खौफ से परेशान अपराधी बचने के लिए उत्तराखंड का रुख करने लगे हैं।

ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश की कमान योगी आदित्यनाथ ने जब से संभाली है, अपराधियों के हौसले पस्त होने लगे हैं। प्रतिदिन कोई न कोई मुठभेड़ पुलिस की अपराधियों के साथ हो रही है। बदमाश पकड़े भी जा रहे हैं और मारे भी जा रहे हैं। इसके चलते अब अपराधी उत्तर प्रदेश छोड़ उत्तराखण्ड का रुख करने लगे हैं। यह खुलासा मंगलवार को लक्सर क्षेत्र में पुलिस व बदमाशों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद पकड़े गए दो बदमाशों ने किया है।

बदमाशों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उत्तर प्रदेश में योगी के खौफ से बचने के लिए ही उन्होंने उत्तराखण्ड का रुख किया। योगी की बदमाशों में पर सख्ती के चलते पुलिस का शिकंजा बदमाशों पर कसता जा रहा है। यही कारण है कि उन्होंने लूटपाट के लिए उत्तराखण्ड का रुख किया। पकड़े गए बदमाशों के इस खुलासे ने पुलिस को और सतर्क रहने की हिदायत दी है। इस खुलासे के बाद उत्तराखण्ड पुलिस के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं। उत्तर प्रदेश के बदमाशों को रोकने के लिए उत्तराखण्ड पुलिस को अधिक सतर्क रहने के साथ अपने सूचना तंत्र को और अधिक मजबूत करना पड़ेगा। साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में पैनी नजर रखनी पड़ेगी, जिससे उत्तराखण्ड जैसे शांत प्रदेश में बदमाश अशांति न फैला सकें।

 

फरियादी की मौत पर मजिस्ट्रीयल जांच शुरू, एडीएम ने भाजपा मुख्यालय में की पूछताछ

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देहरादून। हल्द्धानी निवासी प्रकाश पाण्डेय की मौत को लेकर मजिस्ट्रीयल जांच शुरू हो गई है। गुरुवार को अपर जिलाधिकारी बीर सिंह बुदियाल ने भाजपा मुख्यालय पहुंचकर पूछताछ की।
ज्ञात रहे कि भाजपा मुख्यालय में शनिवार को लगे कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के जनता दरबार में पाण्डेय ने खुद को जहर खाकर आया हुआ बतया था। उसके बाद उसे दून चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहां से उसे मैक्स अस्पताल भेज दिया गया। वहां उपचार के दौरान 09 जनवरी को पांडेय की मौत हो गई। इस संबंध में घटना से सम्बन्धित कारणों की मजिस्ट्रीयल जांच के लिए जिलाधिकारी द्वारा अपर जिलाधिकारी बीर सिंह बुदियाल को नामित किया गया है।
बुदियाल ने गुरुवार को बलबीर रोड स्थित भाजपा मुख्यालय से जांच की शुरुआत की। उन्होंने इसी क्रम में भाजपा मुख्यालय प्रेस कांफ्रेंस हाल और परिसर में भी जांच-पड़ताल करते हुए मुख्यालय में भाजपा सचिव पुष्कर सिंह काला से स्व. प्रकाश पाण्डेय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की। घटना के विभिन्न पहलुओं के तहत एडीएम जांच कर रहे हैं।

महिला सशक्तिकरण के लिए राज्य सरकार गंभीरः सीएम

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देहरादून। राज्य सरकार महिला स्वयं सहायता समूहों को सशक्त करने के लए शीघ्र ही विशेष योजना पर कार्य करेगी। सरकार महिलाओं की स्थिति मजबूत करने के लिए कौशल विकास, उत्पादन शक्ति में महिलाओं के योगदान, उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने के प्रयासों पर विशेष फोकस किया जा रहा है। उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उक्त विचार व्यक्त किए।
गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग के तत्वावधान में आयोजित ‘आजादी के बाद महिलाओं की दशा एवं दिशा’ विषय पर द्वि-दिवसीय सेमिनार के समापन कार्यक्रम में प्रदेश की छह महिलाओं को सम्मानित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेन्टर के रूप में विकसित करेगी। 15 न्याय पंचायत सेन्टरों में महिलाओं को सिलाई के लिए कटिंग किए हुए परिधान सिर्फ सिलाई के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। राज्य में दो महिला बैंक आरम्भ किए गए हैं। अन्य जिलों में भी यह बैंक आरम्भ किए जाएंगे। एलईडी बल्ब वितरण भी महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा कराए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन तलाक के मुद्ये पर समस्त महिला समाज को एकत्र होना चाहिए। तीन तलाक के कानून से भारी परिर्वतन समाज में देखने को मिलेगा। यह किसी वर्ग, जाति, धर्म या समुदाय विशेष से जुड़ा विषय नही है, बल्कि यह समस्त समाज को प्रभावित करेगा। इस कानून से देश की 18 प्रतिशत मुस्लिम महिला आबादी को देश की प्रगति में योगदान करने का अधिकार भी मिलेगा। आने वाले समय में यह कानून पूरे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा तथा देश को मजबूती मिलेगी।
बता दें कि तीन तलाक विषय पर सुप्रीम कोर्ट जाने वाले महिला भी उत्तराखण्ड से थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से 10 महीने पहले छह वर्ष तक के बच्चों में लिंगानुपात पौड़ी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिलों में चिन्तनीय रूप से कम था। इस सम्बन्ध में पुनः सर्वे करवाया गया और तथ्यों की पुष्टि की गई। सम्बन्धित जिलाधिकारियों को इस पर विशेष फोकस करने के निर्देश दिए गए। आज पिथौरागढ़ व चम्पावत जिलों के लिंगानुपात के गैप में कमी देखने को मिली है। उन्होंने उत्तराखण्ड की सफल महिलाओं से इस अभियान से जुड़ने का आह्वान किया।
सीएम ने कहा कि आज राज्य के 13 जिलों में से तीन जिलों में महिला जिलाधिकारी और चार जिलों में महिला पुलिस अधीक्षक तैनात हैं। इन जिलों में बहुत अच्छा कार्य हो रहा है। राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयोग सफल हुए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि आज देशभर में लगभग 31 लाख अनाथ बालक-बालिकाएं हैं। राज्य सरकार अनाथ बच्चों को राजकीय सेवाओं में आरक्षण देने के विषय में शीघ्र ही गम्भीरता से विचार करेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने समाजसेवी माता मंगला माता, गायिका कल्पना चौहान, अभिनेत्री उर्वशी रौतेला, मॉडल अनुकृति गुसांई समेत हर्षवन्ती बिष्ट व बसन्ती बिष्ट को विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने उपस्थित अन्य राज्यों की महिला आयोग अध्यक्षों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित भी किया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सरोजनी कैन्तुरा के साथ ही जम्मू कश्मीर, उड़ीसा, छतीसगढ़, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात महिला आयोग की अध्यक्ष उपस्थित थीं।

मुआवजे के मामले में उत्तराखंड मुख्य सचिव को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

देहरादून,  उच्च न्यायालय ने वर्ष 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा में श्रीनगर बांध के कारण प्रभावित हुए परिवारों की ओर से अलकनंदा हाइड्रो पावर कंपनी लिमिटेड पर दाखिल मुआवजे के लिए चल रहे केस में उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह को समुचित शपथ पत्र दाखिल करने के लिए कहा है, मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद होगी।

2013 में आई आपदा में अलकनंदा गंगा पर बने श्रीनगर बांध कंपनी ‘अलकनंदा हाइड्रो पावर कंपनी लिमिटेड कंपनी’ का नदी किनारे रखा मलबा अलकनंदा नदी में बह गया। इस लाखों टन मलबे के कारण श्रीनगर शहर के निचले हिस्सों में जब पानी भरा तो यह मलवा भी घरों में गैर-सरकारी और सरकारी इमारतों में घुस गया। पानी धीरे-धीरे नीचे उतरा तो पूरा क्षेत्र समाधिस्त हो चुका था,

घरों में आठ फिट मिट्टी भर गई थी। बांध कंपनी द्वारा इस आपदा पर ‘श्रीनगर बांध आपदा संघर्ष समिति’ और ‘माटू जन संगठन’ ने 2013 में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में ‘अलकनंदा हाइड्रो पावर कंपनी’ पर मुआवजे के लिए दावा दायर किया। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने 19 अगस्त 2016 में अपने आदेश में वादियों को सही ठहराते हुए 9 करोड़ 27 लाख का मुआवजा मंजूर किया था। मामले में बांध कंपनी उसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दाखिल की थी। जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने अपने तीन अक्टू्ूबर 2016 के आदेश में प्रभावितों को अपने दावे उप जिलाधिकारी के पास जमा करने के लिए और उप जिलाधिकारी द्वारा उस पर अपनी रिपोर्ट न्यायालय में दाखिल करने का आदेश दिया था।

प्रभावितों के वकील संजय पारीख ने अदालत को बताया की प्रभावितों ने 2016 में अपने विस्तृत दावे उप जिला अधिकारी के समक्ष दायर किए लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार ने अभी तक उस पर अपनी रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। इसी को लेकर न्यायाधीश मदन लोकुर व न्यायाधीश दीपक गुप्ता की बेंच ने सरकार को फटकार लगाते हुए शपथ पत्र दाखिल करने के लिए कहा । बेंच छह हफ्ते बाद दोबारा केस की सुनवाई करेगी।

माटू जनसंगठन के अध्यक्ष चंद्र मोहन भट्ट ने कहा कि, “राज्य सरकार इस मसले पर गंभीर होती तो तीन महीने में जांच पूरा करने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मामले में संघर्ष समिति कई बार उप जिलाधिकारी व जिलाधिकारी महोदय को मिली और उन्हें एनजीटी के आदेश की प्रतियां, उच्चतम न्यायालय के आदेश की प्रतियां भी दी गई लेकिन सरकार की ओर से इसके बाद भी बेहद धीमी गति से कार्य किया जाता रहा। उन्होंने कहा कि अब उच्चतम न्यायालय से ही उन्हें उम्मीद है। न्यायालय के आदेश के बाद संभवत सरकार व स्थानीय प्रशासन मामले की गंभीरता को समझेंगे और तुरंत कार्रवाई करके शपथ पत्र समय से दाखिल करेंगे, ताकि प्रभावितों को न्याय मिल सके।”

किसानों और व्यवसायियों के आत्महत्या के विरोध में उक्रांद ने फूंका सरकार का पुतला

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गोपेश्वर,  उत्तराखंड क्रांति दल चमोली ने गुरुवार को गोपेश्वर के मुख्य चौराहे पर किसानों व व्यवसायियों के आत्महत्या किए जाने के विरोध में उत्तराखंड सरकार का पुतला फूंका। गोपेश्वर में जुलूस निकाला। उक्रांद कार्यकर्ताओं ने मुख्य चौराहे पर सरकार का पुतला फूंकते हुए कहा कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार के जमाने में किसान व व्यवसायी आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहे हैं।

राज्य सरकार सभी मोर्चों पर विफल होती नजर आ रही है। राज्य में कानून व्यवस्था चरमरा गई है। जनता बेकारी और बेरोजगारी का दंश झेल रही है और सरकार मौन बैठी है।

प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर आरोप लगाया कि बेकारी और नोटबंदी से व्यवसायियों को आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा है। जिसे उक्रांद बर्दाश्त नहीं करेगा और इसके लिए वृहद रणनीति के तहत आंदोलन किया जाएगा। पुतला फूंकने वालों में जिलाध्यक्ष अब्बल सिंह भंडारी, सत्य प्रकाश सेमवाल, चरण सिंह बिष्ट आदि मौजूद रहे।