हौंसलो के दम पर अपने सपनों को सच्चाई बनाते ये खास बच्चे

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“तलाशोगे अगर तो रास्ते ही मिलेंगे, मंजिलों की फितरत है वह खुद चलकर नहीं आती”

कुछ ऐसे ही अपने रास्ते ढूंढने में कामयाब हुए देहरादून नेशनल इंस्टिट्टयूट आॅफ विजुअली हैंडीकैम्पड(एनआईवीएच) स्कूल के कुछ बच्चे जिन्होंने महज 15 से 18 साल की उम्र में वो कर दिखाया जो आप सुन कर हैरान हो जाऐंगे। एनआईवीएच के छत्रों ने 2017 ब्लाईंड फुटबाल प्रतियोगिता में भाग लिया और फुटबाल चैंम्पियनशीप अपने नाम कर ली। जी हां दून के इन बच्चों ने वो कर दिखाया जो सोचने में भी कठिन लगता है। एनआईवीएच राज्य का ही नही देश का ऐसा इन्सटिट्यूट हैं जहां हर राज्य से बच्चे शिक्षा लेते हैं। इस दौरान संस्थान उन छात्रों को भी चिह्नित करता है जो स्पोर्टस में अच्छा करते हैं और जिन्हें आगे बढ़ने में स्कूल और टीचर पूरा सहयोग करता है। एसे ही कुछ छात्रों से टीम न्यूजपोस्ट ने मुलाकात की और उनके जिन्दगी के बारे में जानने की कोशिश की।

NIVH team

2017 ब्लाइंड फुटबाल चैंपियनशीप में जीतने के बाद एनआईवीएच के पास अब चार चैंपियन खिलाड़ी बचें हैं जिनमें कुछ ग्यारहवी में हैं तो कुछ और छोटी क्लास में हैं। शोभेंद्र पिछले 11 साल से एनआईवीएच में पढ़ाई कर रहें हैं और 2016 से फुटबाल खेल रहे हैं। पहले इंटरनेशनल टीमों के साथ भी मैच खेल चुके हैं। लाहौर,मलेशिया और भारत के अलग-अलग राज्यों के साथ शोभेंद्र ने मैच खेला भी है और जीता भी है। फुटबाल चैंपियनशीप में 2016 से खेल रहे शोभेंद्र पिछले दो साल से प्लेयर आॅफ दि टूर्नामेंट भी है।उत्तरकाशी के शोभेंद्र को अपने टीचर के सपोर्ट के साथ घर वालों का सपोर्ट मिलता है लेकिन जब कभी खेल के दौरान उन्हें कहीं चोट लग जाती है तब उनके माता-पिता चितिंत होकर कहते हैं कि खेल में कुछ नहीं रखा। हालाकि शोभेंद्र इसे माता पिता का प्यार मान कर अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हैं।

ठीक ऐसे ही एक खिलाड़ी है 16 साल के मेहराज जो बिहार से हैं। 15 साल के शोभित ध्यानी जो पौड़ी गढ़वाल से हैं और 16 साल के गंभीर भी उत्तराखंड से हैं। इसके अलावा चैंम्पियनशीप में खेलने वाले सभी खिलाड़ी पास आउट हो चुके हैं जिनमें पंकज राणा,संदीप और अश्वनि एनआईवीएच के सबसे उम्दा खिलाड़ियों में गिने जाते हैं।एनआईवीएच के पंकज राणा अब इंडियन ब्लाइंड टीम के लिए खेल रहे हैं।

Team

एनआईवीएच में बचे इन चार खिलाड़ीयों को आगे बढ़ाने में इनके कोच नरेश सिंह नयाल का बहुत बड़ा हाथ हैं।इन बच्चों को हर तरह की ट्रेनिंग देने के साथ चैंम्पियनशीप तक लेकर जाना आसन नहीं था। लेकिन कोच नरेश ने ना खुद हिम्मत हारी ना बच्चों को हारने दी। 2017 की चैंम्पियनशिप देहरादून के बच्चों के लिए आसान नहीं थी, अपनी उम्र से दोगुने उम्र के लोगों साथ हुए इन मैचों में बच्चों ने दिल्ली की टीम के खिलाफ अपना सेमीफाईनल जीता। दिल्ली की टीम के साथ मैच खेलने के बाद खिलाड़ी चैंम्पियनशीप के पास पहुंच चुके थे।फाईनल में देहरादून की टीम ने केरला के साथ मैच खेला और जीते भी। केरला टीम के खिलाड़ी दून टीम के खिलाड़ियों से उम्र और अनुभव में काफी बड़े थे लेकिन फिर भी टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और जीत गए।

खिलाड़ियों ने बताया कि फुटबाल गेम को खलने के लिए उनको कोच नरेश और प्रिसिंपल कमलवीर सिंह जग्गी से पूरा सपोर्ट मिला। इस चैंम्पियनशीप को जीतने के बाद खिलाड़ी खासे उत्साहित हैं और आगे आने वाले सभी चैंम्पियनशीप को लिए जी तोड़ तैयारी कर रहे हैं। इन सभी बच्चों और एनआईवीएच ने एक शेर को कही साबित कर दिया है कि “खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है”