…तो दून में सांस लेना दूभर हो जाएगा

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    देहरादून। दिल्ली में वायु प्रदूषण की रफ्तार को कम करने के लिए तमाम जतन शुरू कर दिए गए हैं और दून में फिलहाल दूर-दूर तक ऐसी कवायद नजर नहीं आ रही। वायु प्रदूषण इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो पांच साल में दून में सांस लेना भी दूभर हो जाएगा। प्रदूषण की मौजूदा रफ्तार बताती है कि वर्ष 2022 तक दून की हवा में रेस्पायरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम)-10 की दर 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक हो जाएगी। शायद तब दून दिल्ली को भी पीछे छोड़ देगा।

    वहीं, दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आदेश दिया है कि जिन क्षेत्रों में आरएसपीएम-10 की दर 500 व पीएम-2.5 की दर 300 से अधिक है, वहां वाहनों के संचालन में ऑड-ईवन का फार्मूला अपनाया जाए। दून में पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पीएम-10 पर वायु प्रदूषण को मापता है और इसके मुताबिक आरएसपीएम 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को भयावह स्थिति में मानें तो पांच साल बाद ही दून में ऐसे हालात पैदा हो जाएंगे।

    प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तीन साल के आंकड़ों पर गौर करने पर पता चलता है कि घंटाघर, रायपुर व आइएसबीटी क्षेत्र में प्रदूषण की रफ्तार 14.02 से 25.56 फीसद की दर से बढ़ रही है। वायु प्रदूषण के सबसे विकट हालात आइएसबीटी क्षेत्र में पैदा हो रहे हैं। सात नवंबर को ही यहां आरएसपीएम-10 400.4 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर जा पहुंचा था। वायु प्रदूषण की औसत दर की बात करें तो इस साल जनवरी से अगस्त तक (आठ माह) ही आरएसपीएम की औसत दर 276 को पार कर गई है। जबकि वर्ष 2015 में 12 माह में भी यह आंकड़ा 237.75 पर सिमटा था।

    दून में इस तरह जहरीली हो रही हवा:

    • क्षेत्र 2017, 2015
    • आइएसबीटी, 276.50, 237.75
    • रायपुर, 208.68, 155.35
    • घंटाघर, 193.54, 159.54

    नोट: वर्ष 2017 के आंकड़े अगस्त माह तक का औसत है, जबकि वर्ष 2015 में पूरा 12 माह के आंकड़ों का औसत है।
    पांच साल बाद यह होगी तस्वीर (वर्ष 2015 से 2017 की बढ़त के अनुसार)
    आइएसबीटी (14.02 की दर मौजूदा दर से ही प्रदूषण बढ़ा तो पांच साल बाद इस क्षेत्र में आरएसपीएम 531 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को पार कर जाएगा।)
    रायपुर (25.56 फीसद की वर्तमान दर के अनुसार पांच साल बाद 518.60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होगा वायु प्रदूषण)
    घंटाघर (17.57 की दर से ही प्रदूषण बढऩे पर पांच-छह साल में आरएसपीएम का स्तर 511.1 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर पहुंच जाएगा।)

    जितने वाहन, उतना अधिक प्रदूषण
    वायु प्रदूषण बढऩे का प्रमुख कारण है वाहनों का धुआं। वर्तमान में दून में 7.5 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हैं और हर साल 54 हजार से अधिक वाहन पंजीकृत हो रहे हैं। जबकि इसके अनुरूप वाहनों के प्रदूषण पर लगाम लगाने के प्रभावी उपाय नहीं किए जा रहे। इसके अलावा निर्माण कार्यों से निकले वाले धूल कणों से भी प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। दून में इस लिहाज से भी प्रदूषण बढ़ रहा है।

    ऐसे समझें पीएम-10 या पीएम-2.5
    पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर या प्रदूषण के कण। इनके आकर को पीएम-10 या पीएम-2.5 आदि में मापा जाता है और यह संख्या कणों के आकार को दर्शाती है। जिसका पैमाना माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। दून में दिल्ली से 2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर जैसे छोटे कणों को मापने की व्यवस्था हीं है।