चीन और भारत की सीमा पर मिट्टी के जल रहे दीये

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सीमांत के बाजारों में चीन निर्मित दीये गायब हैं। सभी बाजारों में मिट्टी के दीये बिक रहे हैं। बाजारों में मिट्टी के दीयों की मांग भी काफी अधिक है। पर्वतीय जनपद होने के कारण यहां पर मिट्टी के दीये नहीं बनते हैं। बिकने के लिए दीये बरेली से लाए जाते हैं। विगत कुछ वर्षो से मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ने लगी थी। इस वर्ष तो दीयों की मांग सबसे अधिक है। इसी के चलते पिथौरागढ़ में स्थानीय लोगों सहित बाहर से पहुंचे युवा और बच्चे मिट्टी के दीये बेच रहे हैं। मिट्टी के ही रंगे दीयों के स्थान पर ग्राहक मिट्टी के दीये मांग रहे हैं। नगर के प्रमुख सिमलगैर बाजार में लगभग दो दर्जन स्थानों पर मिट्टी के दीये बिक रहे हैं।

सिमलगैर बाजार में मिट्टी के दीये बेच रही महिला तराना और उसके बच्चे बताते हैं कि नगर में बरेली से लाए गए दीये बिक रहे हैं। पहाड़ों में दीये नहीं बनते हैं जिसके चलते मैदान से पहुंचे दीये बेचे जा रहे हैं। नगर में भी लगभग दो दर्जन से अधिक स्थलों पर दीये बेचने वाले बताते हैं कि सुबह से लेकर सायं तक दीये खरीदने वाले पहुंच रहे हैं। दीपावली तक दीयों की अच्छी बिक्री होने की आस बनी है। बीते वर्षो से इस बार दीयों की बिक्री अधिक हो रही है। वहीं मिट्टी के दीये खरीद रही महिलाओं ने बताया कि परंपरा के अनुसार दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं। महिलाओं ने चीन के दीयों के बारे में अनभिज्ञता जताई। उनका कहना था कि उनके घरों पर हमेशा मिट्टी के दीये जलते हैं। दीपावली पर्व में रविवार एकादशी से दीये जलने लगे हैं जो भैयादूज तक जलाए जाएंगे। साल में अन्य पर्वो के लिए भी दीपावली में ही मिट्टी के दीये खरीद कर रख लेती हैं।