मिसाल: सफाई कर्मियों की हड़ताल के चलते दूनवासियों ने संभाला सफाई का मोर्चा

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देहरादून शहर जहां अपनी खूबसुरती के लिए जाना जाता हैं वहीं पिछले 11 दिन से सफाई कर्मचारियों की चल रही हड़ताल ने शहर की शक्ल ही बदल दी है। शहर के लगभग सभी चौराहों और सोसाईटी क सामने कूड़ों के ढ़ेर की हालात यह है कि बदबू से बीमारियों का न्यौता मिल रहा है। सफाई कर्मचारियों की हड़ताल देखते ही देखते 11 दिन से लगातार जारी है।

यू तों हज़ारों नेता सड़क पर झाड़ू लिए दिख जाते थे लेकिन पिछले 11 दिनों से कोई नेता ना सफाई करता दिख रहा ना ही कोई इसके बारे में बात कर रहा है। हर तरफ कूड़ा और कूड़े के ढ़ेर पर सड़क पर घूमने वाले जानवर।आस-पास से गुज़रने वाले लोगों के मुंह पर हाथ यह है दून निवासियों की आजकल की तस्वीर।सरकार और प्रशासन के इसी उदासीन रवैये को ठेंगा दिखाते हुए अब शहर की सफाई की जिम्मेदारी आम शहरियों ने ही उठा ली है।

ऐसे ही देहरादून की पॉश कॉलोनी पाम सिटी के भी कुछ लोगों ने कूड़ें की बदबू को और न झेलवने का फैसला किया किया। बीते 2-3 दिन से सोसाईटी के दो युवा अजय गैरोला और असज़द काज़ी ने अपने क्षेत्र को साफ करने का फैसला लिया और सोसाईटी वालों के लिए एक मिसाल कायम की।और इन दोनों युवाओं के आगे आने से सोसाइटी के और लोग भी आगे आए और उन्होंने सफाई में युवाओं का साथ दिया।

गुरुवार की सुबह ओएनजीसी से रिटायर हुए 61 साल के प्रदीप चंद्र खंडूड़ी ने भी अपनी पुरानी नारंगी जर्सी में पाम सिटी के बाहर हाथ में फावड़ा लेकर इन युवाओं का साथ दिया। इस बारे में बात करते हुए खंडूड़ी ने बताया कि “पिछले दो दिनों से हम दो युवाओं को देख रहे थे जो सुबह हमारी सोसाइटी के बाहर सफाई कर रहे थे उनसे पूछने पर पता चला वह पाम सिटी के रहने वाले ही है। कभी-कभी आपके छोटे आपको कुछ अच्छी सीख दे जाते हैं और इन युवाओं ने मेरे सोच में बदलाव लाया और फिर मैंने सोचा कि क्यों ना इन युवाओं का साथ दिया जाए और आज मैं भी इन युवाओं के साथ सफाई करने निकल पड़ा और केवल 3 लोगों की मदद से काफी सफाई हो गई।”

खंडूड़ी कहते हैं कि ठीक है सफाई का काम सफाई कर्मचारियों का है लेकिन जहां हम रहते है उस जगह को साफ करने में हमारा कुछ कम नहीं होता।खंडूड़ी ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि आगे से हर कोई अपने क्षमता के अनुसार सफाई में सहयोग देगा जिससे हमारी सोसाइटी साफ-सुथरी रहेगी।

यह तो रही एक सोसाइटी की बात लेकिन पूरे शहर का क्या होगा। शहर में सफाई कर्मचारियों की चल रही हड़ताल से गंदगी,बदबू और जहरीले धुएं के साथ ही अब दस्तक बीमारियों की भी होगी। बढ़ती गंदगी से शहर में महामारी का डर भी सताने लगा है लेकिन इस दिक्कत को बेहद हल्के में लेकर ज़िम्मेदार ज़िन्दगियों को दाव पर लगाने पर तुले हैं।

ऐसे में सवाल ये कि आखिर क्यों सफाई कर्मचारियों की नहीं सुनी जा रही,बेशक अपनी मांगें मनवाने के लिए जनता को परेशान करने के इस रास्ते की हिमायत नहीं की जा सकती।

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