हरिद्वार, उच्च हिमालयी क्षेत्र में उगने वाले ब्रह्मकमल के धर्मनगरी में खिलने से खुशी की लहर है। मान्यता है कि इस फूल में भगवान विष्णु और लक्ष्मी वास करते हैं। ये फूल कम समय के लिए ही खिलता है और कुछ समय बाद ही मुरझा जाता है। ऐसे में इस फूल का तराई क्षेत्र में खिलना लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है।
ब्रह्मकमल भगवान विष्णु का प्रिय पुष्प माना जाता है। साथ ही ये पुष्प देवी लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है। हरिद्वार निवासी राम अवतार शर्मा बेंगलुरू की एक नर्सरी से ब्रह्मकमल का पौधा अपने यहां लेकर आए थे। जिसके बाद उन्होंने इसे अपने निरंजनी अखाड़ा मायापुर आवास में लगाया था। 16 साल तक सींचने के बाद पहली बार इस पौधे में फूल खिला है।
उल्लेखनीय है कि इस ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राजकीय पुष्प है। शास्त्रों की मानें तो इसको भगवान विष्णु और लक्ष्मी का साक्षात स्वरूप भी माना गया है। ये फूल चंद घंटों के लिए ही खिला रहता है। राम अवतार का कहना है कि 16 साल सींचने के बाद उनके यहां ये ब्रहमकमल खिला है। ब्रह्मकमल औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण होता है। इसे सूखाकर कैंसर की दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही इस फूल से श्वांस संबंधी बीमीरियां भी दूर हो जाती है।
रामअवतार शर्मा का कहना है कि, “यह उच्च हिमालयी क्षेत्र में मॉनसून में ही खिलता है। उन्होंने बताया कि 16 साल पहले वह इस पौधे को बेंगलुरू से लेकर आए थे। यह संयोग ही है कि ये पौधा उनके घर में खिला है, ऐसे में उनके परिवार में खुशी की लहर है।”



















































