दो मंत्री, सासंद और पांच विधायक भी नहीं दिला पाए भाजपा को जीत

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हरिद्वार। प्रदेश के निकाय चुनाव के परिणामों में सबसे ज्यादा उलटफेर हॉट सीट माने जाने वाले धर्मनगरी हरिद्वार में देखने को मिला। यहां कांग्रेस की प्रत्याशी अनीता शर्मा ने मेयर सीट पर जीत हासिल की। पूरे चुनाव में सभी की निगाहें इस सीट पर टिकी थी।
दरअसल इस चुनाव में अन्नू कक्कड़ ही नहीं बल्कि कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के साथ पांच स्थानीय विधायकों ने भी पार्टी को जीताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। लेकिन निकाय चुनावों के नतीजों ने धर्मनगरी की राजनीति को ही बदलकर रख दिया।
बीते रोज पूरे प्रदेश में एक साथ मतगणना शुरू हुई थी। इसी के तहत हरिद्वार की वोटिंग भी शुरू की गई। दरअसल यहां खुली अलग-अलग मत पेटियों में जनता की अलग-अलग पसंद देखने को मिली। जिससे पांसा कभी कांग्रेस के पक्ष में तो कभी बीजेपी के पक्ष में जाता नजर आया। इस दौरान प्रत्याशियों की सांसे अटकी रही। मतगणना के शुरुआती दौर से ही कांग्रेस की प्रत्याशी अनीता शर्मा एक बड़ी लीड के साथ बीजेपी प्रत्याशी अन्नू कक्कड़ को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ी। लेकिन तीसरे राउंड की मतगणना शुरू होते ही एक बार फिर से मदन कौशिक का जलवा साफ दिखाई दिया और अन्नू कक्कड़ ने अनीता शर्मा को पछाड़ते हुए 15 सौ से ज्यादा वोटों की बढ़त बनाई।
इससे एक बार लगा कि शहर में अभी भी बीजेपी का जलवा है, लेकिन जैसे ही कनखल के मतों की गणना हुई तो सारे ही परिणाम बदल गये। यहां से बीजेपी पार्षदों को तो वोट मिले लेकिन अन्नू कक्कड़ को जनता ने नकार दिया।
कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का गढ़ होने की वजह से हरिद्वार सीट बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। ऐसा भी कहा जा रहा था कि जिले में ऐसा कोई भी नेता नहीं है जो मदन कौशिक के इस किले को भेद सके। लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी अनीता शर्मा ने इस मिथक को तोड़ते हुए ज्वालापुर में दाखिल हुई तो ज्वालापुर की जनता ने अनीता शर्मा को ये बता दिया कि वे कांग्रेस के पक्ष में ही वोट कर रही है। जैसे-जैसे मत पेटी खुलती गई वैसे-वैसे बीजेपी नेताओं के माथे पर बल पड़ने लगे। देर रात तक ये साफ हो गया कि हरिद्वार में परिवर्तन की लहर दिखाई दे रही है। ज्वालापुर से सबसे ज्यादा वोट पड़ने की वजह से अनीता शर्मा को जनता की पहली पसंद बन गई। इसी के साथ अंदेशा जताया जाने लगा कि अनीता शर्मा ही यहां से मेयर होंगी।
बता दें कि बीजेपी के लिए अतिक्रमण के नाम पर तोड़फोड़ गले की फांस बना। साथ ही चुनाव के अंतिम दौर में बीजेपी के कुछ नेताओं की जनता और अधिकारियों के साथ गाली-गलौज का मामला भी हार की प्रमुख वजह बनी।
हालांकि ऐसा कहा जाता है कि मलिन बस्तियों के वोट आज भी बीजेपी को ही पड़ते हैं। लेकिन इस बार जनता ने बदलाव लाने की सोची, नतीजन अनीता शर्मा ने यहां से जीत हासिल की। राजनीतिज्ञों की मानें तो मदन कौशिक का मेयर सीट पर अनु कक्कड़ को उतारना भी पार्टी की हार की बड़ी वजहों में से एक रहा।