पांडुकेश्वर, उखीमठ, मुखबा, खरसाली में यात्रियों को लाने के प्रयास

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चारधाम
देहरादून, उत्तराखंड के चार धामों की शीतकालीन यात्रा एक बार फिर से शुरू की गई हैं, लेकिन इस बार भी नतीजे कितने उत्साहित करने वाले रहेंगे, यह कहने की स्थिति में कोई नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से चार धाम यात्रा समाप्त हो जाने के बाद गद्दीस्थलों पर शीतकालीन यात्रा शुरू कराई जा रही है, लेकिन देश दुनिया के श्रद्धालुओं को वहां तक लाने में बहुत सफलता नहीं मिल रही है। हालांकि सरकार का भरोसा है कि धीरे धीरे यह प्रयास सफल होने लगेंगे।
दरअसल, उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के समाप्त हो जाने के बाद भगवान की गद्दी चार अलग अलग स्थानों पर शीतकाल में विराजमान हो जाती है। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में शीतकाल में बर्फ पड़ने के कारण वहां पर रहने लायक हालात नहीं होते। इसलिए भगवान की गद्दी को अन्य स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया जाता है। बद्रीनाथ की गद्दी पांडुकेश्वर, केदारनाथ की उखीमठ, गंगोत्री की मुखबा और यमुनोत्री की गद्दी खरसाली में स्थापित की जाती है। छह महीने यहीं पर पूजा अर्चना की जाती है। सरकार कोशिश कर रही है कि शीतकाल में श्ऱद्धालु इन गद्दीस्थलों पर आएं और दर्शन करें। साथ ही वर्ष भर यात्रा संचालित होती रहे।
भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार ने भी इस संबंध में प्रयास किए थे। इसके बाद, कांग्रेस की सरकार आई, तो उसके कार्यकाल में भी शीतकालीन यात्रा की बात हुई। एक बार फिर, भाजपा सरकार ने शीतकालीन यात्रा शुरू की है। इसके तहत, यात्रा मार्गों पर नागरिक सुविधाओं के वे ही इंतजाम बनाकर रखे गए हैं, जो कि मुख्य यात्रा के दौरान रहते हैं। जब से शीतकालीन यात्रा की बात शुरू हुई है, तब से कोई वर्ष ऐसा नहीं रहा है, जबकि इस प्रयोग को बेहद सफल महसूस किया गया हो। हालांकि चार धाम यात्रा विकास परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगांई को उम्मीद है कि शीतकाल यात्रा धीरे धीरे परवान चढ़ने लगेगी। उनका कहना है कि इसके लिए सरकार के स्तर पर गंभीरता से कार्य किया जा रहा है।