ईको सेंसिटिव जोन में एनजीटी ने सड़क निर्माण पर लगाई रोक, लोगों में आक्रोश

0
608

उत्तरकाशी। सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण एवं आपदा के लिहाज से अति सवेंदनशील उत्तरकाशी जिले के विकास पर ईको सेंसेटिव जोन का ग्रहण लग गया है। यही वजह रही कि गंगोत्री से लेकर उत्तरकाशी तक भागीरथीघाटी के 100 किलोमीटर क्षेत्र में लगभग 88 गांव का विकास बुरीतरह से प्रभावित हुआ हैं। भाजपा नेता लोकेंद्र सिंह बिष्ट ने वर्ष 2011 में हाई कोर्ट नैनीताल में याचिका लगाई थी। हाई कोर्ट ने केंद्र एवं राज्य सरकार को इस काले कानून को लागू करने से पहले जनसुनवाई करने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार के ढुलमुल रवैया के चलते बगैर जनसुनवाई के ही यहां के बाशिंदों पर कानून थौप दिया।

बता दें कि एनजीटी एवं ईको सेंसिटिव जोन होने से जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट ऑल वेदर रोड गंगोत्री से लेकर उत्तरकाशी तक शुरू नहीं हो पा रहा है। वहीं, क्षेत्र विकास के लिए गांव को जोड़ने वाली सड़कों के निर्माण पर भी रोक लगा दी है। जिस पर स्थानीय विधायक और जनता ने आक्रोश व्यप्त है। दरअसल, ईको सेंसिटिव जोन होने के चलते जनपद में कई विकास कार्य लटके हुए हैं। ऐसे में अब सड़क निर्माण पर भी एनजीटी की मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा रोक लगाए जाने से लोगों मे खासी नाराजगी है। गंगोत्री विधायक गोपाल रावत का कहना है कि दून और दिल्ली में भी कुछ जगहों को ईको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है। लेकिन पहाड़ के लोगों पर ही नए-नए नियम बनाकर थोपे जा रहे हैं।
साल 2012-13 की आपदा में गंगोत्री से लेकर उत्तरकाशी जिला मुख्यालय तक करीब 100 किलोमीटर का क्षेत्र पूरी तरह से तबाह होने के बाद यहां के लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। किसी तरह से यहां जनजीवन पटरी पर लौट रहा था, कि तभी साल 2014-15 में भटवाड़ी ब्लॉक के 88 गांवों को ईको सेंसिटिव जोन घोषित कर दिया गया। जिससे जनपद में कई विकास कार्य ठप पड़ गए। जिसमें भागीरथी पर बन रही लोहारी नागपाला जल विद्युत परियोजना भी प्रो. जीडी अग्रवाल के आंदोलन के चलते बंद कर दी गई। हालांकि, सरकार इस परियोजना को दोबारा शुरू करने जा रही है।
वहीं, अब एनजीटी ने भटवाड़ी ब्लॉक की करीब पांच सड़कों पर आपत्ति लगा दी है। जिसके कारण दूरस्थ क्षेत्रों के कई गांव आज भी सड़क सुविधा से महरूम हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनका जीवन भागीरथी पर निर्भर है। उसका दोहन नहीं होना चाहिए, लेकिन जिस प्रकार विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ईको सेंसिटिव जोन होने के चलते भटवाड़ी ब्लॉक के कामर, पिलंग और जोड़ाउ आदि गांव आज भी सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं। स्थानीय लोग अब इन तमाम समस्याओं को लेकर आंदोलन का रुख अख्तयार करने का मन बना रहे हैं।