देहरादून , हिमालय की तलहटी गोद में बसा उत्तराखंड प्रकृति को अपने में समाहित करे हुए है और यहां के पहाड़ी लोगों के जीवन में प्रकृति से जुड़ी हर चीज का ,हर मौसम का ,हर ऋतु का और हर दिन का एक अलग ही रंग है। यहां के त्यौहार भी प्रकृति के इर्द-गिर्द ही रचे-बसे हैं ऐसा ही एक त्यौहार हर साल चैत्र मास का प्रथम दिन , मीन संक्रांति को यहाँ फूलदेई के नाम से पुकारते हैं । इस दिन गृहणियां प्रात:काल उठकर घर की सफाई करके घर की देहली को गेरवे या गोबर-मिट्टी से लीप कर उसे ऐपणों से सजाती हैं ओर घर की कुमारी कन्याएं उस पर घर की सुख शान्ति की मंगल कामनाओं के साथ फूलों को घर की देहली पर सजाया करती हैं।यह कहा जाता है कि पहले रक्त,पीत,श्वेत (बुरांस,फ्योंली,कुंज) के फूलों का प्रयोग किया जाता था समय के साथ-साथ अब फूलों को आसानी से इकट्ठा नहीं किया जा सकता क्योंकि यह फूल पर्वत श्रृंखला और जंगलों में पाए जाते हैं। हालांकि उत्तराखंड के पहाड़ों पर रहने वाले लोग आज भी इन फूलों का उपयोग करते हैं अर्बन क्षेत्र में यह फूल अब प्रचलन मे नहीं है । यह त्योहार चैत्र मास के पहले दिन से एक माह तक चलता है ।

पहाड़ी महिलाएं और पहाड़ के छोटे-छोटे बच्चे फूलों की टोकरी लेकर गांव के हर घर की दहलीज पर इन जंगली फूलों को सजा देते हैं और एक गाना भी गाते हैं।फूलदेई छम्मादेई , दैणोद्वार भरभकार । योदेई सौ नमस्कार , पूजैद्वार बारम्बार ।इस तरह बालक-बालिकायें मास पर्यन्त ताजे फूलों से द्वार पूजन करतें हैं । बदले में घर के बड़े लोग इन बच्चों को पैसऔर अनाज मिठाई आदि देते हैं “यह परम्परा वसन्त ऋतु के प्रारम्भ में होती है इसका वैज्ञानिक कारण यह भी हो सकता है कि इस परम्परा के निर्वहन में बालक- बालिकायें प्रात:काल उठ कर पहाड़ों की स्वच्छ और वायु को अपने फेफड़ों में भरकर प्रकृति से भरपूर ऊर्जा प्राप्त कर सकें और पहाड़ों पर दिख रही प्रकृति के रंग बिरंगे फूलों को संजो कर इसके भरण-पोषण में अपने जीवन को लगा सके। अगर आपने भी कभी फूलदेई के त्यौहार को नहीं मनाया है तो न्यूज़ पोस्ट आपको सलाह देता है कि जल्दी से जल्दी अपने बच्चों में संस्कार डालें फूल प्रकृति और रंग का क्या महत्व जीवन में होता है यह अपने बच्चों को समझाएं जिससे वह आगे चलकर अपनी पृथ्वी के वातावरण को स्वच्छ सुंदर रखने की परंपरा को अपने ही घर से निभा सके और एक अच्छे संस्कार के रूप में प्राकृतिक प्रेम उनके जीवन को नई दिशा दे सकें तो चलिए फूलों को इकट्ठा कीजिए और अपने दरवाजों पर इस को सजा कर फूल देई के त्यौहार की शुरुआत कीजिए।




















































