खत्म हुई 2017 चारधाम यात्रा, सरकार ने यात्रियों की संख्या पर जताई खुशी

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File photo

हिमालई इलाकों में सर्दियों के आगमन के साथ ही इस साल की उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चार धाम यात्रा भी समाप्ति की ओर आ गई है। इस याशत्रा में सालाना लाकों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मिलकर चार धाम बनाते हैं।इस यात्रा को पूरा करने के लिये लाखों की तादा में यात्री यमुनोत्री से शुरू कर गंगोत्री और केदारनाथ होते हुए बद्रीनाथ में अपनी यात्रा को खत्म करते हैं।

 इन सब के बीच कपाट बंद होने में चमोली ज़िले में मौजूद सिखों के घर्म स्थल हेंमकुड साहिब का रहा। करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित ये जगह सिकों के लिये अति धार्मिकमहत्व की है। हेंमकुड साहिब के कपाट 10 अक्टूबर को शबद कीरितन के बीच बंद हुए।

इसके बाद शीतकाल के लिये गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट बंद हुए। इस साल अप्रेल में खुले कपाट में गंगोत्री धाम के कपाट 20 अक्टूबर और यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट 21 अक्टूबर को बंद हुए।

विजयदश्मी के दिन बदर्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तारीख निकाली जाती है। इस साल बद्रीनाथ के कपाट 19 नवंबर शाम 7:28 पर बंद होंगे। 

इसी के साथ मध्यमहेशवर और तुंगनाथ धाम के कपाट भी 22 अक्टूबर और 27 अक्टूबर को होंगे। इसके साथ ही 2017 की चार धाम यात्रा  यात्रा का समापन भी हो जायेगा।  गौरतलब है कि 2013 में आी केदारनाथ आपदा के बाद से ही चारधाम यात्रा के पुनर्जन्म को लेकर तमाम कयास लगाये जाते रहे हैं। ये यात्रा उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था के लिये भी खासी महत्वपूर्ण रहती है। ऐसे में राज्य के लिये ये ज़रूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसमें हिस्सा लें।