लॉक डाउन में बाहर फंसे 18 हजार प्रवासी उत्तराखंड लाए गए

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एसडीआरएफ
कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम के लिए किए गए लॉक डाउन के दौरान दूसरे राज्यों में फंसे उत्तराखंड के 18 हजार 156 लोग शुक्रवार दोपहर तक वापस लाए जा चुके हैं। यह जानकारी राज्य के मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने यहां पत्रकारों को दी।
मुख्य सचिव ने बताया कि दूसरे राज्यों से उत्तराखण्ड आने के लिए 1,75,880 प्रवासियों ने पंजीकरण कराया है। इनमें से 18156 लोगों को लाया जा चुका है। उत्तराखंड में फंस गए दूसरे राज्यों के 20 हजार लोगों ने वापस अपने राज्य जाने के लिए पंजीकरण कराया है। इनमें से 4780 लोगों को भेज दिया गया है। तीन दिनों में गुरुग्राम से 8700 लोगों को लाने के प्लान पर काम किया जा रहा है। अहमदाबाद, सूरत, पुणे के साथ ही केरल से भी प्रवासी लोगों को लाने के लिए ट्रेन के बारे में रेल मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों से बात हुई है। कंट्रोल रूम के काॅल सेंटर में 45 हजार से अधिक काॅल रिसीव की गई हैं।
– उत्तराखंड आने के लिए 1.75 लाख प्रवासियों ने कराया पंजीकरण
– उत्तराखंड में फंसे 20 हजार लोगों ने दूसरे राज्यों में जाने के लिए कराया पंजीकरण
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
मुख्य सचिव ने बताया कि जो प्रवासी उत्तराखंड लौट रहे हैं, राज्य सरकार को उनके रोजगार की भी चिंता है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को मंजूरी दी गई है। इसमें निर्माण और सेवा क्षेत्र में अपना काम करने के लिए ऋण व अनुदान की व्यवस्था की गई है। इसी प्रकार और भी अनेक योजनाओं पर विचार किया जा रहा है।
सामान्य परिस्थितियों में दिव्यांग कर्मचारियों को कार्यालय न बुलाने के मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश
मुख्य सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दिव्यांग कर्मचारियों को सामान्य परिस्थितियों में सरकारी कार्यालयों में न बुलाने के निर्देश दिए हैं। लाॅकडाउन-3.0 में सरकारी कार्यालयों को खोला गया है। इनमें अधिकारियों व कर्मचारियों की उपस्थिति के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। महिला कर्मचारी जो कि गर्भवती हैं या जिनके 10 वर्ष से कम उम्र की बच्चे हैं, को सामान्य परिस्थितियों में कार्यालय आने से छूट दी गई है। इसी प्रकार 55 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मचारियों को भी सामान्य परिस्थितियों में नहीं बुलाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 307 कार्यों को मंजूरी
उनहोंने बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में जिलों से 307 कार्यों को अनुमति दी गई है। इसमें 16 हजार 600 कार्मिकों व श्रमिकों का नियोजन होगा। मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में वनों में फायर सीजन है। मौसम आदि कारणों से पिछले वर्ष की तुलना में स्थिति कहीं अधिक बेहतर है। पिछले वर्ष इस समय तक वनाग्नि के 298 मामले आए थे जिसमें 351 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई थी। इस वर्ष 18 मामले वनाग्नि के सामने आए हैं। इससे 11 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है। लगभग 6700 फायर वाचर की ड्यूटी लगी हुई है।
गर्मियों के सीजन में पानी के सम्भावित संकट को देखते हुए विभागीय स्तर पर तैयारी की गई है। 801 ग्रामीण व 347 शहरी बस्तियों को सम्भावित पेयजल संकट वाली बस्तियों के रूप में चिह्नित किया गया है। यहां पेयजल आपूर्ति के लिए टैंकर आदि का उपयोग किया जा रहा है। 31 मई तक जलमूल्य व सीवर मूल्य की वसूली स्थगित की जा चुकी है। साथ ही इस अवधि का सरचार्ज भी नहीं लिया जाएगा।
4747 उद्योगों को संचालन की अनुमति
मुख्य सचिव ने बताया कि 4747 उद्योगों को संचालन के लिए अनुमति दी गई है। इनमें 1 लाख 75 हजार श्रमिकों का नियोजन होगा। इनमें से बहुत सी इकाइयों ने काम शुरू कर दिया है। ग्रामीण अंचलों में स्वयं सहायता समूहों विशेष तौर पर महिला स्वयं सहायता समूहों ने विषम परिस्थितियों में भी उल्लेखनीय काम किया है। 3580 स्वयं सहायता समूहों के 12 हजार से अधिक सदस्य हैं। इन लोगों ने 11 लाख मास्क तैयार कर संस्थाओं को उपलब्ध कराए गए हैं। कोविड-19 में जरूरतमंदों को सहायता पहुंचाने में बहुत से स्वयं सहायता समूह सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं। बहुत से स्वयं सहायता समूह, आर्थिक गतिविधियां कर रहे हैं। उधमसिंह नगर जिले के पहानिया में 600 से अधिक महिलाएं मूंज घास से हस्तशिल्प में काम कर रही हैं। इससे जाहिर होता है कि हमारे ग्रामीण अंचल ऊर्जा से परिपूर्ण हैं।