अयोध्या में छह दिसम्बर को दूंगा खुशखबरीः आदित्यनाथ

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(हरिद्वार) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वह छह दिसंबर को अयोध्या में जाकर राम मंदिर निर्माण के संदर्भ में देश को खुशखबरी देंगे। उन्होंने योगगुरु बाबा रामदेव के शनिवार को दिए राम मंदिर निर्माण संबंधी बयान का भी समर्थन किया।
योगगुरु बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ में आयोजित ज्ञान कुंभ दूसरे और अंतिम दिन बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने पहुंचे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अगर विश्व में कोई देश परम तत्व की खोज कर सकता है तो वह सिर्फ भारत ही है। उन्होंने कहा कि गति के जिस सिद्धांत को भास्कराचार्य ने सालों पहले बता दिया था, उसे चुराकर न्यूटन का सिद्धांत बना दिया गया और हम यही पढ़ते रहे। योगी आदित्यनाथ ने ज्ञान कुंभ के वृहद स्तर पर आयोजन के लिए उत्तराखंड सरकार को बधाई दी। योगी ने कहा कि कुंभ एक ऐसी देन है जिससे पूरे विश्व को एकात्म और अध्यात्म का संदेश दिया गया है। भारत के मनीषियों ने विद्या धन को सबसे कीमती और सुरक्षित माना है, लेकिन इसे बाद के वर्षों में भुला दिया गया। गंगा सफाई के मुद्दे पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार गंगा सफाई के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तर प्रदेश में 15 दिसंबर से गंगा में एक भी गंदा नाला नहीं जाएगा।
इससे पूर्व पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार में आयोजित हो रहे ‘‘ज्ञान कुम्भ 2018’’ के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में ‘‘उच्च शिक्षा और भारतीय ज्ञान परंपरा’’ विषय के अंतर्गत चर्चा हुई। सत्र की अध्यक्षता संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक डॉ.अतुल कोठारी ने की।इस मौके पर महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के डॉ. निलिंब त्रिपाठी ने कहा कि हमें हमारे पाठ्यक्रमों से नीरसता को समाप्त करना होगा। शिक्षक को भी लगातार सीखते रहने की आवश्यकता है। हमें आध्यात्मिकता को भी उच्च शिक्षा से जोड़ने की आवश्यकता है।
स्वामी रामदेव ने कहा कि शिक्षा में भेदभाव को समाप्त किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालयों को अपने शिक्षार्थियों के सामथ्र्य को समझने की जरूरत है। विश्वविद्यालयों का वातावरण ऐसा बनाए जाने की आवश्यकता है कि विदेशों से लोग भारत में शिक्षा प्राप्त करने आएं।
द्वितीय दिवस के द्वितीय सत्र में “इन्नोवेशन रिसर्च एंड क्वालिटी कंट्रोल” विषय के अंतर्गत शिक्षा को भारतीयता, भारतीय परम्परा और भारतीय ज्ञान से जोड़ने की बात कही गई। सत्र की अध्यक्षता करते हुए यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं के साथ-साथ स्थानीय समस्याओं पर भी सर्वे और रिसर्च को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही बजट में रिसर्च और इनोवेशन में व्यय की जाने वाली राशि को भी बढ़ाया जाना चाहिए। शोधार्थियों को शोध कार्यों के लिए गाँवों की ओर भेजा जाना चाहिए। सत्र के अंतर्गत विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए कुलपतियों एवं आचार्यों ने अपने विचार व्यक्त किए। बताया गया कि शिक्षा को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने के साथ-साथ नवाचार पर विशेष ध्यान देने की आवश्कता है।
कुलपतियों द्वारा अपने अपने विश्वविद्यालयों में नए विषयों पर शोध के लिए शोधार्थियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। साथ ही विद्यार्थियों को ओरिजिनल सर्वे के लिए प्रोजेक्ट्स दिए जाने चाहिए।
समापान के मौके पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री उत्तराखण्ड डाॅ.धन सिंह रावत ने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय में योग और वेद की शिक्षा को अनिवार्य किया जाएगा। 5 सितंबर को प्रोफेसर को भी सम्मानित किया जाएगा। भारतीय ज्ञान परम्परा को अपने कोर्स में सम्मिलित करने के लिए 3 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा। 100 गरीब बच्चों को पतंजलि योगपीठ के सहयोग से शोध कार्य के लिए एक एमओयू किया जाएगा। गढ़वाली और कुमाऊनी भाषा के संरक्षण और संवर्धन हेतु अध्ययन केंद्र स्थापित किए जाएंगे