उत्तराखंडः  855 कैदी आएंगे जेल से बाहर

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-सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित उच्च समिति ने लिया निर्णय
सुप्रीम कोर्ट  के सात साल या उससे कम की सजा या छोटे अपराधों के मामलों का सामना कर रहे कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत देने के आदेश पर उत्तराखंड के 855 कैदी जेल से बाहर आएंगे। सुप्रीम कोर्ट के कोरोना विषाणु के प्रकोप के दृष्टिगत जेलों में सोशियल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी बनाने के लिए दिए गए आदेशों पर उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन ने उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति गठित की। इस समिति ने निर्णय किया है कि 855 कैदियों को छह माह के लिए पैरोल या अंतरिम जमानत दी जा सकती है।
उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव-जिला जज डॉ. जीके शर्मा ने शुक्रवार को बताया कि उच्चस्तरीय समिति ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के साथ बैठक की। बैठक में जिला प्राधिकरणों द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरण के अनुसार राज्य में 264 सजायाफ्ता एवं 627 विचाराधीन कैदी सात साल या उससे कम सजा प्राप्त तथा छोटे अपराधों में जेल में बंद हैं।  उन्हें उनके अपराध और व्यवहार के आधार पर फिलहाल पैरोल या अंतरिम जमानत दी जा सकती है। इस दौरान साफ हुआ है कि इनमें से 36 कैदी अस्वस्थ हैं। इसलिए उन्हें अभी पैरोल या अंतरिम जमानत नहीं दी जा सकती है। कारागार प्रशासन से उन्हें एकांतवास में रखने को कहा गया है।
लिहाजा शेष 855 को छह माह के लिए पैरोल या अंतरिम जमानत दिए जाने की संस्तुति करते हुए समिति के सदस्य प्रदेश के गृह सचिव को आदेश दिए गए हैं। इस बारे में जेल प्रशासन को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से राज्य सरकार या संबंधित न्यायालय को पैरोल या अंतरिम जमानत का प्रार्थना पत्र ऑनलाइन देना होगा। कैदियों को जेल से छोड़ने के बाद लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुए उनके स्थानों तक पहुंचाने को भी कहा गया है।